नोएडा22 मिनट पहलेलेखक: दीपांकर जैन
- कॉपी लिंक
ये तस्वीर कूड़ा निस्तारित करने वाले प्लांट के अंदर लगे ब्लैक होल टेक्नोलॉजी मशीन की है।
दिल्ली-NCR में पहली बार ब्लैक होल टेक्नोलॉजी मशीन के जरिए कचरा निस्तारण की तैयारी शुरू हो गई है। इस तकनीकी में प्रोग्राम्ड ऑक्सिजनेटेड प्लासमिक स्टेट (POPS) प्रयोग किया जाएगा। जिसमें 100 टन कचरा डालने पर एक प्रतिशत राख ही निकलेगी। इस राख को ब्रिक्स बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा।
जीरो कार्बन का उत्सर्जन होगा
सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि इस कचरा निस्तारण पर न तो एक यूनिट बिजली खर्च होगी और न ही फ्यूल का खर्च आएगा। तकनीकी के जरिए कचरा जब निस्तारित किया जाएगा। उससे निकलने वाला धुआं भी जीरो कार्बन वाला होगा, जिसका पर्यावरण पर कोई भी असर नहीं होगा। यानी इस तकनीक से शहर का कचरा भी निस्तारित होगा, जिस पर बिजली व फ्यूल तक खर्च नहीं करना पड़ेगा। यह तकनीकी पूरी तरह से यूएस बेस्ड है।
समझते है क्या ब्लैक होल टेक्नोलॉजी…
बार ब्लैक होल टेक्नोलॉजी मशीन कुछ इस तरह से काम करेगी।
इस टेक्नोलॉजी में कूड़े के निस्तारण के लिए उसे सेग्रीगेट यानी अलग-अलग नहीं करना पड़ता है। मशीन सेल्फ आपरेट है। निस्तारण के दौरान न तो बदबू आएगी और न ही हेल्थ और किसी प्रकार का प्रदूषण करेगी। एक 200 से 200 मीट्रिक टन पर एक प्रतिशत राख बनेगी। इसका प्रयोग रोड और अन्य कार्यो में किया जा सकता है। 100 मीट्रिक टन के प्लांट के लिए महज 5 हजार वर्गमीटर जमीन लगेगी। इसके जरिए बायो मेडिकल वेस्ट और ई वेस्ट का भी निस्तारण किया जा सकेगा।
बिना इलैक्ट्रिसिटी और फ्यूल के बनता है 850 डिग्री तापमान
प्रेजेंटेशन के दौरान बताया गया कि वेस्ट को मशीन के चैंबर में डाला जाता है। इसके बाद लकड़ी या कपूर के जरिए आग जलाकर हीटिंग दी जाती है। इसके बाद वेस्ट हिटिंग के साथ के मोलक्यूल (कण) छिड़कने लगते है। यानी विघटन प्रक्रिया शुरू होती है। ये न्यूट्रोन , प्रोटोन और इलेक्ट्रॉन बनाते है। थर्मल प्रक्रिया के जरिए तापमान 850 डिग्री तक पहुंचता है। राख नीचे चैंबर में एकत्रित होती है। और पानी के जरिए चैंबर को ठंडा किया जाता है। इस प्रक्रिया से वेट कचरे से निकलने वाला डायोअक्सिन, नाइट्रोजन ऑक्साइड और मेटल आदि रिमूव हो जाते है साथ मिट्टी के कण भी 2.5 माइक्रोन से छोटे बचते है।
ये तस्वीर प्लांट को असेंबल करने के दौरान की है।
करीब 17 लाख रुपए का आएगा खर्च
नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी इंदू प्रकाश ने बताया कि कंपनी की ओर से प्रेजेंटेशन दिया गया है। हमारी प्लानिंग है करीब 100 मीट्रिक टन का प्लांट यहां लगाया जाए। जिसकी लागत करीब 17 लाख के आसपास आएगी। चूंकि ये पॉल्यूशन फ्री है। ऐसे में इसका प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। वर्तमान में नोएडा से करीब 600 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। इसमें घरेलू कचरा 400 मीट्रिक टन, इंडस्ट्री करीब 100 मीट्रिक टन और ई वेस्ट निकलता है। जिनका निस्तारण किया जा रहा है।
ये तस्वीर कूड़ा घर में कचरे को स्टोर करने की है।
ये प्लांट 16 घंटे लगातार काम कर सकता है
अन्य मशीनों की क्षमता करीब 1 से 10 मीट्रिक टन कचरे के निस्तारण की होती है। जबकि इसकी क्षमता करीब 1 मीट्रिक टन से 100 मीट्रिक टन तक कचरे के के निस्तारण की है। ये प्लांट 16 घंटे लगातार काम कर सकता है जबकि अन्य की क्षमता 5 से 6 घंटे की होती है। 100 मीट्रिक टन मशीन पर सालाना फ्यूल और एनर्जी कास्ट करीब 30 लाख आता है जबकि अन्य में ये खर्चा 24 करोड़ तक होता है।
ये तस्वीर सेक्टर-145 की लैंड फिल साइट की है।
इन देशों में यूज हो रही तकनीक
वर्तमान में 151 देशों में इस तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। भारत में भी इस तकनीक का प्रयोग गंगा सफाई के तहत किया जा रहा है। अन्य देशों में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, यूरोपियन कंट्री शामिल है।
श्रेय: स्रोत लिंक
इस बारे में चर्चा post