गूगल को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उसकी उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसे राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय अधिकरण (NCLAT) के आदेश के खिलाफ दायर किया गया है.
Image Credit source: Representational Image
टेक्नोलॉजी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी गूगल को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उसकी उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसे राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय अधिकरण (NCLAT) के आदेश के खिलाफ दायर किया गया है. शीर्ष अदालत ने एनसीएलएटी के उस आदेश का समर्थन किया है, जिसमें प्रतिस्पर्धा नियामक द्वारा इस अमेरिकी कंपनी पर 1337 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था.
गूगल पर लगा था जुर्माना
प्रतिस्पर्धा नियामक ने एंड्रायड मोबाइल डिवाइस इकोसिस्टम में अपनी मजबूत स्थिति का कथित तौर पर गलत इस्तेमाल करने को लेकर गूगल पर यह जुर्माना लगाया था. एनसीएलएटी ने 4 जनवरी के अपने आदेश में प्रतिस्पर्धा नियामक की ओर से गूगल पर लगाए गए 1337 करोड़ रुपये के जुर्माने पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था, जिसके खिलाफ गूगल ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था.
शीर्ष अदालत ने कहा कि बातचीत के स्तर पर यह कहना पर्याप्त होगा कि गूगल के खिलाफ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के निष्कर्ष न तो अधिकार क्षेत्र के बाहर थे और न ही किसी साफ गलती से ग्रस्त थे, ताकि अदालत के हस्तक्षेप की जरूरत पड़े. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला ने अमेरिकी कंपनी को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की ओर से लगाई गई जुर्माना राशि का 10 फीसदी हिस्सा जमा कराने के लिए सात दिन का समय दिया.
गूगल की अपील पर 31 मार्च तक फैसला करने को कहा
शीर्ष अदालत ने एनसीएलएटी से कहा कि वह प्रतिस्पर्धा नियामक के आदेश के खिलाफ गूगल की अपील पर इस साल 31 मार्च तक फैसला करे. सीसीआई के फैसले के खिलाफ अपनी अपील पर न्यायिक फैसला करने का अनुरोध करने के लिए अमेरिकी कंपनी को गुरुवार से तीन कामकाजी दिनों के अंदर एनसीएलएटी के पास जाने के लिए कहा गया. एनसीएलएटी ने 4 जनवरी को प्रतिस्पर्धा नियामक के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था और गूगल से जुर्माना राशि का 10 फीसदी जमा करने के लिए कहा था.
CCI की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन. वेंकटरमन ने कहा कि गूगल वर्ष 2018 में यूरोपीय आयोग द्वारा पारित इसी तरह के निर्देशों का पालन कर रहा है, लेकिन उसे दिक्कत नहीं है. वेंकटरमन ने कहा कि यहां उनके आचरण को देखें, यह अलग है. यूरोप में जरूरी बदलाव करने के बाद वे भारत में इसके विपरीत कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे (गूगल) सुरक्षा के बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन जब आप यूरोप में ऐसा करते हैं, तो आपकी सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है. लेकिन भारत में आपको खतरे हैं. यह लगातार बाजार की गुलामी का प्रतीक है. यह सामंतवादी है.
(भाषा इनपुट के साथ)
श्रेय: स्रोत लिंक
इस बारे में चर्चा post