इन मामलों में अपराधी किसी महिला की ऐसी फोटो का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें उसका चेहरा साफ-साफ नजर आ रहा हो। इसके लिए वह महिला के सोशल मीडिया खातों को खंगालते हैं। महिला के सोशल मीडिया के प्रोफाइल से फोटो न मिलने पर आरोपी महिला के इंस्टाग्राम या वाट्सऐप पर वीडियो फोन करते हैं।
इसके बाद महिला के चेहरे की तस्वीर को निकाल कर किसी फोटो को संपादित करने वाले साफ्टवेयर की मदद से इंटरनेट पर मौजूद किसी अन्य महिला या माडल की आपत्तिजनक तस्वीर के साथ महिला का चेहरा जोड़ देते हैं। फिर महिला को यह फोटो दिखाकर भयादोहन करते हैं, पैसे ऐंठते हैं और अन्य घिनौनी हरकतें करते हैं। ज्यादातर मामलों में आरोपी या तो कोई पहचान वाला होता है। कई बार कोई अनजान भी होता है जो सोशल मीडिया पर नजर रख रहा होता है। ऐसे अपराधों को रोकने के लिए जागरूकता ही एकमात्र उपाय है।
विट्ठल शुक्ला, कानपुर</p>
जनता से खिलवाड़
देश में हर साल की तरह इस साल भी राजधानी दिल्ली में जहर होती हवा अपना खेल शुरू कर चुकी है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक का स्तर 400 के पार तक पहुंच गया है। पिछले कई सालों से इस मुद्दे पर बहुत सारी बहस हुई, प्रदूषण के खतरे के सवाल ने तूल पकड़ा, लेकिन आज जिस तरह दिल्ली की सड़कों पर धुएं की वजह से कुछ दिखाई नहीं पड़ने की नौबत है, वह बताती है कि किसी को इस समस्या का हल करने की जरूरत नहीं लगती।
दिल्ली के लोगों को हर साल हवा में घुले जहर को कुछ इस तरह इस्तेमाल करना पड़ता है जैसे वह जीने के लिए एक जरूरी कारक हो। जबकि इससे सेहत और जीवन पर विपरीत और गहरा असर पड़ता है। जब-जब सरकार से इसका हल निकालने को कहा जाता है, तब-तब सरकारें एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेती हैं। आरोप-प्रत्यारोप के खेल की वजह से हर साल छोटे बच्चे, बुजुर्ग, जवान आदमी सब बीमार पड़ते हैं और कइयों की मौत भी हो जाती है। सरकार में बैठे लोगों का का इस तरह उन आम लोगों को भूल जाना विचित्र है, जिनकी बदौलत वे सत्ता होते हैं। इसका असर अगर चुनाव में पड़ने लगे तब शायद किसी पार्टी को समझ में आए।
जब-जब राजधानी में चुनाव हुए हैं, पार्टियों ने चुनाव जीतने के लिए इस मुद्दे पर कई बड़े वादे किए, लेकिन दिल्ली की जहरीली धुएं की आड़ में वे वादे भी दिखाई नहीं पड़ते और आम जनता को इसकी भरपाई करनी पड़ जाती हैं अपनी सेहत और जिंदगी को बुरी तरह प्रभावित होने देकर। राजनीति के लिए बहुत वक्त मिल सकता है, लेकिन उससे पहले सभी सरकारों को मिल कर इस समस्या का हल निकालना चाहिए, जिससे जनता की जिंदगी बच सके। इस समस्या पर राजनीति लोगों की जान से खिलवाड़ का जीता-जागता उदाहरण होगा।
अजहर नईम, ओखला, नई दिल्ली</p>
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