जेल अधीक्षक मिजाजी लाल ने बताया कि जेल में प्रतिदिन सुबह नौ बजे से 11 बजे तक कक्षाएं लगती हैं, जिसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग से एक महिला तथा एक पुरुष अध्यापक को तैनात किया गया है.
Image Credit source: टीवी 9
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में जेल में बंद हत्याकांड के दोषी कैदी तीस वर्षीय मनोज ने अपनी 10वीं की बोर्ड परीक्षा में 84 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं. अब वह 12वीं कक्षा में अंक प्रतिशत को बेहतर करने की तैयारी कर रहा है. एक निचली अदालत ने 2014 में छह साल के बच्चे की हत्या के लिए उसे मौत की सजा सुनाई थी. जेल में शिक्षा ने उसे सामान्य स्थिति का आभास दिया है. जेल अधीक्षक मिजाजी लाल ने कहा कि पढ़ाई से मनोज को इस बात की एक हल्की उम्मीद भी है कि उच्च न्यायालय उसकी अच्छी पढ़ाई को देखते हुए उसे सजा में रियायत दे दे.
मिजाजी लाल ने कहा कि ‘वह अपने नाम के साथ जुड़े हत्यारे शब्द से परेशान है और पढ़ाई के माध्यम से इसे मिटा कर अपनी एक नई पहचान बनाना चाहता है. उन्होंने बताया कि जेल में 58 महिलाओं सहित 1500 कैदियों में से 250 से अधिक नियमित रूप से अध्ययन करते हैं. यहां की जिला जेल में सैकड़ों की तादाद में कैदी पढ़ाई करके साक्षर हो रहे हैं. यहां के छह कैदी इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के माध्यम से डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में भाग ले रहे हैं. ताकि समाज की मुख्यधारा में लौटने के बाद वे आजीविका कमा सकें.
100 बंदी अब लिखना पढ़ना सीख गए
इसके अलावा जेल में कई कैदी सजा पूरी करने के साथ जेल में व्यवसायिक कार्य करके आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं. जेल अधीक्षक ने बताया कि शाहजहांपुर जेल में बंदी सिलाई, कढ़ाई, जरी जरदोजी का काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस जेल में ऐसे 100 बंदी है जो अब लिखना पढ़ना सीख गए हैं, जबकि 100 बंदी कक्षा 5 से लेकर कक्षा 10 तक की पढ़ाई कर रहे हैं.
सुबह नौ बजे से 11 बजे तक लगती है क्लास
मिजाजी लाल ने बताया कि जेल में प्रतिदिन सुबह नौ बजे से 11 बजे तक कक्षाएं लगती हैं, जिसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग से एक महिला तथा एक पुरुष अध्यापक को तैनात किया गया है. आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी कामराज आर्य, इंटर तक के बंदियों को पढ़ाते हैं. वह स्वयं एमएससी बीएड हैं. उन्होंने बताया कि जेल में बंदियों को नियमित योग कराया जाता है और उनकी छोटी मोटी बीमारियों जैसे सर्दी जुकाम, बुखार आदि के लिए औषधीय पौधे लगाए गए हैं, जिनका बंदी उपयोग करते हैं.
जरी जरदोजी के काम का प्रशिक्षण
जेल अधीक्षक मिजाजी लाल ने बताया कि एक जिला, एक उत्पाद योजना के तहत उन्होंने जेल में महिला बंदियों के लिए जरी जरदोजी के काम का प्रशिक्षण शुरू कराया है. प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद महिलाएं लहंगा, साड़ी, दुपट्टा पर जरी का काम करेंगी और इसकी बिक्री से होने वाली आय से 10 प्रतिशत काटकर पूरा पैसा महिला बंदियों को ही मिलेगा.
सिलाई करके पैसे कमा रहे कैदी
जेल में ही निरुद्ध महिला कैदी कोमल ने बताया कि उन्हें हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा हुई है और उनके पति बरेली की जेल में निरुद्ध हैं. वह जेल में रहकर सिलाई करके 1200 रुपया महीना कमा रही है, जिनके कूपन ले लेती हैं और उन्हें कैंटीन से आवश्यक वस्तुएं लेने में खर्च करती हैं.
इनपुट-भाषा
श्रेय: स्रोत लिंक
इस बारे में चर्चा post