यूएन महासभा प्रमुख ने तालेबान के शासन के दौरान अफ़ग़ानिस्तान में आम जनजीवन की एक भयावह तस्वीर उकेरते हुए ध्यान दिलाया कि देश ने पिछले पाँच दशकों से अनवरत हिंसा को सहन किया है.
संयुक्त राष्ट्र ने अफ़ग़ानिस्तान के लिये चार अरब 40 करोड़ डॉलर की एक मानवीय सहायता अपील जारी की है.
महासभा अध्यक्ष ने कहा कि इस रक़म में अभी दो अरब 30 करोड़ डॉलर की कमी है, जिसे अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा पूरा किया जाना होगा.
कसाबा कोरोसी ने महासभा के पूर्ण सत्र के दौरान सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के लिये अपने भावपूर्ण सम्बोधन में अफ़गान नागरिकों की सहायता को अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के लिये एक नैतिक व व्यावहारिक अनिवार्यता बताया.
उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में समावेशी व सतत शान्ति के लिये समर्थन सुनिश्चित किये जाने के प्रयासों को मज़बूती प्रदान की जानी होगी.
सदस्य देशों ने गुरूवार को अफ़ग़ानिस्तान में हालात पर एक प्रस्ताव भी पारित किया गया, जिसमें देश पर तालेबान का वर्चस्व स्थापित होने के बाद उपजी परिस्थितियों पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है.
प्रस्ताव में अफ़ग़ानिस्तान से सभी द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सन्धियों व समझौतों का पूर्ण रूप से सम्मान व उन्हें क्रियान्वित किये जाने का आग्रह किया गया है.
गुरूवार को पारित प्रस्ताव के पक्ष में 116 वोट डाले गए जबकि पाकिस्तान, चीन, रूस, इथियोपिया, कोरिया गणराज्य, समेत 10 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.
ड्रग्स और आतंक
महासभा प्रमुख ने सचेत किया कि देश में मानव कल्याण और मानवाधिकारों के लिये बेहद विकट हालात हैं, और देश में अब हेरोइन और अफ़ीम की भरमार है.
“संगठित अपराध और आतंकवादी संगठन एक बार फिर फल-फूल रहे हैं. अफ़ग़ानिस्तान जटिल और आपस में गुंथी हुई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिन्हें तालेबान ने दर्शाया है कि वो ना तो सुलझा सकते हैं, और ना ही सुलझाएंगे.”
आर्थिक बदहाली की पृष्ठभूमि में, उन्होंने ध्यान दिलाया कि देश में मादक पदार्थ, नारकोटिक्स सबसे बड़ा सैक्टर बन कर उभरा है.
मादक पदार्थों एवं अपराध पर यूएन कार्यालय के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान में ग़ैरक़ानूनी ढँग से की जाने वाली अफ़ीम खेती में 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
समाधान का समय
उन्होंने कहा कि यह समय अफ़ग़ान लोगों के लिये उन ठोस समाधानों का है, जिनमें अफ़ग़ानिस्तान की जनता को प्राथमिकता दी गई हो.
उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहाँ लड़कियों के लिये पूर्ण शिक्षा के अधिकार को नकारा जा रहा है.
तालेबान के इन बेतरतीब आदेशों से लड़कियों का भविष्य और उनमें निहित सम्भावनाएं अब अनिश्चितता से घिरी हैं.
कसाबा कोरोसी के अनुसार देश में सबसे शक्तिशाली महिलाओं के लिये भी, राष्ट्रपति बनने के सपने की जगह अब बाल विवाह की वास्तविकता ने ले ली है. महिलाएं और लड़कियाँ यदि बिना पुरुष संगी के घर से बाहर निकलती हैं, तो उन्हें गिरफ़्तार किया जा सकता है.
सभी अफ़ग़ान नागरिकों की रक्षा
महासभा प्रमुख ने अफ़ग़ानिस्तान में सभी महिलाओं व लड़कियों के बुनियादी अधिकारों व उनकी स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा की पुकार लगाई है.
उन्होंने तालेबान से लैंगिक, जातीयता, धार्मिक या राजनैतिक आधार पर भेदभाव के बिना, सभी अफ़ग़ानों की सुरक्षा और मानवीय राहत की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित किये जाने का आग्रह किया.
महासभा अध्यक्ष ने कहा कि तालेबान नेताओं को आतंकवाद-निरोधक प्रयासों में गम्भीरतापूर्वक सम्वाद में हिस्सा लेने की आवश्यकता है, ताकि देश में विदेशी चरमपंथियों और अफ़ग़ानों के अन्य देशों में जाकर लड़ाके बनने के प्रवाह को रोका जा सके.
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