पर्थ7 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
एक देश जिसका नाम सही से लेने में भारत-पाकिस्तान की बड़ी आबादी लड़खड़ाती है। जिम्बाब्वे को कोई जिंबाबे बोलता है तो कोई जिम्बाम्बे। जिस तरह इसका नाम हमारी जुबान को ट्विस्ट कर देता है उसी तरह इसकी क्रिकेट टीम खेल के सबसे बड़े टूर्नामेंट, यानी वर्ल्ड कप में कई ट्विस्ट लेकर आती है।
ताजा मिसाल इसके हाथों पर्थ में पाकिस्तान की हार है। इस नतीजे से टी-20 वर्ल्ड कप में सब कुछ उलट-पुलट हो गया है। ग्रुप-2 से कौन सी टीम सेमीफाइनल में जाएगी कहा नहीं जा सकता।
आज की स्टोरी में हम जानेंगे कि एक जमाने में दमदार टीम बनती जा रही जिम्बाब्वे अचानक रसातल में कैसे चली गई और एक भारतीय की मदद से यह फिर से पुराने रुतबे को कैसे हासिल करने में जुटी है।
सबसे पहले वो चौकाने वाली जीत…
पर्थ का मैदान…पाक-जिम्बाब्वे के लाखों दर्शक अपनी-अपनी पसंदीदा टीम को चियर कर रहे थे। इस मुकाबले के रिजल्ट ने क्रिकेट जगत को चौंका दिया। 27 अक्टूबर को खेले इस मुकाबले में जिम्बाब्वे ने पाकिस्तान को एक रन से शिकस्त दी। उसने पहले खेलते हुए 20 ओवर में 8 विकेट पर 130 रन बनाए। जवाब में पाक बल्लेबाज 8 विकेट पर 129 रन ही बना सके। इस हार के साथ पाकिस्तान सेमीफाइनल की होड़ से करीब-करीब बाहर हो गया है।
जीत की तस्वीर…सिकंदर रजा प्लेयर ऑफ द मैच रहे थे। उन्होंने 3 विकेट चटकाए।
लालचंद राजपूत ने किया टीम का कायापलट
जिम्बाब्वे की टीम के कायापलट में पूर्व भारतीय कोच लालचंद राजपूत का हाथ है। ये वही कोच हैं जिन्होंने टीम इंडिया को 2007 में वर्ल्ड चैंपियन बनाया था। राजपूत 2018 में जिम्बाब्वे की टीम के कोच बने थे। तब टीम औसत से भी कम थी।
अपनी टीम की जीत पर राजपूत कहते हैं कि टीम अब अच्छी बन गई है। जब मैं जुड़ा था तब टीम काफी कमजोर थी और प्रदर्शन निराशाजनक था। हम (2019) वर्ल्ड कप के लिए भी क्वालिफाई भी नहीं कर पाए थे। फिर हमने काफी मेहनत की। टीम में युवा खिलाड़ी आए हैं और सीनियर खिलाड़ी भी मौजूद हैं। तो दोनों का मिश्रण काफी अच्छा है। हमारी गेंदबाजी अच्छी हो गई है और हमने फील्डिंग पर भी काम किया है। पाकिस्तान के खिलाफ आपने देखा कि हमारी फील्डिंग और बालिंग कितनी शानदार थी और इसकी वजह से ही हमने मैच जीता।
राजपूत ने कहा- ‘भारतीय टीम के साथ उस वक्त काम करने का अनुभव काम तो आया ही है। हमने टीम के खिलाड़ियों को उसी तरह से तैयार किया, लेकिन मैदान पर खिलाड़ियों को अपना सौ प्रतिशत देना होता है। हम लोग टीम को मानसिक तौर पर बेहतर बना सकते हैं और विपक्षी टीम के खिलाफ प्लानिंग बना सकते हैं, जिससे टीम को मदद मिलती है।’
अर्श से फर्श और फर्श से अर्श तक की कहानी…
एंडी फ्लावर-ग्रांट फ्लावर जैसे खिलाड़ी थे
2003 वर्ल्ड कप से पहले तक टीम जिम्बाब्वे अच्छी मानी जाती थी। उसके पास एंडी फ्लावर, ग्रांट फ्लावर जैसे खिलाड़ी थी। पहले नील जॉनसन, मरे गुडविन, पॉल स्ट्रैंग, हेनरी ओलोंगा और हीथ स्ट्रीक भी टीम का हिस्सा रह चुके हैं। टीम ने कई अहम जीत भी हासिल की हैं। 1999 और 2003 के वनडे वर्ल्ड कप में टीम सुपर सिक्स में पहुंची थी। हालांकि, टीम कम रन रेट के कारण 1999 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में हिस्सा बनाते-बनाते रह गई थी।
2003 के वर्ल्ड कप में जिम्बाब्वे के आखिरी सुपर-8 मुकाबले में एंडी फ्लावर ने 38 रन बनाए थे। हालांकि टीम वह मैच श्रीलंका से 74 रन से हार गई थी। उसके बाद भी सुपर-6 में जगह बनाने में कामयाब रही थी। टीम छठवें नंबर पर रही थी।
इस पर कोच कहते हैं तब खिलाड़ी अच्छे थे। इस कारण टीम बड़ी टीमों को टक्कर दे देती थी।
यह तस्वीर 1999 वर्ल्ड कप में जिम्बाब्वे के आखिरी सुपर-8 मुकाबले की है। तब टीम पाकिस्तान से 148 रन से हारी थी और -0.266 के रन रेट के कारण सेमीफाइनल में प्रवेश करने से चूक गई थी।
…और गिरता गया प्रदर्शन
2004 से 2007 के बीच बड़े खिलाड़ियों के जाने के बाद टीम का प्रदर्शन गिरता गया। वहां का क्रिकेट बद से बदतर हो गया। 2019 वर्ल्ड कप के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाने के कारण सरकार ने वहां के क्रिकेट बोर्ड को निलंबित कर दिया और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने जिंबाब्वे को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से 6 महीने के लिए निलंबित भी कर दिया।
पाकिस्तान की जीत गेंम चेंजर होगी
कोच कहते हैं, ‘मेरा टारगेट टीम को सुपर-12 के लिए क्वालिफाई करना था। अब जो मिल रहा है वह उम्मीद से बेहतर है। हां, मैं इतना जरूर कहूंगा कि पाकिस्तान के खिलाफ मिली जीत जिम्बाब्वे के क्रिकेट के लिए गेम चेंजर साबित होगी।’
श्रेय: स्रोत लिंक
इस बारे में चर्चा post