कानपुर22 मिनट पहले
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कृषि वैज्ञानिकों ने अलसी को लेकर एडवाइजरी जारी की
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) ने अलसी को लेकर एडवाइजरी जारी की है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. नलिनी तिवारी ने बताया कि देश की अर्थव्यवस्था में तिलहनी फसलें खाद्यान्न के बाद दूसरा स्थान रखती हैं। देश में जलवायु की विभिन्नता के कारण कई तिलहनी फसलें उगाई जाती हैं। इन तिलहनी फसलों में राई और सरसों के बाद अलसी का प्रमुख स्थान है।
उत्पादन में देश का 5वां स्थान
उन्होंने बताया कि अलसी के क्षेत्रफल में भारत तीसरे स्थान पर है। जबकि उत्पादन की दृष्टि से देश का दुनियां में 5वां स्थान है। क्षेत्रफल में भारत का स्थान चीन के साथ और कनाडा एवं कजाकिस्तान के बाद आता है। जबकि उत्पादन में कनाडा, कजाकिस्तान, चीन और यूएसए के बाद आता है। हमारे देश की अलसी का कुल क्षेत्रफल 2.94 लाख हेक्टेयर और उत्पादन 1.54 लाख टन एवं उत्पादकता 525 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है।
यूपी में यहां होती है अलसी की खेती
नलिनी ने बताया कि यूपी में अलसी का क्षेत्रफल उत्पादन एवं उत्पादकता 0.32 लाख हेक्टेयर, 0.17 लाख टन और 531 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। यूपी में अलसी की खेती बुंदेलखंड के जालौन, हमीरपुर, बांदा, झांसी,ललितपुर, कानपुर नगर, कानपुर देहात, बस्ती, प्रयागराज, वाराणसी, मिर्जापुर आदि में की जाती है।
दो तरीकों से कर सकते हैं खेती
उन्होंने बताया कि अलसी की खेती जैविक एवं अजैविक दोनों प्रकार से की जा सकती है। इस समय अलसी की बुवाई का समय चल रहा है। किसान 20 नवंबर तक अलसी की बुवाई कर सकते हैं। किसान इसे असिंचित, सिंचित दशा में अलसी के बीज की बुवाई कर दें। अलसी के बारे में महात्मा गांधी ने कहा था कि जिस घर में अलसी का सेवन होता है, वह घर निरोगी होता है।
प्रोटीन, खनिज से भरी होती है अलसी
अलसी के बीज में तेल 40 से 45 फीसदी, प्रोटीन 21, खनिज 3, कार्बोहाइड्रेट 29, ऊर्जा 530 किलोग्राम कैलोरी, कैल्शियम 170 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम, लोहा 370 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम होती है। इसके अलावा कैरोटीन, थायमीन,राइबोफ्लेविन एवं नाएसीन भी होता है। अलसी के छिलके में मुएसिटेड होता है जिससे सर्दी, जुखाम, खांसी एवं खराब में फायदा होता है। अलसी में लिगनेन नामक एंटीऑक्सीडेंट होता है जो एक प्लांट एस्ट्रोजन होता है।
यह कैंसररोधी होता है और ट्यूमर की ग्रोथ को रोकता है। अलसी के बीज में खाद्य रेशा भी होता है जो कब्ज और रक्त में शर्करा के स्तर को नियमित करने में सहायक एवं कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार होता है। अलसी से प्राप्त प्रोटीन में सभी एमिनो एसिड पाए जाते हैं।
कागज भी किया जाता है तैयार
उन्होंने बताया कि इसके साथ ही इसकी लकड़ी के टुकड़ों से लुगदी बनाकर अच्छी गुणवत्ता वाले कागज तैयार किए जाते हैं। विश्वविद्यालय ने अलसी के बीज वाली प्रजातियां एवं दो उद्देश्य प्रजातियां विकसित की गई हैं। किसान इनका प्रयोग अपने खेत में कर अपनी आय पा सकते हैं। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि बीज उद्देश्य प्रजातियां इंदु,उमा, सूर्या,शेखर,अपर्णा,शीला, सुभ्रा,गरिमा आदि हैं जबकि दो उद्देश्य के लिए शिखा, रश्मि, पार्वती, रुचि, राजन एवं गौरव हैं।
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