Edited By Jyoti,Updated: 01 Nov, 2022 02:42 PM
हमारे हिंदू धर्म के पर्व व त्योहार की बात करें तो इसमें न केवल देवी-देवता से जुड़े पर्व व त्योहार मनाए जाते हैं बल्कि वृक्ष, पौधों आदि से संबंधित भी कई पर्व हैं। जिसमें पेड़-पौधों की न केवल पूजा आदि की जाती है, बल्कि इन्हें समर्पित व्रत भी रख जाते…
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हमारे हिंदू धर्म के पर्व व त्योहार की बात करें तो इसमें न केवल देवी-देवता से जुड़े पर्व व त्योहार मनाए जाते हैं बल्कि वृक्ष, पौधों आदि से संबंधित भी कई पर्व हैं। जिसमें पेड़-पौधों की न केवल पूजा आदि की जाती है, बल्कि इन्हें समर्पित व्रत भी रख जाते हैं। इन्हीं में से एक है आंवला नवमी का व्रत, जो प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पड़ता है। हिंदू पंचांग के अनुसार आंवला नवमी का ये पर्व देवउठनी एकादशी से ठीक 2 दिन पहले मनाया जाता है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने व आंवला पेड़ की पूजा करने से व्यक्ति को अपने पापों से मुक्ति मिलती है। बता दें इस साल आंवला नवमी का पर्व 2 नवंबर 2022 दिन बुधवार को मनाया जा रहा है। ज्योतिष विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं जिस कारण इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है।
तो आइए जानते हैं आंवला नवमी की तिथि व शुभ मुहूर्त से शुभ योग तथा महत्व तक की जानकारी-
पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 1 नवंबर, मंगलवार की रात 11:04 से 02 नवंबर की रात 09:10 तक रहेगी। चूंकि नवमी तिथि का सूर्योदय 2 नवंबर को होगा, इसलिए इसी दिन ये पर्व मनाया जाएगा। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र होने से मित्र और शतभिषा नक्षत्र होने से मानस नाम के 2 शुभ योग रहेंगे। इनके अलावा वृद्धि योग भी इस दिन बनेगा।
आंवला नवमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा सुबह 06:34 से दोपहर 12:04 बजे तक.. पूजन के लिए कुल अवधि रहेगी 5 घंटे 31 मिनट
इस दिन पूजा ऐसे करें पूजा-
नवमी तिथि की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें ।
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सबसे पहले आंवली वृक्ष की परिक्रमा करें और इसके बदा हल्दी, कुमकुम, फल-फूल आदि चीजें चढ़ाएं।
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आंवला वृक्ष की जड़ में जल और दूध मिलाकर अर्पित करें।
आंवले के पेड़ के तने में कच्चा सूत या मौली लपेटते हुए आठ बार परिक्रमा करें।
इस तरह पूजा करने के बाद व्रत की कथा पढ़े या सुनें।
संभव हो तो परिवार के सभी सदस्य इस दिन आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर ही भोजन करें। इस दिन ब्राह्मण महिला को सुहाग का समान, खाने की वस्तुएं और पैसे दान में देना शुभ माना जाता है।
आंवला नवमी 2022 का महत्व-
आंवला नवमी के दिन दान पुण्य का काफी अधिक महत्व है। माना जाता है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के पेड़ में विराजमान रहते हैं। इसलिए अक्षय नवमी के दिन विधिवत आंवला के पेड़ की पूजा करने के साथ इसकी छाया में बैठकर भोजन करना शुभ माना जाता है। इस दिन आंवला के पेड़ की पूजा करने के साथ 108 बार परिक्रमा करने से सभी कामनाएं पूर्ण हो जाती है। इसके साथ ही इस दिन व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है।
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