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- Eight Bhava… It Is Very Difficult To Find The Best Family, Association, Religion And Guru In These: Suprabh Sagar
विदिशाएक घंटा पहले
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मुनि सुप्रभ सागर महाराज, मुनि प्रणत सागर महाराज मुनि सौम्य सागर महाराज के सान्निध्य में 25 मंडलीय श्री समवशरण विधान का आयोजन परिणय गार्डन में किया जा रहा है। आयोजन 14 अक्टूबर तक लगातार सुबह 6.30 से 11 बजे तक चलेगा। प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया कि गुरुवार को घटयात्रा निकाली गई। ध्वजारोहण आनंद कुमार, आदेश कुमार जैन परिवार द्वारा किया गया। ध्वज पश्चिम दिशा की ओर निकाला गया । उसके पश्चात मंडप शुद्धि कर मुनिद्वय प्रणत सागर महाराज का 10वां दीक्षा दिवस एवं मुनि सौम्य सागर महाराज का छठवां दिवस मनाया गया।
मुनिसंघ के पाद प्रच्छालन का सौभाग्य सुरेश चंद्र जैन ने लिया। उनके साथ श्रमण चेतना मंच के अध्यक्ष संजय सेठ, प्रवक्ता अविनाश जैन ने पाद प्रच्छालन कर पुण्य अर्जित किया। तत्पश्चात भक्तिभाव से आचार्य विशुद्ध सागर की पूजा-अर्चना की गई। प्रत्येक अर्घ्य में अलग- अलग मंडलों द्वारा अर्घ्य समर्पित किए गए। मुनिसंघ को शास्त्र भेंट किए गए।
गुरु के आशीर्वाद ने हमें योग्य बना दिया
यह इसी बात से जान लो कि मनुष्य पर्याय के मात्र आठ भव मिलते हैं। उन आठ भवों में भी उत्तम कुल, उत्तम संगति, उत्तम धर्म, उत्तम गुरु का मिलना बहुत कठिन है। उन्होंने अपने आपको सौभाग्यशाली मानते हुए कहा कि गुरुदेव की कृपा ने हमें इस योग्य बना दिया कि कल का अक्षय आज सौम्य सागर के रूप में आपके सामने हैं। आचार्यश्री से अभी तक 45 मुनि दीक्षित हो चुके हैं। दीक्षा के इस क्रम में अभी मात्र 6 वर्ष निकले हैं। चरित्र की महिमा और गुरु के आशीर्वाद ने हमें इस योग्य बना दिया।
दो मुनिराज मेरे अनुज समान हैं
इस अवसर पर मुनिद्वय के दीक्षा दिवस पर वरिष्ठ मुनि सुप्रभ सागर महाराज ने कहा कि आज के दिन जिन भव्य जीवों ने निर्ग्रंथ दीक्षा धारण की थी, उन सभी मुनिराजों का समय हो गया है संसार को पार करने का। उन्होंने कहा कि भले ही कितना ही खोटा पंचम काल हो लेकिन वह सभी मुनिराज सप्तम गुण स्थानवर्ती मुनिराज हैं। उनमें से दो मुनिराज मेरे अनुज समान हैं। हमने न जाने उनको कितनी बार डांटा होगा। उन्होंने दीक्षा दिवस पर मुनिद्वय से क्षमा मांगते हुए कहा कि यह संयोग और नियोग ही होता है कि कहां भिंड और कहां मालथौन और कहां सोलापुर में जन्म लेकर हम आज एक ही मंच पर आचार्य भगवन की कृपा से नगर में हैं।
विषमता और विपरीत परिस्थितियों में हमारी दीक्षा हुई: मुनिश्री
मुनि प्रणत सागर महाराज ने कहा कि विषमता और विपरीत परिस्थितियों में हमारी दीक्षा हुई। कहां भिंड और कहां विदिशा। उन्होंने कहा कि गुरु आज्ञा हुई कि आपको मुनि सुप्रभ सागर के साथ विहार करना है तो मैं हतप्रभ था। उन्होंने कहा कि गुरुदेव की आज्ञा से लगभग 5 साल निकल गए हैं लेकिन प्रति क्षण गुरुदेव का स्मरण रहता है। उन्होंने कहा कि रत्नात्रय की प्राप्ति के लिए भावों की विशुद्धि अंत समय तक बनी रहे एवं गुरु चरण सान्निध्य में समाधिमरण हो। यही मंगल भावना रखते हुए गुरुदेव को साक्षात मानते हुए नमोस्तु किया। इस अवसर पर मुनि सौम्य सागर ने कहा कि मनुष्य पर्याय मिलना कितना मुश्किल है।
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