बांका5 घंटे पहले
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अस्पताल में गोल्डन कार्ड बनवाते लाभुक।
- जिले में डेढ़ लाख लोगों का बन चुका है गोल्डन कार्ड, लेकिन लोगों को लाभ लेने के लिए जाना पड़ता है बाहर
बांका में आयुष्मान भारत योजना के तहत गोल्डन कार्ड बनाने की प्रक्रिया काफी धीमी चल रही है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के 10 लाख 36 हजार 307 लोगों को आयुष्मान गोल्डन कार्ड बनाया जाना है। लेकिन सभी 11 प्रखंडों में अबतक महज 1 लाख 43 हजार 328 लोगों का गोल्डन कार्ड बनाया गया है। जबकि बांका नगर परिषद व अमरपुर नगर पंचायत क्षेत्र में 4 हजार 838 लाभुकों का गोल्डन कार्ड बनाया गया है। वहीं जिले में मानक के अनुरूप एक भी प्राइवेट अस्पताल ऐसा नहीं है, जो आयुष्मान भारत योजना के तहत टैग हो। अगर लाभुक को सरकारी अस्पताल में इलाज की सुविधा नहीं मिलती है तो उन्हें दूसरे बड़े शहरों की ओर ही रूख करना पड़ता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कटोरिया प्रखंड के एक अस्पताल को आयुष्मान भारत योजना के तहत जोड़ने की कवायद चल रही है, लेकिन राज्य स्तर पर फाइल अटकी पड़ी है। यह आई स्पेशलिस्ट अस्पताल है। जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्राइवेट अस्पतालों को लाइसेंस दिया जा रहा है, लेकिन ऐसा एक भी अस्पताल नहीं है, जिन्हें आयुष्मान भारत योजना के तहत पैनल में शामिल किया जा सके। पिछले दो सालों में 6 से 7 अस्पतालों द्वारा अप्लाई किया गया, लेकिन एक भी प्राइवेट अस्पताल को पैनल में शामिल नहीं किया गया। डीपीसी पवन कुमार ने बताया कि प्राइवेट अस्पतालों को मानक पर खरा उतरने के बाद ही आयुष्मान भारत योजना के तहत पैनल में शामिल किया जाएगा।
5 लाख रुपए तक कैशलेस इलाज करा सकते हैं लाभुक
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत लाभार्थी परिवार पैनल में शामिल सरकारी या निजी अस्पतालों जो सरकार द्वारा चिन्हित हो, में प्रति वर्ष 5 लाख रुपए तक कैशलेस इलाज करा सकते हैं। योजना का लाभ उठाने के लिए उम्र की बाध्यता एवं परिवार के आकार को लेकर कोई बंदिश नहीं है। योजना को संचालित करने वाली नेशनल हेल्थ एजेंसी ने एक वेबसाइट और हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। आयुष्मान भारत योजना में 60 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार और 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकार प्रदान करती है। ज्ञात हो कि आयुष्मान भारत योजना के तहत वर्ष 2011 के सामाजिक-आर्थिक एवं जातिगत जनगणना में चिन्हित गरीब परिवारों को इस योजना का पात्र बनाया गया था। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत लाभार्थी परिवार पैनल में शामिल सरकारी या निजी अस्पतालों जो सरकार द्वारा चिन्हित हो, में प्रति वर्ष 5 लाख रुपए तक कैशलेस इलाज करा सकते हैं। प्रदूषण सर्टिफिकेट के साथ-साथ बायो डस्ट सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त कई अन्य चीजें हैं, उन सभी मानकों को पूरा करने के बाद ही उन्हें लाइसेंस निर्गत किया जाता है। प्राइवेट अस्पताल के चिकित्सक के पास मेडिकल काउंसिल या बिहार मेडिकल ऑफ काउंसिल का सर्टिफिकेट होना अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त जिस स्पेशलिस्ट अस्पताल के लिए अप्लाई किया गया हो, उससे संबंधित एचआर होना चाहिए।
10594 लाभुकों ने लिया है आयुष्मान का लाभ
जिले में करीब डेढ़ लाख लोगों का गोल्डन कार्ड बना है। इनमें कई लाभुकों को योजना का लाभ मिला है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बांका जिले के 10 हजार 594 लाभुकों ने देश के कई हिस्सों के पैनल में शामिल प्राइवेट व सरकारी अस्पतालों में इलाज कराया है। जिसके लिए सरकार ने इन अस्पतालों को 12 करोड़ रुपए भुगतान किया है। लेकिन अभी भी हजारों लाभुक ऐसे हैं, जिनका गोल्डन कार्ड नहीं बना है।
जल्द ही प्राइवेट अस्पताल होगा टैग
अभी तक एक भी प्राइवेट अस्पताल आयुष्मान भारत योजना के तहत टैग नहीं किया गया है। मानक पर खरा उतरने के बाद ही प्राइवेट अस्पताल को योजना के तहत टैग किया जाएगा।
– डॉ. अभय प्रकाश चौधरी, प्रभारी सीएस बांका
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