दीप चंद्र बेलवाल, हल्द्वानी : मुठभेड़ में जसपुर के ज्येष्ठ ब्लाक प्रमुख कीपत्नी की हत्या और छह पुलिस कर्मियों के घायल होने के मामले ने पूरे कुमाऊं को हिला दिया है। वारदात के पीछे असली वजह 50 हजार का इनामी बदमाश जफर है।
ऊधमसिंह नगर को खनन के लिहाज से देखें तो यह खनन बाहुल्य क्षेत्र है। सितारगंज से सुल्तानपुर पट्टी तक सभी थाना व चौकी खनन क्षेत्र में हैं। इसलिए थानों में माफियाओं का दबदबा है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि इन क्षेत्रों में खनन हो और पुलिस को कुछ पता ही न चले।
जसपुर के ज्येष्ठ ब्लाक प्रमुख गुरजात सिंह भुल्लर की पत्नी गुरप्रीत कौर की हत्या ने ऊधमसिंह नगर पुलिस की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। ठाकुरद्वारा की पुलिस व एसओजी ने ऊधमसिंह नगर के भरतपुर गांव में दबिश दी, लेकिन कुंडा थाने में आमद नहीं कराई।
सवाल उठ रहा है कि कहीं उत्तरप्रदेश पुलिस को सूचना लीक होने का डर तो नहीं था। पुलिस की मंशा इस ओर भी इशारा कर रही है कि वह 50 हजार के इनामी बदमाश जफर को गिरफ्तार कर चुपचाप लेकर तो नहीं जाना चाहती थी। हालांकि अभी तक यह भी सामने नहीं आया है कि जफर घर में था या नहीं।
डीआइजी डा. नीलेश आनंद भरणे ने पूरे मामले में ठाकुरद्वार पुलिस की गलती बताई है। उनका कहना है कि पुलिस ने दबिश से पहले आमद करानी थी। घर में अचानक असलहों के साथ जाना बिल्कुल गलत है। इधर, बात ऊधमसिंह नगर में खनन की होती है तो पुलिस की लापरवाही सामने आती रही है।
तत्कालीन डीएस कुंवर ने खनन के मामले में पूरी सुल्तानपुर पट्टी चौकी को निलंबित कर दिया था। आईटीआई, कुंडेश्वरी, कुंडा, बाजपुर, सुल्तानपुर पट्टी, सितारगंज व किच्छा तक पुलिस की मिलीभगत से खनन होता है।
हरिद्वार से लौटे डीआइजी भरणे ने संभाला जनाक्रोश
काशीपुर के भरतपुर गांव में ज्येष्ठ ब्लाक प्रमुख की पत्नी गुरप्रीत कौर की हत्या की जानकारी मिलते ही डीआइजी डा. नीलेश आनंद भरणे मौके पर पहुंच गए थे। जिस समय वारदात हुई डीआइजी देहरादून में किसी आवश्यक कार्य से जा रहे थे। सूचना मिलते ही उन्होंने हरिद्वार से अपनी कार को मोड़वा दिया और मौके पर पहुंचकर तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए। आक्रोशित लोगों को मनाने के लिए वह खुद धरने पर बैठ गए थे।
छीनाझपटी के बाद चली गोली
प्रथमदृष्टया मुठभेड़ के पीछे छीनाछपटी की बात सामने आ रही है। उप्र पुलिस के घर में घुसते ही दोनों पक्षों में छीनाछपटी हो गई। इसका वीडियो भी इंटरनेट मीडिया में वायरल हो रहा है। जिसमें पुलिस व स्वजनों के बीच छीनाछपती हो रही है। इसके कुछ देर बाद ही गोली चल जाती है। वीडियो तो साफ नहीं दिख रही, लेकिन गुरप्रीत को गोली लगने की बात एक युवक कर रहा है।
पुलिस भी नहीं बच सकी माफियाओं से
पुलिस खुद भी माफियाओं से नहीं बच सकी है। छह साल में 45 बार पुलिस पर खनन माफिया हमला कर चुके हैं। हालांकि किसी पुलिस कर्मी की जान नहीं गई।
केस-1
दिसंबर 2018 में बरहैनी के बौर नदी में अवैध खनन रोकने गई पुलिस टीम पर हमला हुआ था। इस दौरान सिपाही चंदन घायल हुआ था और माफिया टै्रक्टर-ट्राली छुड़ा ले गए थे।
केस-2
दिसंबर 2016 को कुंडेश्वरी पुलिस पर जुड़का पहुंची थी। खेत में अवैध खनन करने पर टीम पर हमला हुआ। जिसमें सिपाही नरेंद्र चोटिल हो गया था।
केस-3
दिसंबर 2019 को काशीपुर में दारोगा संदीप पिलखवाल बुलेट से खनन रोकने गए थे। माफिया ने ट्रैक्टर-ट्राली से उन्हें रौंदने का प्रयास किया। इस दौरान उनका पैर फ्रैक्चर हुआ था।
केस-4
दिसंबर 2017 को काशीपुर में खनन माफिया ने कोतवाल समेत पांच दारोगाओं पर जानलेवा हमला किया था। तब फायरिंग कर दहशत फैलाई गई थी। हमले में कई घायल हुए थे।
ठाकुरद्वारा पुलिस की लापरवाही आ रही सामने
डीआइजी डा. नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि ज्येष्ठ ब्लाक प्रमुख की पत्नी की हत्या में ठाकुरद्वारा पुलिस की लापरवाही सामने आ रही है। पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जा रही है। आरोपितों को बख्शा नहीं जाएगा। रही ऊधमसिंह नगर में खनन की बात तो खनन पर पुलिस सख्त है। माफियाओं पर पूरी तरह से शिकंजा कसा गया है।
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Edited By: Skand Shukla
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