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- Started From A Laundry, The World Was Given The First Intelligent And Marine Waste Shoe
2 घंटे पहलेलेखक: आतिश कुमार
सवा सौ साल पहले बिग डॉग शू फैक्टरी में क्रिस्टन डेसलर जूतों की सिलाई करते थे। उनकी कमाई से परिवार का जीवन-यापन संभव नहीं था, इसलिए उनकी पत्नी एक छोटी सी लॉन्ड्री चलाती थी। डेसलर दंपती के दो बेटे थे- एडोल्फ और रुडोल्फ, जिनके घरेलू नाम एडी और रूडी। दोनों भाई एथलेटिक्स के शौकीन थे। एडी पिता द्वारा बनाए स्पोर्ट्स शू की फिटिंग से कभी खुश नहीं होता था। वो सोचता था कि ऐसे शू पहनकर कैसे कोई खिलाड़ी मैदान में अच्छा परफॉर्म कर सकता है। सन 1920 में 20 साल की उम्र में एडी ने कैनवास से अपने जूते खुद बनाए। ये शूज एडी को खेल के मैदान में काफी कम्फर्टेबल लगे तो एडी अपने दोस्तों के लिए भी शूज बनाने लगा, जिन्हें खूब पसंद किया गया। इसी एडी की कंपनी एडिडास ने आज अपने सेलिब्रिटी पार्टनर कान्ये वेस्ट से अपनी पार्टनरशिप खत्म कर ली है। वजह कान्ये द्वारा की गई आपत्तिजनक और यहूदी विरोधी टिप्पणियों को बताया गया है।
आज मेगा एम्पायर में जानिए यूरोप की सबसे बड़ी शू मेकर कंपनी एडिडास की कहानी
लॉन्ड्री को बनाया था वर्कशॉप, वर्ल्ड वॉर 2 से पहले बेच दिए 28 लाख जूते
एडी के बनाए जूते जब उसके दोस्तों को भी पसंद आने लगे तो उसने अपने भाई रूडी के साथ स्पोर्ट्स शूज फैक्टरी खोलने का निर्णय लिया। दोनों भाइयों ने फैसला तो ले लिया लेकिन उनके पास संसाधन नहीं थे। तब दोनों ने लॉन्ड्री रुम को ही अपना वर्कशॉप बनाया। बहुत जल्दी उनके बनाए शूज जर्मनी में लोकप्रिय हो गए। एडी और रूडी ने थोड़ा पैसा कमाया तो 1 जुलाई, 1924 को उन्होंने एक कंपनी डेसलर ब्रदर्स का गठन किया। सन 1928 में समेस्टर्डम ओलिंपिक में पहली बार खिलाड़ियों ने डेसलर ब्रदर्स के शूज पहने। सन 1936 में बर्लिन में आयोजित समर ओलिंपिक में अमेरिकी एथलीट जेस्सी ओवेंस डोसलर शू पहनकर मैदान में उतरा। हिटलर की उपस्थिति में खेले गए इस टूर्नामेंट में जेस्सी ने चार स्वर्ण पदक हासिल किए। इसके बाद डोसलर शूज की मांग बढ़ गई। वर्ल्ड वॉर 2 के पहले एडी व रूडी ने 28 लाख जूते बेचने का रिकॉर्ड बनाया; पर वॉर ने सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। दुनिया को वॉर के प्रभाव से मुक्त होने में दस साल लग गए।
अनबन से अलग हुए दोनों भाई और फिर जन्मी एडिडास
एडोल्फ डेसलर अपने एडिडास जूते के साथ
वॉर की शांति के बाद सन 1947 में एडी व रूडी ने 50 कारीगरों के साथ कारोबार को फिर से शुरू किया, पर इसी साल दोनों भाइयों में अनबन हो गई। एडी व रूडी नाजी पार्टी के सदस्य थे। रूडी पार्टी में ज्यादा सक्रिय थे। उन्हें अमेरिकन फौज ने गिरफ्तार किया तो इसके लिए रूडी ने एडी को दोषी माना और भाई से नाता तोड़कर अपनी अलग कंपनी ‘पूमा’ स्थापित की। इसके बाद एडी भी नहीं रूके, उन्होंने भी अपने निकनेम एडी के साद डेसलर के शुरुआती तीन शब्द जोड़कर ‘एडीडास’ के नाम से जूते बनाकर बेचने लगे।
एडिडास के तीन स्ट्राइप वाले लोगो का क्या है मतलब?
सन 1967 में एडी डेसलर ने अपनी कंपनी के लिए तीन स्ट्राइप वाला लोगो खुद तैयार किया था। लोगो की स्ट्राइप्स पहाड़ का प्रतिनिधित्व करती हैं। जो ऊंचाई और लक्ष्य की ओर संकेत करती है। सन 1997 में एडीडास के क्रिएटिव डायरेक्टर पीटर मुरे ने इस लोगो की रीइंजीनियरिंग की। फिर सन 2005 में भी इसे और सरल बनाया गया, जो आज मार्केट लीडरशिप का आत्मविश्वास दर्शाता है।
खेल बढ़ते चले गए और एडिडास के जूते बिकते चले गए
सन 1954 में आयोजित फीफा वर्ल्ड कप में जर्मन टीम एडीडास के स्क्रू-इन-स्टड्स शूज पहनकर मैदान में उतरी थी और उसने हंगरी को हरा दिया। इसके बाद तो एडी ट्रेनिंग शूज के गॉडफादर बन गए। वर्ल्ड वॉर 2 की उदासी व हताशा को दूर करने में स्पोर्ट्स ने अहम भूमिका निभाई थी। एडी ने इस अवसर को समझा और शूज सहित अपने अन्य स्पोर्ट्स प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता बढ़ाई। एडी पहले उद्यमी भी हैं, जिन्होंने एडीडास ब्रांड के प्रमोशन के लिए स्टार खिलाड़ियों के साथ डील साइन की। दुनिया के अपने जमाने के कई नामी एथलीट्स जैसे जेस्सी ओवेंस, मोहम्मद अली ने एडीडास प्रोडक्ट्स को प्रमोट किया।
प्रचार की धूम, पेटेंट का फंडा
एडी ने आक्रामक प्रचार-प्रसार पर खूब खर्च किया। सन 1972 में हुई फाइट ऑफ सेंचुरी के दोनों योद्धा मोहम्मद अली और जो फ्रेजियर एडीडास के शूज पहनकर ही बॉक्सिंग रिंग में उतरे थे। इसी साल एडीडास म्यूनिख ओलिंपिक का अधिकृत सप्लायर बना। एडीडास पहला स्पोर्ट्स ब्रांड भी है, जिसने नॉन एथलीट्स हिप-हॉप ग्रुप रन-डीएसी को भी प्रमोट किया। इस ग्रुप के एक अलबम ‘माई एडीडास’ ने ’80 के दशक में खूब धूम मचाई। मार्केटिंग गुरु कहते हैं कि एडीडास के प्रतिद्वंद्वी नाइकी के लिए, जो माइकल जोर्डन ने किया, वही करिश्मा एडीडास के लिए एन-डीएमसी ने दोहराया। सन 1978 में 78 वर्ष की उम्र में एडी का जब निधन हुआ तो उनके पास स्पोर्ट्स शूज व अन्य स्पोर्ट्स हार्डवेयर के 700 से ज्यादा पेटेंट्स थे। वे पहले गैर-अमेरिकन उद्योगपति भी बन गए थे, जिनके उत्पाद अमेरिकन मार्केट में भी स्थापित हो चुके थे।
फ्रेंच उद्योगपति ने जब कारोबार संभाला तो ब्रांड बना मार्केट लीडर
एडी के निधन के बाद उनकी पत्नी कैथ डेसलर ने कारोबार संभाला। 6 साल बाद उनका निधन हुआ तो पुत्र होर्स्ट डेसलर एडीडास के सर्वेसर्वा बने, पर 1987 में मात्र 51 साल की उम्र में उनका भी निधन हो गया। इसके बाद कंपनी ने बुरे दिनों का सामना किया, जिससे फ्रेंच उद्योगपति बर्नार्ड टेपी ने उबारा। सन 1989 में एडीडास एक कॉर्पोरेशन में बदला गया और एक बार फिर अपनी जड़ों को लौटते हुए बेस्ट क्वालिटी के स्पोर्ट्स शूज बनाने लगा। जनवरी 2006 में रिबोक इंटरनेशनल को अधिग्रहीत करके एडीडास ग्लोबल फुटवियर मार्केट का लीडर बन गया था। हालांकि 2021 में रिबोक को एडिडास से ऑथेंटिक ब्रांड्स ग्रुप ने 20 हजार करोड़ रूपए में खरीद लिया।
एडिडास ने 2005 में पहला माइक्रोप्रोसेसर लगा हुआ जूता लॉन्च किया
रिबोक को अधिग्रहित करने से पहले एडीडास डिआड्रेंट्स, परफ्यूम, आफ्टर शेव लोशन जैसे कई अन्य प्रोडक्ट्स बनाने लगा था। एडीडास का हेडक्वार्टर जर्मनी में था लेकिन उसका कारोबार पर कई देशों में फैल चुका था। इसी दौरान एडिडास फुटवियर मार्केट में एक नई क्रांति लेकर आया। 2005 में कंपनी ने पहला माइक्रोप्रोसेसर लगा जूता एडीडास वन लॉन्च किया। सारी दुनिया में पहले इंटेलीजेंट शूज के नाम से मशहूर एडीडास वन में 100 घंटे चलनेवाली बैटरी लगी थी, जो मौसम व पर्यावरण के हिसाब से अपने शूज की कुशनिंग को खुद ही एडजस्ट करती है।
एडिडास में ब्रांड एंबेसडर की परंपरा
एडीडास ने स्टार खिलाडि़यों को ब्रांड एंबेसडर बनाने की परंपरा जारी रखी है। कई अन्य सेलिब्रिटीज के अलावा फ्री-किक के लिए सारी दुनिया में मशहूर स्टार फुटबॉलर डेविड बेकहम को एडीडास ने 1000 करोड़ से ज्यादा की डील साइन करवा लाइफटाइम एंबेसडर बना दिया।
भारत में 1996 में हुए एंट्री, आज 100 से ज्यादा स्टोर्स
सन 1996 में एडीडास इंडिया मार्केटिंग प्रा. लिमिटेड भारत में स्थापित हुई। भारत में देश के महंगे फुटवियर्स मार्केट में एडीडास और रिबोक का वर्चस्व है; पर इस मार्केट का मास्टर ब्रांड है एडीडास। क्योंकि भारत में एक हजार करोड़ के रेवेन्यू का आंकड़ा पार करने वाली पहली स्पोर्ट्सवियर कंपनी एडिडास ही है। आज देश में इसके 100 से ज्यादा एक्सक्लूसिव स्टोर्स हैं।
दुनिया को दिया समुद्री कचरे से बना पहला जूता
70 से ज्यादा सालों से चल रही इस कंपनी की सक्सेस का राज है, बदलते समय के साथ अलग-अलग इनोवेशन करते रहना। साल था 2015 जब एडिडास ने दुनिया को अपना पहला ‘ocean plastic waste’ से बना जूता दिया। इस जूते को एडिडास ने समुद्र किनारे फेंकी गई बोतलों से बनाया था। 4 साल के अंदर एडिडास ने ‘ocean plastic waste’ से करीब 1 करोड़ जूते बनाने का टारगेट पूरा कर लिया। भारत में ये जूते 2016 में लॉन्च हुए और तब इनकी कीमत 21 हजार रुपए रखी गई।
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