Ranchi : झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स और एसोसिएशन ऑफ स्मॉल प्रोग्रेसिव, इनोवेटिव एंड राइजिंग इंटरप्राइज (एस्पायर) के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को होटल रेडिशन ब्लू में एमएसएमई उद्यमियों के लिए विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया. पूरा सत्र एमएसएमई उद्यमियों पर केंद्रित रहा, जिसमें मुख्य वक्ता गौरव कुमार ने कोविड-19 की वजह से विचलित एमएसएमई उद्यमियों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं के हल, सफलता के मंत्र, कुशल व्यवसायी के लक्षण, अपने व्यवसाय को बढ़ाने के तरीकों आदि के बारे में विस्तार रूप से चर्चा की और प्रोत्साहन किया. इस बात पर भी चर्चा की कि अधिकांश उद्यमी यह जानते ही नहीं कि वे एक एमएसएमई हैं और उनमें से कुछ जो ये बात जानते हैं दुर्भाग्यवश वे ये नहीं जानते कि एक एमएसएमई होने से उन्हें क्या-क्या लाभ हैं ? उन लाभों के लिए विभिन्न स्त्रोत क्या हैं, कौन सी योजनाएं/प्रोत्साहन उन्हें कहां से मिल सकती है, उन्हें पाने की प्रक्रिया क्या है इत्यादि. समस्या की गंभीरता को देखते हुए ही झारखंड चैंबर और एस्पायर द्वारा इस संगोष्टी का आयोजन किया गया है.
चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री ने कहा कि रिसोर्स बेस्ड इकॉनोमी होने के बावजूद भी एमएसएमई के विकास की संभावना यहां पर बहुत अधिक है. नीतियां अच्छी होने के बावजूद एमएसएमई का जो ग्रोथ होना चाहिए, वह कहीं न कहीं नीतियों के क्रियान्वयन में कुछ व्यवहारिक समस्याओं के कारण बाधक बनती है. हालांकि नीतियों के सुगमतापूर्वक क्रियान्वयन की दिशा में सरकार काम भी कर रही है,इलेकिन इसे प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय संस्थानों की तरफ से भी हैंडहोल्डिंग की आवश्यकता है. हैंडहोल्डिंग की बात करें तो, नई और पुरानी एमएसएमई को स्केलिंग अप करने की आवश्यकता है, ताकि वे फूल कैपेसिटी से काम कर सकें. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की ओर से एमएसएमई से 25 फीसदी प्रोक्योरमेंट होना चाहिए जो आज किसी कारण से नहीं होता. यदि एमएसएमई से 25 फीसदी प्रोक्योरमेंट होने लगे तो आज जो यूनिटस बैठी हुई है, वे अपने प्रोडक्शन को बढ़ाएंगे और जो 60-70 फीसदी क्षमता पर चल रहे हैं, वे 100 फीसदी क्षमता से चलेंगी. एमएसएमई को समय पर भुगतान नहीं मिल पाना भी इनके विकास में मुख्य बाधक है. यह भी कहा कि माईक्रो और स्मॉल लेवल पर वित्तीय संस्थानों का देखा गया है कि एक जो उनका लिमिटेशन जो रैंकिंग के आधार पर योजना उपलब्ध कराई जाती है, उसका फायदा सभी को नहीं मिलता. सिडबी इस दिशा में नित्य प्रयास कर रही है. यदि ऐसे माइक्रो और स्मॉल लेवल के यूनिट्स की हैंडहोल्डिंग की जायेगी तो निश्चित ही वे अच्छा प्रदर्शन करेंगी. उन्होंने एमएसएमई की सुविधा के लिए सिडबी के विस्तार की भी आवश्यकता बताई.
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता गौरव कुमार ने उद्यमियों को बताया कि किस तरह से भारत में व्यवसाय की दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है, जिसमें प्रोद्योगिकी, स्कैलेबिलिटी इत्यादि की वजह से बहुत सारे डिसरप्षन देखने को मिल रहे हैं, जिसमें एक परंपरागत तरीके से चल रहे व्यवसायियों को अपनी जगह सुरक्षित करने के लिए बहुत बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इस दौरान उनकी अलग सोच ही उनकी सहायता कर सकती है. उन्होंने उद्यमियों को यह भी बताया कि कैसे एक अलग सोच रखनेवाले दूरदर्शी उद्यमी अपनी महत्वकांक्षाओं को सरल और आसान तरीके से हासिल कर सकता है. साथ ही साथ कैसे उसमें वह केंद्र और राज्य सरकार द्वारा निर्धारित विभिन्न प्रकार की योजनाओं में सहयोग भी प्राप्त कर सकते हैं.
कार्यक्रम के दौरान छोटे व्यवसायियों के लिए वित्तीय प्रोत्साहन, अनुदान, बचत और सब्सिडी के बारे में विशेष रूप से चर्चा की गई. इस दौरान एमएसएमई डीएफओ रांची के ज्वाईंट डायरेक्टर इंद्रजीत यादव ने केंद्र सरकार की तरफ से एमएसएमई को दिये जानेवाले लाभ और योजनाओं से अवगत कराया. एनएसआईसी के चीफ मैनेजर और ब्रांच हेड बिनोद कुमार ने एनएसआईसी की तरफ से एमएसएमई को दी जानेवाली सुविधाओं पर चर्चा की. सिडबी के ब्रांच मैनेजर राज कुमार सिंह ने विशेष रूप से न्यूनतम दर पर मिलनेवाली फंडिंग की सुविधाओं पर अपनी बातें रखीं. कार्यक्रम के मुख्य प्रायोजक इन्वेस्ट एडवाइस के अमिताव सिन्हा ने वेल्थ मैनेजमेंट के बारे में स्टेकहोल्डर्स को जागरूक किया.
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कार्यशाला में चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री, उपाध्यक्ष अमित शर्मा, सह सचिव रोहित पोद्दार, शैलेष अग्रवाल, कोषाध्यक्ष सुनिल केडिया, प्रवक्ता ज्योति कुमारी, पूर्व अध्यक्ष मनोज नरेडी, कार्यकारिणी सदस्या सोनी मेहता, परेश गट्टानी, प्रवीण लोहिया, सदस्य सुनिल सरावगी, अमित किशोर, विकास सिन्हा, मनोज सिंह, माला कुजूर, आस्था किरण, आशीष कुमार, सीए अनूप भारद्वाज, सुभम केडिया, शैलेष गाडोदिया, मोनिका मेहता, विनय छापडिया, श्रवण कुमार के अलावा रांची एवं आसपास के लगभग 100 उद्यमी उपस्थित थे.
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