अगर आप कम खर्च में मुंबई जैसे महानगर में रहना चाहते हैं तो आपके लिए धारावी सबसे अच्छा इलाका हो सकता है। इस इलाके में मजदूरी करने वाले लोग काफी तादाद में रहते हैं जो कि दूसरे राज्यों से आए होते हैं। इसके अलावा छोटे कारोबारियों के लिए भी धारावी रहने का स्थान काफी दिनों से बना हुआ है।
जब भी धारावी की बात आती है तो आपके सामने झुग्गी झोपड़ी की तस्वीरें आ जाती होंगी जहां सकरी गलियां है, बिना छत के मकान जिनपर प्लास्टर भी नहीं लगा होता। मायानगरी मुंबई में बसे इस इलाके को मिनी इंडिया के नाम से भी जाना जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि देश भर के अलग-अलग हिस्सों से लोग यहां जाते हैं और अपना गुजर-बसर करते हैं। अगर आप कम खर्च में मुंबई जैसे महानगर में रहना चाहते हैं तो आपके लिए धारावी सबसे अच्छा इलाका हो सकता है। इस इलाके में मजदूरी करने वाले लोग काफी तादाद में रहते हैं जो कि दूसरे राज्यों से आए होते हैं। इसके अलावा छोटे कारोबारियों के लिए भी धारावी रहने का स्थान काफी दिनों से बना हुआ है।
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बदलेगी तस्वीर
आधुनिक सुख सुविधाओं के लिए भी धारावी में मशक्कत करना पड़ता है। सरकार की योजनाएं भी वहां की गलियों में गुम हो जाती हैं। ना तो शिक्षा का स्तर अच्छा है और ना ही साफ सफाई की व्यवस्था है। लेकिन अब इस धारावी की तस्वीर बदलने वाली है। 259 हेक्टेयर में फैले इस धारावी को पुनर्विकास के लिए आगे किया गया है। अडानी समूह ने धारावी पूर्णविकास योजना को अपने हाथों में लिया है। दुनिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी के पुनर्विकास के लिए अडानी समूह ने 5059 करोड रुपए की बोली लगाई। समूह ने डीएलएफ को भी पीछे छोड़ दिया जिसने 2025 करोड़ की बोली लगाई थी। बोली पूरे 20,000 करोड़ रुपये की परियोजना के लिये थी। परियोजना को लेकर कुल समयसीमा सात साल है। यह क्षेत्र 2.5 वर्ग किलोमीटर में फैला है। परियोजना के तहत झुग्गियों में रह रहे 6.5 लाख लोगों का पुनर्वास करना है। यह परियोजनाविभिन्न जटिलताओं के कारण कई साल से अटकी पड़ी थी। सफल बोलीदाता को मध्य मुंबई में लाखों वर्ग फुट के आवासीय और वाणिज्यिक स्थान बेचकर कमाई करने का मौका मिलेगा।
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धारावी में कितने लोग रहते हैं, इसका अनुमान तो शायद ही सटीक तरह से लगाना फिलहाल मुश्किल है। लेकिन इतना तो तय है कि कम से कम यहां 10 लाख के आसपास लोग तो रहते ही होंगे। धारावी को 1883 में अंग्रेजों ने बसाया था। अंग्रेजों ने इसे इसलिए बसाया था ताकि दूरदराज से आने वाले मजदूरों को किफायती ठिकाना दिया जा सके। धीरे-धीरे यहां झुग्गी झोपड़ी और बस्तियां बनने लगी और आज यह एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती है। कोरोना महामारी के दौरान भी यहां की चर्चा हुई थी। कहा जाता था कि अगर इस इलाके में यह महामारी फैली तो कहीं ना कहीं उसे रोक पाना काफी मुश्किल होगा। 1999 में जब भाजपा और शिवसेना की महाराष्ट्र में सरकार थी तब इसे विकसित करने का प्लान बनाया गया था। हालांकि अब ऐसा लगने लगा है कि शायद धारावी की किस्मत बदल जाएगी। धारावी को मॉडर्न करने की योजना कहीं ना कहीं यहां रह रहे लोगों के जीवन शैली में भी बड़ा बदलाव करेगा। धारावी ऐसा इलाका है जहां एक कमरे में 10 लोग अपना गुजर-बसर करते हैं।
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