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मॉस्को7 घंटे पहले
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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने पश्चिमी देशों पर यूक्रेन को युद्ध के लिए बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा- दुनिया की सत्ता पर कब्जा करने के लिए पश्चिमी देश खूनी खेल खेल रहे हैं। ये खेल गंदा और खतरनाक है। उनका ये खेल अब दुनिया को समझ में आने लगा है। उन्हें ये समझना चाहिए कि दुनिया अब किसी की बपौती नहीं है।
पुतिन वल्दाई डिस्कशन क्लब में बोल रहे थे। उन्होंने कहा- दुनिया भर में सत्ता पर काबिज होने का पश्चिमी देशों का खेल खुल गया है। अब सत्ता का कोई पावर सेंटर नहीं है। शक्ति के नए केंद्र उभरकर सामने आ रहे हैं। सभी पावर सेंटर्स को भविष्य के बारे में एक समान बातचीत शुरू करनी होगी। ये जितना जल्दी हो, उतना बेहतर होगा।
रूस की एटमी ड्रिल शुरू, पुतिन की मौजूदगी में लॉन्च हुई थी बैलेस्टिक मिसाइल
यूक्रेन से जारी जंग के बीच बुधवार को रूस ने एटमी ड्रिल शुरू की थी। इस दौरान बैलेस्टिक मिसाइल भी लॉन्च की गई थी। इसका फुटेज सरकारी टीवी ने जारी किया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूरी कवायद को प्रेसिडेंट व्लादिमिर पुतिन ने एक कंट्रोल रूम से देखा था। तकनीकी तौर पर इस ड्रिल को स्ट्रैटेजिक डिटरेंस फोर्स कहा जाता है।
आसान भाषा में समझें तो यह जवाबी हमले की तैयारी है। रूस सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया- प्रेसिडेंट पुतिन की लीडरशिप में बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइल लॉन्चिंग हुई।
कहां हुई थी ड्रिल
रूस के पूर्वी हिस्से में मौजूद कामचात्का में यह मिसाइल टेस्ट किए गए थे। यह आर्कटिक सागर का क्षेत्र है। एक्सरसाइज के दौरान रूस के नए और हाईटेक Tu-95 एयरक्राफ्ट भी इस्तेमाल किए गए। क्रेमलिन का दावा है कि लॉन्च की गईं सभी मिसाइलों ने टारगेट हिट किए।
रूस के पास इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल मौजूद हैं। ये दुनिया के किसी भी हिस्से तक पहुंच सकती हैं। इसके अलावा उनके पास ऐसे तमाम फाइटर जेट्स और सबमरीन मौजूद हैं जो एटमी हमले कर सकते हैं। एक तरफ, अमेरिका दावा कर रहा है कि रूस की फौज यूक्रेन पर एटमी हमला कर सकती है। दूसरी तरफ, रूस का कहना है कि अमेरिका और नाटो उस पर न्यूक्लियर अटैक की तैयारी कर रहे हैं।
रूस के पूर्वी हिस्से में मौजूद कामचात्का में यह मिसाइल टेस्ट किए गए। एक्सरसाइज के दौरान रूस के नए और हाईटेक Tu-95 एयरक्राफ्ट भी इस्तेमाल किए गए थे।
रूस ने ड्रिल की बात नहीं छिपाई
‘निक्केई एशिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार को एटमी ड्रिल की जानकारी रूस ने अमेरिका को दे दी थी। इसमें कहा गया था कि बैलेस्टिक मिसाइल भी लॉन्च किए जाएंगे। पेंटागन ने भी इसकी पुष्टि की। उसके प्रवक्ता पैट्रिक रायडर ने कहा- हां, रूस ने हमें जानकारी दी थी। यह एक रूटीन एक्सरसाइज है। इसके मायने ये हैं कि रूस आर्म्स कंट्रोल से जुड़ी शर्तें और ट्रांसपेरेंसी के वादे पूरे कर रहा है।
रूस ने भारत से चिंता की जाहिर
रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 8 महीने से युद्ध चल रहा है। इस बीच रूस ने भारत से डर्टी-बम सहित कई समस्याओं को लेकर चिंता जाहिर की है। डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह से बुधवार को रूस के डिफेंस मिनिस्टर सर्गेई शोइगु ने फोन पर बातचीत की है। इस दौरान युद्ध से बिगड़ रहे हालात को लेकर चर्चा की गई।
शोइगु ने भारत को बताया कि खेरसॉन इलाके में यूक्रेन डर्टी बम का इस्तेमाल कर सकता है। एक महीने पहले रूस ने जनमत संग्रह करवाकर खेरसॉन इलाके को अपने कब्जे में ले लिया था। भारत ने इस पूरे मामले को संवाद के माध्यम से हल करने की बात कही है।
रूस ने अमेरिका सहित कई देशों को जानकारी दी
रूस ने अमेरिका, फ्रांस और यूके सहित कई देशों को डर्टी बम इस्तेमाल किए जाने को लेकर जानकारी दी है। हालांकि, इन देशों ने रूस के दावे को खारिज कर दिया है। तीनों देशों का कहना है कि रूस की तरफ से जो दावा किया जा रहा है, वह पूरी तरह से गलत है।
जेलेंस्की ने डर्टी बम इस्तेमाल को बताया अफवाह
यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूस के दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। जेलेंस्की ने कहा कि हमारे खिलाफ अफवाहें फैलाई जा रही हैं। रूसी सेना खुद ही डर्टी बम का इस्तेमाल करना चाह रही है और अपनी गतिविधियों से ध्यान हटाने के लिए यूक्रेन पर आरोप लगा रही है।
जेलेंस्की ने कहा कि डर्टी बम को लेकर रूस हमारे खिलाफ अफवाहें फैला रहा है। रूसी सेना खुद ही डर्टी बम का इस्तेमाल करना चाह रही है।
क्या होता है डर्टी बम
तकनीकि तौर पर इसे रेडियोलॉजिकल डिस्पर्सल डिवाइस कहा जाता है। इसमें डायरेक्ट रेडियो एक्टिव कंटेंट नहीं होता। इसकी जगह रेडियो एक्टिव वेस्ट यानी विकिरण फैलाने वाले कचरे का इस्तेमाल किया जाता है। इनसे लोगों के मारे जाने का बहुत खतरा तो नहीं होता, लेकिन बीमारियां काफी फैला सकते हैं। इनमें कैंसर भी शामिल है।
एटमी हथियारों से मीलों दूर तक तबाही होती है और चंद मिनट में ही लाखों लोग मारे जा सकते हैं। डर्टी बम इतना खतरनाक नहीं होता। एटमी हथियारों में यूरेनियम और प्लूटोनियम का प्योर मटेरियल होता है। डर्टी बम में एटमिक वेस्ट होता है। दूसरी बात इसका इस्तेमाल डायनामाइट के साथ किया जाता है।
ICAN (इंटरनेशनल कैम्पेन टू एबोलिश न्यूक्लियर वेपन्स) की दो साल पहले जारी एक रिपोर्ट में कहा गया था- डर्टी बम एक तय या टारगेडेट इलाके में काफी नुकसान फैला सकता है। एटमी हमले में नुकसान का दायरा बहुत बड़ा होता है। अगर हवा तेज हो तो यह सैकड़ों किलोमीटर दूर तक असर कर सकता है। डर्टी बम से रेडिएशन बहुत ज्यादा और दूर तक नहीं होता।
डर्टी बम का इस्तेमाल कब-कब हुआ
दुनिया में अभी तक डर्टी बम का इस्तेमाल कहीं भी नहीं हुआ है। हालांकि, कई जगह ऐसे हमले की कोशिश जरूर की गई है।
- पहली बार 1996 में चेचेन्या के विद्रोहियों ने मॉस्को के इजमाइलोवो पार्क में डर्टी बम लगाया गया था। सुरक्षाबलों को बम लगने की जानकारी हो गई थी, जिसके बाद इसे डिफ्यूज कर दिया गया था।
- 1998 में चेचेन्या के सुरक्षाबलों ने एक रेलवे लाइन के किनारे लगाए गए डर्टी बम को डिफ्यूज किया था।
- 2002 में अल-कायदा से संबंध रखने वाले अमेरिकी नागरिक होसे पाडीला को अरेस्ट किया गया था। पाडीला पर शिकागो में डर्टी बम से हमले की योजना बनाने का आरोप लगा था। उसे 21 साल की सजा सुनाई गई थी।
- 2004 में अल-कायदा से संबंध रखने वाले ब्रितानी नागरिक धीरेन बेरट को अरेस्ट किया गया था। बेरट को अमेरिका और ब्रिटेन में डर्टी बम से हमले की योजना बनाने के आरोप में 30 साल की सजा सुनाई गई थी।
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