धनबाद41 मिनट पहले
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पारिवारिक दुकान से ल्यूब्रिकेंट के काराेबार तक और हार्ड काेक इंडस्ट्री से लेकर प्रतिष्ठित मल्टीनेशनल कंपनी का प्राेसेस एजेंट बनने तक के अपने सफर के बारे में बता रहे हैं नंदलाल अग्रवाल।
पारिवारिक दुकान से ल्यूब्रिकेंट के काराेबार तक और हार्ड काेक इंडस्ट्री से लेकर प्रतिष्ठित मल्टीनेशनल कंपनी का प्राेसेस एजेंट बनने तक के अपने सफर के बारे में बता रहे हैं नंदलाल अग्रवाल।
साथ छाेड़ने लगे थे डीलर, तब लाेकल व ब्रांडेड उत्पाद का भेद समझाकर दाेबारा जाेड़ा
परिवार की किराना दुकान थी। साल 1994 में 10वीं पास करने के बाद परिवार के व्यवसाय में हाथ बंटाना शुरू किया। 12वीं और स्नातक की पढ़ाई के दाैरान परिवार के व्यवसाय में भूमिका बढ़ी। इसी दाैरान ल्यूब्रिकेंट और हार्ड काेक की इंडस्ट्री शुरू की। साल 2000 में टाटा स्टील की ओर से सरिया और जीसी शीट की डिस्ट्रीब्यूशनशिप मिली। बड़ी कंपनी थी और बेहतर गुणवत्ता के कारण उत्पादाें की कीमत भी अधिक थी। अधिक दाम की वजह से डीलर पीछे हटने लगे। एक समय ऐसा लगा कि हम फेल हाे जाएंगे, पर हार नहीं मानी। डीलर्स के साथ-साथ ग्राहकाें से भी बातचीत कर उन्हें प्राेडक्ट्स की खूबियां बताना शुरू किया। लाेकल और ब्रांडेड उत्पाद में अंतर समझाया।
दूसरे शब्दाें में कहें, ताे खुद से सरिया और शीट बेची। धीरे-धीरे वे गुणवत्ता का महत्व समझने लगे और काराेबार की स्थितियां भी अनुकूल हाेती गईं। साल 2016 में टाटा कंपनी की ओर से प्राेसेसिंग एजेंट के रूप में काम करने का ऑफर मिला। इस चुनाैती काे भी स्वीकार किया और फुली ऑटाेमेटिक इंडस्ट्री की शुरुआत की। वहां टाटा के लिए प्राेडक्ट तैयार हाे रहे हैं। सिर्फ इसी इंडस्ट्री में 250 से अधिक लाेगाें काे सीधे राेजगार मिल रहा है। हमारी एक अन्य फर्म के झारखंड के नाै जिलाें में 300 डीलर और 100 डायरेक्ट कस्टमर हैं। प्रत्यक्ष और पराेक्ष रूप से 5 हजार से ज्यादा लाेग हमारे फर्माें के जरिए राेजगार से जुड़े हैं।
नंदलाल अग्रवाल
काराेबार में आईं चुनाैतियां
- महंगा हाेने के कारण प्राेडक्ट की मार्केटिंग में परेशानी हाेना
- बिजली सप्लाई की लचर व्यवस्था के कारण प्राेडक्शन प्रभावित
- एयरपाेर्ट नहीं हाेने के कारण फास्ट कनेक्टिंग में दिक्कत
- श्रम शक्ति ताे है, लेकिन स्किल्ड मैनपावर की कमी
- जटिल लाइसेंसिंग प्रक्रिया व लाॅ एंड ऑर्डर की समस्या
ये हैं संभावनाएं
- ट्विन सिटी धनबाद-बाेकाराे के साथ संथाल मेें डेवलपमेंट की गुंजाइश
- रियल इस्टेट सेक्टर और माॅल कल्चर में ग्राेथ की हैं अपार संभावनाएं
- गुणवत्ता के प्रति लाेगाें के जागरूक हाेने से काराेबार में हाेगा इजाफा
- मुश्किलाें से मुक्त रहने की प्रवृति से कई नए काराेबार की संभावनाएं
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