चित्तौड़गढ़19 मिनट पहले
मधुमक्खी पालन के दौरान किसान।
चित्तौड़गढ़ में मधुमक्खी पालन पर 40 प्रतिशत सब्सिडी मिलने की घोषणा के बाद किसानों ने इस ओर इंटरेस्ट लेना शुरू कर दिया है। अभी तक 25 से 30 किसानों ने आवेदन किया है। जबकि ट्रेनिंग में 100 से भी ज्यादा किसान भाग लेने पहुंचे। विभाग को इस बात की खुशी है कि महिलाएं भी इसमें बढ़-चढ़कर भाग ले रही है। उदयपुर संभाग में चित्तौड़गढ़ एक ऐसा जिला है, जिसमें सबसे ज्यादा मधुमक्खी पालन किया जा रहा है।
मधुमक्खी पालन करते हुए किसान शरद निगम।
मधुमक्खी पालन अब लोकप्रिय व्यवसाय बन चुका है। चित्तौड़गढ़ के किसान भी अब धीरे-धीरे इस व्यवसाय से जुड़ने लगे हैं। मधुमक्खी पालन के लिए किसानों को 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। उद्यान विभाग के सहायक निदेशक शंकर सिंह राठौड़ ने बताया कि एक किसान अधिकतम 50 बॉक्स और 50 कॉलोनी ले सकता है। एक बॉक्स पर 2000 और एक कॉलोनी पर भी 2000 सब्सिडी दी जाएगी। उन्होंने बताया कि जिले को 2000 बॉक्स और दो हजार कॉलोनी का टारगेट दिया गया है। अभी तक 25 से 30 आवेदन आ चुके हैं। पिछले दिनों जब इसकी ट्रेनिंग की गई थी तो 100 से भी ज्यादा किसानों ने इस ओर इंटरेस्ट लिया है। अच्छी बात यह है कि महिला किसान भी इसके लिए आगे आई है। कई लोग तो इस बारे में कुछ भी नहीं जानते। उन्होंने मधुमक्खी पालन ही पहली बार देखा है।
मधुमक्खी पालन के बारे में जानकारी देते हुए अधिकारीगण।
हनी के अलावा कई चीजें मिलती है मधुमक्खी पालन से
उपनिदेशक सीताफल (अनुसंधान) राजाराम सुखवाल ने बताया कि मधुमक्खी पालन से ना सिर्फ शहद बल्कि वैक्स, जेली, पराग, प्रोपोलिस भी मिलता है। ऐसे में किसानों को वन टाइम इन्वेस्टमेंट करके कई चीजों का फायदा मिल सकता है। विभाग उनके मार्केटिंग में भी हेल्प करेगा। चित्तौड़गढ़ उदयपुर संभाग में ऐसा जिला है, जहां अभी सबसे ज्यादा मधुमक्खी पालन किया जा रहा है। कम से कम 7 से 8 किसान इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं।
30 किलो प्रति बॉक्स से मिलता है शहद
वहीं, पहले से ही मधुमक्खी पालन कर रहे हैं एक किसान शरद निगम का कहना है कि चित्तौड़गढ़ बेल्ट में काफी पेड़ पौधे मिल जाते हैं, जिस पल मधुमक्खी जाना बहुत पसंद करती है। जैसे सरसों, तोरिया, धनिया, सौंफ, नींबू, अरहर, सहजना, यूकेलिप्टस, करंज, आंवला, मूंग, शीशम, नीम, खैर, अजवाइन, तुलसी, बाजरा, ज्वार, खेजड़ी जैसे कई पेड़ पौधे है। किसान कहना है कि साल में 30 किलो प्रति बॉक्स से शहद मिल जाता है। होलसेल मार्केट में 100 रुपए प्रति किलो मिलता है तो रिटेलर मार्केट में 250 रुपए प्रति किलो तक शहद बेचा जाता है। यहां से जयपुर, अमृतसर, भरतपुर, दिल्ली कई जगहों पर एक्सपोर्ट किया जाता है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा अन्य कई चीजें भी हमें मिल जाती है, जिसे हम मार्केट में भेज सकते हैं।
ट्रेनिंग के दौरान महिलाओं ने भी बढ़ चढ़कर लिया भाग।
जिस भी पौधों के रस लेते है, शहद में आ जाते उसी के गुण
मधुमक्खी जिस भी पौधे पर बैठकर रस लेती है, शहद में उसी पौधे के गुण शामिल हो जाते हैं। ऐसे में हम जब वह प्रोडक्ट खरीदते हैं तो उसी के हिसाब से हमें बेनिफिट भी मिलता है। जैसे अजवाइन के फूलों के रस लेने के बाद शहद बनता है तो वह हमारे पेट साफ करने के काम आता है। बबूल से कैल्शियम मिलता है, सरसों के फूलों से यह इम्यूनिटी और शरीर को गर्म करने में मदद मिलती है, शीशम और नीम के पेड़ एंटी एजिंग का काम करते हैं। इसके अलावा मधु मक्खी पालन से वैक्स, जेली के साथ पराग और प्रोपोलिस भी मिलता है। पराग प्रोटीन का काम करता है जबकि प्रोपोलिस क्रीम में डालने के लिए यूज किया जाता है।
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