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- YV Jhala, Dean Of WII, Returned From Kuno, Talks About Being Sent On Force Leave After Displeasure
श्योपुरएक घंटा पहले
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भारतीय वन्यजीव संस्थान के डीन और प्रसिद्ध जीव वैज्ञानिक वायवी झाला भारत की चीता परियोजना की अब तक सबसे अहम कड़ी रहे हैं, लेकिन अभी बीते रोज वह कूनो नेशनल पार्क से चले गए हैं। चर्चा है कि उन्हें फोर्स लीव पर भेजा गया है, क्योंकि वह टास्क फोर्स समिति में स्थान न मिलने से नाराज थे। नाराजगी का कारण चीता प्रोजेक्ट को लेकर उनका वरिष्ठ अधिकारियों से टकराव होना बताया जा रहा है, जिसमें यहां तक कहा जा रहा है कि जब चीतों को कूनो लाया जा रहा था, तब उन्होंने चिनूक हेलीकॉप्टर से अधिक शोर की दलील देते हुए विरोध किया था।
माना जा रहा है कि उसके बाद से कूनो प्रबंधन और नेशनल अथॉरिटी अफसरों ने इनको साइड लाइन करना शुरू कर दिया। यही डब्ल्यूआईआई के डीन झाला को रास नहीं आया। इस बीच उनको अवकाश पर भेज दिया गया है। मामले की हकीकत जांचने के लिए भास्कर ने अगस्त माह में कूनो के सीसीएफ पद से सेवानिवृत्त हुए सीएस निनामा से बात की, तो उनका कहना था कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि चीता प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने में डीन वायवी झाला का बड़ा योगदान रहा है।
उन्हें इस तरह से साइड लाइन किए जाने से स्वभाविक है कि उनको ठेस पहुंची होगी। संभवतः इसी से वजह नाराज हैं और चले गए हैं। झाला ने साल 2009 से लगातार सरकारों के तहत महत्वाकांक्षी चीता परियोजना के लिए तकनीकी आधार तैयार किया था। वह एमके रंजीत सिंह के संरक्षण में साल 2010 में स्थापित चीता टास्क फोर्स के सदस्य थे और तब से परियोजना की तकनीकी टीम का नेतृत्व कर रहे थे।
16 सितंबर को जब नामीबिया से चीतों का पहला जत्था भारत के लिए रवाना हुआ तो यह झाला ही थे, जो जानवरों के साथ कूनो नेशनल पार्क गए थे। झाला की देखरेख में ही इन चीतों को सेपरेट कम्पार्टमेंट में छोड़ा गया था। हालाकि वायवी झाला का कहना है कि वह नाराज नहीं है और कई बार ऐसे फैसले लिए जाते है।
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