मुकुल व्यास
मुकुल व्यास
दुनिया की बढ़ती हुई आबादी को पोषित करने के लिए वैज्ञानिक पिछले काफी समय से खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के उपायों पर विचार-मंथन कर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और सीमित संसाधनों के कारण फसलों की पैदावार बढ़ाना एक बहुत बड़ी चुनौती है। वैज्ञानिक जिन उपायों पर शोध कर रहे हैं उनमें प्रकाश-संश्लेषण भी शामिल है। प्रकाश-संश्लेषण एक अनोखी कुदरती प्रक्रिया है जिसके जरिए पौधे सूरज की रोशनी, कार्बन डाइऑक्साइड और पानी को भोजन में बदलते हैं। लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि यह प्रक्रिया सूर्य की रोशनी का भरपूर उपयोग करने में अक्षम है। उनका कहना है कि कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण प्रणाली अपनाकर इसकी दक्षता में कई गुणा वृद्धि की जा सकती है। अब वे इस प्रक्रिया को कृत्रिम रूप से दोहराने और उसे और बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं। वे कृत्रिम प्रकाश-संश्लेषण का उपयोग खाद्य वस्तुओं और ईंधन, उत्पादन के लिए करना चाहते हैं।
एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने एक नई कृत्रिम प्रकाश संश्लेषण तकनीक के बारे में बताया है जिसके लिए सूरज की रोशनी की आवश्यकता नहीं पड़ती। इस प्रक्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड, पानी और सौर पैनलों द्वारा उत्पन्न बिजली को एसीटेट में बदला जाता है। इसके लिए दो-चरणीय इलेक्ट्रोकैटलिटिक प्रक्रिया का प्रयोग किया जाता है। ध्यान रहे कि एसीटेट सिरका का मुख्य घटक है। इस प्रक्रिया में तैयार एसीटेट का उपयोग पौधे अपने विकास के लिए कर सकते हैं। दरअसल रिसर्चरों ने जो सिस्टम तैयार किया है उसका उद्देश्य महज प्रकृति में होने वाले प्रकाश-संश्लेषण की नकल करना नहीं है। वे इसमें सुधार कर इसकी दक्षता बढ़ाना चाहते हैं। जैविक प्रकाश संश्लेषण के जरिए सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा का केवल 1 प्रतिशत ही वास्तव में पौधों के बायोमास में बदल पाता है जबकि वैज्ञानिकों के मुताबिक यह दक्षता लगभग चार गुणा बढ़ाई जा सकती है।
अमेरिका में रिवरसाइड स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के रासायनिक इंजीनियर रॉबर्ट जिंकरसन ने कहा कि हमने भोजन के उत्पादन के एक नए तरीके की पहचान की है जो जैविक प्रकाश-संश्लेषण द्वारा लगाई गई सीमाओं को तोड़ सकता है। प्रयोगों से पता चला है कि अनेक खाद्य-उत्पादक सूक्ष्म जीवों को अंधेरे में सीधे एसीटेट से समृद्ध इलेक्ट्रोलाइजर आउटपुट पर उगाया जा सकता है। इनमें हरे शैवाल, यीस्ट (खमीर) के अलावा मशरूम का उत्पादन करने वाले फंगल मायसेलियम शामिल हैं। इलेक्ट्रोलाइजर ऐसा उपकरण है जो कार्बन डाइऑक्साइड जैसे कच्चे माल को उपयोगी मॉलिक्यूल्स और उत्पादों में बदलने के लिए बिजली का उपयोग करता है। इस तकनीक से शैवाल का उत्पादन प्रकाश-संश्लेषण विधि से उगाने की तुलना में लगभग चार गुणा अधिक कारगर है। यीस्ट का उत्पादन आम तौर से मकई से निकाली गई चीनी से किया जाता है। इसकी तुलना में नई प्रौद्योगिकी से यीस्ट का उत्पादन ऊर्जा के उपयोग की दृष्टि से लगभग 18 गुणा अधिक कारगर है। इस अध्ययन की सह-लेखक एलिजाबेथ हैन ने कहा कि हम जैविक प्रकाश-संश्लेषण के योगदान के बिना सूक्ष्म खाद्य-उत्पादक जीवों को विकसित करने में सक्षम रहे। आमतौर पर इन जीवों को पौधों से प्राप्त शर्करा या पेट्रोलियम से प्राप्त इनपुट पर उगाया जाता है। जैविक प्रकाश-संश्लेषण पर निर्भर खाद्य उत्पादन की तुलना में यह तकनीक सौर ऊर्जा को भोजन में बदलने का ज्यादा कारगर तरीका है।
वैज्ञानिकों ने खाद्य फसलें उगाने के लिए इस तकनीक की क्षमता को परखा। उन्होंने पाया कि अंधेरे में खेती करने पर लोबिया, टमाटर, तंबाकू, चावल, कनोला और मटर जैसी फसलें एसीटेट से कार्बन का उपयोग करने में सक्षम रहीं। अनेक खाद्य फसलें एसीटेट का उपयोग कर सकती हैं। नए अध्ययन के सह-लेखक मार्कस हारलैंड-ड्यूनावे ने बताया कि हम ऐसी प्रजनन तकनीक और इंजीनियरिंग पर काम कर रहे हैं जो एसीटेट की मदद से फसलें उगाएगी। एक अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत के रूप में एसीटेट के उपयोग से फसलों की पैदावार बढ़ाई जा सकती है। कृषि को सूर्य पर पूर्ण निर्भरता से मुक्त करने के कई फायदे हैं। कृत्रिम प्रकाश-संश्लेषण जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न कठिन परिस्थितियों में खाद्य फसलें उगाने की अनगिनत संभावनाएं उत्पन्न करता है। यदि मनुष्यों और जानवरों के लिए फसलें कम संसाधनों और नियंत्रित वातावरण में उगाई जाती हैं तो सूखा, बाढ़ और भूमि की कम उपलब्धता से दुनिया में खाद्य सुरक्षा के लिए कम खतरा होगा।
पौधों में प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया वैज्ञानिकों को ऊर्जा के नए स्रोत विकसित करने के लिए प्रेरित कर रही है। ब्रिटेन में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के विज्ञानियों ने ऐसे तैरते हुए ‘कृत्रिम पत्ते’ विकसित किए हैं जो सूर्य के प्रकाश और पानी से स्वच्छ ईंधन उत्पन्न करते हैं। ये पत्ते समुद्र में बड़े पैमाने पर काम कर सकते हैं। ये उपकरण अत्यंत पतले और लचीले हैं और उनकी लागत भी बहुत कम है। पतले होने के कारण ये उपकरण पानी में तैर सकते हैं। इनका उपयोग पेट्रोल के विकल्प के रूप में एक संधारणीय ईंधन उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है। पूर्वी इंग्लैंड में कैम नदी पर इन हल्के-फुल्के पत्तों के परीक्षणों से पता चला है कि वे पौधे की पत्तियों की तरह ही सूर्य के प्रकाश को ईंधन में कुशलता से परिवर्तित कर सकते हैं।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।
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