केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण विभाग देश में 10 हजार FPO बनाने का लक्ष्य पर काम कर रहा है. इसके लिए इसी साल फरवरी से योजना का शुभारंभ किया गया है.
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केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय खेती को फायदे का सौदा बनाने को लेकर काम कर रहा है. इसी कड़ी में देश के अंदर कृषक उत्पादक संगठन (FPO) काे बढ़ावा दिया जा रहा है. ये FPO खेती से जुड़े और ग्रामीण महिलाओं के लिए बेहद ही फायदेमंद साबित हो सकती हैं. मसलन ग्रामीण और खेती से जुड़ी महिलाएं FPO बनाकर डेयरी (दुग्ध उत्पाद) व्यवसाय को नया रूप दे सकती हैं. यह विचार जीबी पंत एग्रीकल्चर और टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी पंतनगर में राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा वित्त पोषित महिला सशिक्तकरण विषय पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के अवसर पर विशेषज्ञों ने दिए.
इस अवसर पर पंतनगर यूनिवर्सिटी के पशुचिकित्सा एवं पशुपालन विज्ञान महाविद्यालय के डीन डा. एनएस जादों ने कहा कि महिलायें FPO बनाकर डेयरी व्यवसाय को नया रूप दे सकती हैं. महिलाएं दुग्ध उत्पाद जैसे श्रीखण्ड पनीर, लस्सी, छेना आदि को व्यवसायिक रूप में उपयोग करके अपनी आय में वृद्वि कर सकती हैं.
स्थानीय अनाजों के साथ तैयार डेयरी उत्पादों की मांग अधिक
पशुपालन विज्ञान महाविद्यालय के डीन डा. एनएस जादों ने कहा कि स्थानीय स्तर पर घर में बने हुए डेयरी उत्पादों की मांग अधिक है, जिसका लाभ महिलाएं अधिक से अधिक उठा सकती हैं. उन्होंने कहा कि स्थानीय अनाजों का प्रयोग कर उत्पाद तैयार किये जाये तो प्रोटीन के साथ-साथ आयरन एवं अन्य पोषक तत्वों की और अधिक उपलब्धता सुष्निचता होगी.
प्रशिक्षण सत्र में महिलाओं को दूध से गुणवतायुक्त आइसक्रीम, श्रीखण्ड बनाने, पनीर, छेना रसगुल्ला, गुलाब जामुन, कुल्फी, गाढ़ा दही एवं अन्य दुग्ध उत्पाद बनाने, दूध से क्रीम अलग करना, वसा परीक्षण आदि का प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया गया. साथ ही वैज्ञानिकों ने पौष्टिक चारा फसलों के प्रबन्धन, प्रसंस्करण, यूरिया-शीरा खनिज ब्लाक, सम्पूर्ण आहार ब्लाक निर्माण के उपयोग के बारे में जानकारी देते हुए स्थानीय स्तर पर साइलेज बनाने की विधियों पर महिलाओं को प्रशिक्षित किया.
10 हजार FPO बनाने का लक्ष्य
केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण विभाग देश में 10 हजार FPO बनाने का लक्ष्य पर काम कर रहा है. इसके लिए इसी साल फरवरी से योजना का शुभारंभ किया गया है. असल में भारतीय कृषि में छोटे और सीमांत किसानों का वर्चस्व है, जिनकी औसत जोत का आकार 1.1 हेक्टेयर से कम है. कुल भूमि जोत के 86% से अधिक छोटे और सीमांत किसानों को उत्पादन और उत्पादन के बाद के परिदृश्यों जैसे उत्पादन टेक्नोलॉजी तक पहुंच, उचित कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण साजो-सामान, बीज उत्पादन, खेती की मशीनरी की इकाई, मूल्य वर्धित उत्पाद, प्रसंस्करण, ऋण, निवेश और सबसे महत्वपूर्ण बाजार दोनों में जबरदस्त चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार FPO को बढ़ावा दिया जा रहा है.
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