काशी के वरिष्ठ पंडित दयानंद पांडेय कहते हैं कि हिंदू धर्म की बजाय सनातन धर्म शब्द का भी प्रयोग किया जाता है. जहां तक बात शैव और वैष्णव की है, इसे धर्म की बजाय संप्रदाय कहना ज्यादा उचित होगा.
पीएस वन फिल्म का एक दृश्य
हाल ही में एक फिल्म रिलीज हुई है- PS:1 यानी ‘पोन्नियन सेल्वन‘. फिल्म आधारित है, हिंदुस्तान के महान चोल साम्राज्य पर. चोल साम्राज्य के विस्तार और नौसेना की ताकत को फिल्म में बखूबी दिखाया गया है. यह फिल्म कहानी है, चोल साम्राज्य के राजा पोन्नियन सेल्वन की. इसी फिल्म में चोल वंश के एक और महान शासक राजाराज चोल की भी चर्चा है. राजाराज चोल को इस साम्राज्य का सबसे प्रतापी राजाओं में से एक माना जाता है.
फिल्म रिलीज हुई. उन्हें महान हिंदू सम्राट कहा गया. और फिर उनके धर्म को लेकर बहस छिड़ गई. राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित तमिल निर्देशक वेटरीमारन ने कहा कि राजाराज चोल हिंदू सम्राट नहीं थे. मशहूर अभिनेता कमल हासन ने भी उनकी बात का समर्थन किया है. इसको लेकर ऐसी बहस छिड़ गई है कि लोग राजाराज चोल का धर्म ढूंढने लगे हैं.
चोल साम्राज्य का इतिहास क्या है, चोल वंश की स्थापना कब हुई, कहां हुई, किसने की, राजाराज चोल कौन थे… इन तमाम सवालों के जवाब जानने की कोशिश करते हैं.
कब और कैसे हुई चोलवंश की स्थापना?
चोल साम्राज्य का इतिहास 1000 साल से भी पुराना बताया जाता है. दक्षिण भारत में कावेरी नदी के तट पर इस साम्राज्य की नींव रखी गई. चोल साम्राज्य की राजधानी थी, तिरुचिरापल्ली. चोल साम्राज्य के सम्राटों ने दक्षिण भारत में कई भव्य मंदिरों का निर्माण कराया. इतिहास की किताबों के अनुसार, कावेरी तट पर मुट्टिरयार नाम के एक परिवार का आधिपत्य था, जो कांचीपुरम के पल्लव राजाओं के अधीन था. 849 ईस्वी में चोलवंश के सरदार विजयालय ने मुट्टिरयारों को हरा कर इस डेल्टा पर कब्जा जमाया और इस तरह चोल साम्राज्य की स्थापना की.
चोल साम्राज्य का विस्तार और राजाराज चोल
चोल वंश की स्थापना के बाद सरदार विजयालय ने वहां तंजावूर शहर बसाया. उन्होंने निशुम्भसूदिनी देवी का मंदिर भी बनवाया. उनके उत्तराधिकारियों ने पड़ोसी इलाकों पर विजय हासिल किया और अपने साम्राज्य की सीमाओं का विस्तार किया. उस समय पांड्यन और पल्लव उनके साम्राज्य का हिस्सा बन गए. 985 ईस्वी में इस साम्राज्य के शासक हुए, राजाराज चोल प्रथम. राजाराज चोल ने चोल वंश का साम्राज्य भी बढ़ाया और प्रतिष्ठा भी.
चोल राजाओं ने बनवाए विशाल मंदिर
राजाराज चोल और उनके बेटे राजेंद्र प्रथम ने तंजापूर और गंगईकोंडचोलपुरम में विशाल मंदिर बनवाए हैं. राजाराज को तमिल संस्कृति में महान माना जाता है. 985-1014 तक राजाराज चोल के साम्राज्य का खूब विस्तार हुआ. उत्तर में ओडिशा से लेकर मालदीव तक और दक्षिण में आधुनिक श्रीलंका तक उनके साम्राज्य का विस्तार था. चोल साम्राज्य के संरक्षण में बनी प्रतिमाओं की गिनती दुनिया की बेहतरीन कलाकृतियों में होती है. इन प्रतिमाओं में ज्यादातर देवी-देवताओं और आराध्यों की हैं. चोल राजाओं ने ही बृहदेश्वर मंदिर, राजराजेश्वर मंदिर भी बनवाया. दक्षिण भारत में उन्होंने करीब 500 वर्षों तक शासन किया.
राजाराज चोल के धर्म पर बहस
मंदिरों का निर्माण और देवी-देवताओं की मूर्तियाें के आधार पर राजाराज चोल को हिंदू माना जाता है. लेकिन कमल हासन उन्हें हिंदू नहीं मानने के पीछे एक तर्क देते हैं. उनका कहना है कि राजा राज चोल के समय हिंदू धर्म नाम की कोई चीज नहीं थी. उस समय तो वैष्णव हुआ करते थे, शैव हुआ करते थे. अंग्रेजों ने सामूहिक रूप से व्यक्त करने के लिए हिंदू शब्द गढ़ा. उसी तरह जैसे थुथुकुडी को तूतीकोरिन में बदल दिया.
वेटरीमारन का कहना है कि सिनेमा आम आदमी के लिए है और इसके पीछे की राजनीति को समझना जरूरी है. लगातार हमसे हमारे प्रतीक छीने जा रहे हैं. तिरुवल्लुवर का भगवाकरण और राजाराज चोल को हिंदू राजा कहना ऐसे ही उदाहरण हैं.
वैष्णव और शैव को लेकर काशी के वरिष्ठ पंडित दयानंद पांडेय कहते हैं कि हिंदू धर्म की बजाय सनातन धर्म शब्द का भी प्रयोग किया जाता है. जहां तक बात शैव और वैष्णव की है, इसे धर्म की बजाय संप्रदाय कहना ज्यादा उचित होगा. जैसे विष्णु को मानने वाले वैष्णव, शिव को मानने वाले शैव कहलाए.
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