UGC ने सभी हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन्स (HEIS) को प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस की नियुक्ति के नियमों के संबंध में एक लेटर लिखा है। इस लेटर में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और कॉलेजों के प्राचार्यों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने संस्थानों में प्रोफेसर्स ऑफ प्रैक्टिस की नियुक्ति को सक्षम करने के लिए अपने कानूनों, अध्यादेशों, नियमों और विनियमों में आवश्यक परिवर्तन करें। यूजीसी का कहना है कि इस मामले में की गई कार्रवाई को विश्वविद्यालय अपने गतिविधि निगरानी पोर्टल पर साझा भी करें।
क्या है प्रोफेसर्स ऑफ प्रैक्टिस
‘प्रोफेसर्स ऑफ प्रैक्टिस’ वह लोग होंगे जो प्रारंभिक व्यवसाय से शिक्षक नहीं है और ना ही उन्होंने शिक्षण के लिए पीएचडी की है। बावजूद इसके उनके प्रोफेशनल अनुभव के आधार पर उन्हें कॉलेजों में छात्रों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किया जा सकता है। यह प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस छात्रों को वह विषय पढ़ाएंगे, जिसमें उनका लंबा प्रोफेशनल अनुभव है। यूजीसी के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने इस मामले में मीडिया को बताया कि 14 नवंबर को इस संबंध में देशभर के विश्वविद्यालयों को एक आधिकारिक लेटर लिखा गया है।
विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों (एचईआई) को पेशेवर विशेषज्ञों को नियुक्त करने में सक्षम बनाने के लिए यूजीसी ने ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ नामक एक नया पद बनाया है। प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस को नियुक्त करने के लिए दिशानिर्देश भी बताए गए हैं। लेटर में विश्वविद्यालयों से कहा गया है कि वह प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस को लागू करने के लिए अपने संस्थानों के प्रावधानों में आवश्यक परिवर्तन करें।
अन्य व्यवसायों के अनुभवी लोग छात्रों को पढ़ाएंगे
यूजीसी के अध्यक्ष के मुताबिक राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों में से एक उच्च शिक्षण संस्थानों में हर तरह से बहु-विषयक शिक्षा प्रदान करना भी है। इसके लिए शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया (Teaching-Learning Process) में अनुभवी चिकित्सकों, पेशेवरों, उद्योग विशेषज्ञों आदि की भागीदारी की आवश्यकता हो सकती है। यूजीसी के इस लेटर में विश्वविद्यालयों से ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ को अपने यहां शुरू करने को कहा गया है। इस तरह के पद उद्योग और अन्य व्यवसायों के अनुभवी लोगों को छात्रों को पढ़ाने के लिए आकर्षित कर सकते हैं।
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