खराब सामग्री, एकल परदे वाले छविगृहों की कमी, हिंदी फिल्मों पर मनोरंजन कर और डिजिटल प्रसारण मंचों के उदय के कारण बालीवुड के सामने संकट खड़ा हो गया है। बड़े बजट की हिंदी फिल्मों को सफलता नहीं मिल रही है। इसके बावजूद, 2022 के पहले आठ महीनों में देश भर में बाक्स-आफिस पर कमाई का आंकड़ा 2,299 करोड़ रुपए पार कर चुका है जो 2021 और 2020 के महामारी वर्षों के 917 करोड़ और 717 करोड़ रुपए की तुलना में काफी ज्यादा है। फिर भी यह कमाई 2019 के संग्रह को छू लेने से अभी भी काफी दूर है। 2019 में 5,200 करोड़ रुपए बालीवुड ने कमाए थे।
भारतीय स्टेट बैंक द्वारा जारी अगस्त इकोरैप के मुताबिक बाक्स आफिस संग्रह के मामले में बालीवुड का बार-बार दक्षिण सिनेमा के मुकाबले औंधे मुंह गिरने का कारण खराब सामग्री, एक परदे वाले सिनेमाघरों में गिरावट, हिंदी फिल्मों पर अधिक मनोरंजन कर, जनसंख्यिकी में अंतर और डिजिटल प्रसार मंचों का उदय है।
कोविड वर्ष के दौरान सिनेमा के विकास पर निगाह रखते हुए रिपोर्ट में यह तथ्य आया है कि पिछले दो साल पूर्णबंदी में बिताने वाले सिनेमाघरों के लिए उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव आया है। आंकड़े स्पष्ट रूप से संकेत करते हैं कि हाल ही में रिलीज हुई बालीवुड फिल्मों की सामग्री की गुणवत्ता में गिरावट आई है। जनवरी 2021 से रिलीज हुई 43 बालीवुड फिल्मों की औसत आइएमडीबी रेटिंग सिर्फ 5.9 थी, जो 18 हिंदी डब फिल्मों की 7.3 रेटिंग से काफी कम है। हालांकि सामग्री की गुणवत्ता सीधे फिल्म की लोकप्रियता से संबंधित नहीं है।
खराब संग्रह के पीछे एक और कारण यह है कि कम संग्रह के कारण, बालीवुड भी 2021 के बाद से कम फिल्में रिलीज कर रहा है। ‘पूर्व महामारी की दुनिया में, हिंदी भाषा में प्रति वर्ष औसतन 70-80 फिल्में रिलीज होती थीं, जिसमें संग्रह 3,000- 5,500 करोड़ रुपए होता था। हालांकि, जनवरी 2021 से, 11 अगस्त, 2022 तक हिंदी भाषा (मूल दक्षिण / अंग्रेजी में डब की गई) में कुल 61 फिल्में रिलीज हुई हैं। इन 61 फिल्मों का कुल संग्रह मात्र 3,200 करोड़ रुपए है।
रिपोर्ट के मुताबिक, एकल परदे वाले छविगृहों में मल्टीप्लेक्स के बढ़ने से टिकटों की कीमत भी काफी बढ़ गई हंै, जिससे फिल्म देखने वालों को निराशा हुई है। दिलचस्प बात यह है कि दक्षिण में एकल परदे वाले सिनेमाघरों की सघनता कहीं अधिक है। रिपोर्ट बताती है कि यह दक्षिण सिनेमा के अधिक कमाई करने का एक प्रमुख कारण हो सकता है। कुछ सालों से हिंदी फिल्मों की तुलना में दक्षिण का सिनेमा काफी बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक हिंदी फिल्मों पर उच्च मनोरंजन कर भी टिकट की कीमतें बढ़ा रहा है। जनसांख्यिकी भी दक्षिण के पक्ष में है, जिसमें सिनेमाघरों जाकर देखने वालों की संख्या अधिक है, जबकि उत्तर में युवा और किशोरों की आबादी अधिक है जो ओटीटी मंच पर फिल्में देखने के लिए अधिक इच्छुक हैं, जबकि बुजुर्ग अभी भी बड़े पर्दे पर फिल्में देखना पसंद करते हैं।
‘विभिन्न उद्योग अनुमानों के अनुसार, हिट बालीवुड फिल्मों के जीवन भर के बाक्स आफिस संग्रह का लगभग 40-45 फीसद भारत में गैर-मल्टीप्लेक्स क्षेत्रों से आता था। इस प्रकार, एकल परदे वाले छविगृहों और दक्षिण भारतीय फिल्मों की घटती हिस्सेदारी को डब संस्करणों के माध्यम से बड़ा हिस्सा लेने के साथ, बालीवुड फिल्म निर्माताओं को अपनी सामग्री और वितरण रणनीति पर पुनर्विचार करना चाहिए। लेकिन कौन जानता है, एक ब्लाकबस्टर बाक्स आफिस पर फिल्मों की कमाई का फिर से रास्ता खोल सकती है।
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