बैतूलएक घंटा पहले
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खेती में ड्राेन तकनीकी का उपयाेग अब जिले के किसान भी करने लगे हैं। ताजा मामला शहर से सटे मलकापुर इलाके का है। यहां के किसानों की गन्ने की फसल में नरक्या रोग लग रहा है, जिससे पत्तियां पीली पड़ रही हैं। गन्ने की ऊंचाई अधिक होने से किसान फसलों पर कीटनाशक का छिड़काव नहीं कर पा रहे थे। सोहागपुर, रतनपुर, मलकापुर, खंडारा, राठीपुर के किसानों ने पहली बार ड्रोन से कीटनाशक का छिड़काव कराया।
ड्रोन से मात्र 700 रुपए में 5 से 10 मिनट में एक एकड़ में कीटनाशक का छिड़काव हाे जाता है। ड्रोन की टंकी में 20 लीटर क्षमता की है। क्षेत्र में गन्नाबाड़ी में नरक्या नामक रोग लगने से पत्ती पीली होने पर शुगर मिल द्वारा किसानों को किराए से कीटनाशक छिड़काव के लिए ड्रोन उपलब्ध कराया जा रहा है।
किसान के कप की चाय खत्म हाेने के पहले एक क्लिक पर एक एकड़ में कीटनाशक का छिड़काव हाे जाता है। रतनपुर के किसान प्रेमकांत वर्मा ने बताया क्षेत्र में गन्नाबाड़ी में हो रहे नरक्या रोग से गन्ने की पीली पत्ती हो रही थी। छिड़काव कर पाना असंभव था, मगर इसकी रोकथाम के लिए क्षेत्र के किसान ड्रोन का उपयाेग कर रहे हैं। पहले एक एकड़ पर छिड़काव में 1300 रुपए खर्च होते थे।
पहले पीठ पर टंकी बांधकर करते थे छिड़काव
पहले किसान पीठ पर टंकी बांधकर स्प्रे करते थे, बाद में समय के साथ- साथ स्प्रे टंकी में भी बदलाव हुआ। पेट्रोल वाला पावर पंप आया, जिससे दिन भर का काम कुछ घंटों में होने लगा। परंतु इसमें खर्च होने वाले पेट्रोल की लागत बढ़ गई, धीरे-धीरे यह चलन के बाहर हुआ फिलहाल बैटरी से चलित पावर पंप किसान की पहली पसंद है। लेकिन अब एक नई तकनीक आई है। “एग्रीकल्चर ड्रोन स्प्रेयर” तकनीक से कम लागत में खेतों में कीटनाशक का छिड़काव किया जा सकता है।
मजदूराें की समस्या, अब समय और रुपयों की बचत
बुंडाला के किसान जितेंद्र वर्मा ने बताया मजदूरों की समस्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। बड़े रकबों में कीटनाशक का छिड़काव कराना काफी महंगा पड़ता है। साथ ही कीटनाशक भी सही अनुपात में नहीं डाल पाता है। ड्रोन से सभी जगह छिड़काव होने से पौधों पर एक समान दवाई की मात्रा मिलती है। मलकापुर के कृषक मनीष चौधरी कहते हैं कि मेरी 5 एकड़ की गन्ना बाड़ी में कीटनाशक डलवाने में दिनभर लग जाता था। परंतु ड्रोन की सहायता से मात्र एक घंटे में छिड़काव हो गया।
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