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- There Was No Playground In The Village, The Ground Was Made For The Cremation Ground, The Daughters Reached The State Level
जयपुर15 मिनट पहलेलेखक: संजीव गर्ग
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स्नेहा-नव्या दोनों बहनें हैं। पिता व चाचा का कुछ साल पहले निधन हो गया था। ऋतु, गीतू और प्रिया तीनों बहनें हैं। पिता नाई हैं।
30 लाख खिलाड़ियों से शुरू हुए ग्रामीण ओलिंपिक में आठ साल से 80 साल तक के हर खिलाड़ी ने हिस्सा लिया। विश्व के सबसे बड़े आयोजन में उम्र का बंधन भी नहीं था। दादा-पोते, नानी-नातिन भी साथ खेले। इसी खेल ने नई मिसाल भी पेश कीं। खेल मैदान न होने के बावजूद टीमों ने खुद को तैयार किया और अपने जज्बे-मेहनत से राज्य स्तर तक पहुंचे। ऐसी की कहानी है श्रीगंगानगर के 4ईई पदमपुर पंचायत की हॉकी टीम की।
इस पंचायत के पास मैदान नहीं था। ग्रामीणों ने श्मशान की जमीन को समतल किया। कोच और स्कूल में पीटीआई राजेश्वर कहते हैं- टीमें सुबह-शाम 3-3 घंटे प्रैक्टिस की। जिस दिन गांव में किसी का निधन हो जाता, उस दिन प्रैक्टिस नहीं हो पाती।
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