27 नवंबर 2022 को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने अहमदाबाद में प्रेस को संबोधित किया। गुजरात चुनाव के मद्देनज़र पूरी भाजपा जोर-शोर से चुनाव प्रचार में लगी है। ये प्रेस कांफ्रेस भी इसी कड़ी में थी। अनुराग ठाकुर ने प्रेस वार्ता में कहा कि भाजपा ने सुरक्षित गुजरात दिया है। तभी तो निवेश हो पाया, रोज़गार मिल पाया। तो सुरक्षित गुजरात दिया तो भारतीय जनता पार्टी ने दिया।
अकेले अनुराग ठाकुर ही सुरक्षित गुजरात का दावा नहीं कर रहे हैं बल्कि भाजपा के तमाम नेता और मंत्रीगण चुनावी रैलियों में दावा कर रहे हैं कि भाजपा ने सुरक्षित गुजरात दिया है। दावा कर रहे हैं लेकिन ये नहीं बता रहे कि सुरक्षित गुजरात का ये दावा किस आधार पर किया जा रहा है? क्या गुजरात में अपराध खत्म हो गया है या कम हो गया है? आइये, पड़ताल करते हैं।
गुजरात में अपराध के आंकड़े
गौरतलब है कि 2002 से गुजरात में भाजपा की सरकार है। तो हम पड़ताल करेंगे कि क्या इन दो दशकों में अपराध के आंकड़ों में कमी आई है? इस जांच का आधार नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की वार्षिक रिपोर्टों को बनाते हैं और पड़ताल शुरू करते हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2002 में गुजरात में अपराध के कुल 1,06,675 मामले दर्ज़ किये गये थे, जो वर्ष 2007 में बढ़कर 1,23,195 हो गये। वर्ष 2012 में यही आंकड़ा बढ़कर 1,30,121 हो गया। वर्ष 2017 में बढ़कर 1,28,775 हो गया और वर्ष 2021 में गुजरात में अपराध के मामलों में दोगुनी बढ़ोतरी हुई और ये आंकड़ा बढ़कर 2,73,056 हो गया। आंकड़ों के लिहाज़ से भाजपा के शासनकाल के ये बीस साल अपराध में कमी के नहीं बल्कि अपराध को दोगुना करने वाले हैं।
अब ये देखते हैं कि देश के विभिन्न राज्यों में अपराध की दृष्टि से गुजरात का क्या स्थान है? अगर हम पिछले बीस सालों की बात करें तो अपराध की दृष्टि से पहले दस राज्यों की लिस्ट से गुजरात एकाध साल ही बाहर हुआ है। अपराध के मामले में गुजरात देश में 5वें स्थान पर है, वर्ष 2002 में गुजरात देश में 8वें स्थान पर था। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर के “सुरक्षित गुजरात” के दावे की पुष्टि नहीं कर रहे हैं। आंकड़े बता रहे हैं कि गुजरात में पिछले बीस सालों में अपराध के मामले कम नहीं हुए हैं बल्कि बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है और अपराध के मामले बढ़कर दोगुने हो चुके हैं। तो अनुराग ठाकुर को बताना चाहिये कि उन्होंने किस आधार पर ये दावा किया है? क्या अनुराग ठाकुर की सुरक्षित राज्य की परिभाषा यही है कि अगर किसी राज्य में अपराध दोगुना हो जाएं तो वो सुरक्षित हो जाता है?
क्या गुजरात में 2002 के बाद कोई दंगा नहीं हुआ?
मात्र यही दावा नहीं किया गया है बल्कि भाजपा दावा करती है कि गुजरात में पिछले बीस सालों में कोई दंगा नहीं हुआ है और नौजवान भूल चुके हैं कि कर्फ्यू क्या होता है। गृहमंत्री अमित शाह ने खेड़ा, गुजरात में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि 2002 में दंगा करने वालों को सबक सिखाया गया और प्रदेश में शांति स्थापित की गई। अन्य भाजपा नेता भी चुनावी रैलियों में दावा कर रहे हैं कि गुजरात में कोई दंगा नहीं हुआ है। जबकि आंकड़े इसकी पुष्टि नहीं करते हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की 2021 की रिपोर्ट के हिसाब से गुजरात में दंगे के 161 मामले दर्ज़ किये गये हैं जिनमें 3 सांप्रदयिक दंगे के मामले भी शामिल हैं।
भाजपा के नेता और मंत्रीगण चुनावी सभाओं में भ्रामक दावे कर रहे हैं। जुमले की तरह बहुत बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। लोगों को आधी-अधूरी जानकारी दे रहे हैं। ये व्यवहार ना सिर्फ ग़ैर-ज़िम्मेदाराना है बल्कि इससे ये भी पता चलता है कि ये नेता जवाबदेही को लेकर कितने “गंभीर” है। बेहतर हो अगर भाजपा के नेता भाषण देते हुए जो दावे करें उनकी पुष्टि करते हुए आंकड़े भी सामने रखें। ये भी बताएं कि वो दावा किस आधार पर कर रहे हैं।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)
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