चतराएक दिन पहले
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दुर्गा पूजा के अवसर पर चतरा कॉलेज के समीप लगा झारखंड के प्रसिद्ध चतरा पशु मेला पूरे चरम पर है। यह मेला कोरोना काल के कारण दो साल बाद लगा है। इस मेले में दूसरे राज्य सहित झारखंड के कई जिले से पशु व्यापारी भारी संख्या में पशु लेकर पहुंचे हैं। मेले में आम लोगों को मनोरंजन का ख्याल रखते हुए झूला,ब्रेक डांस, नाव, हैलेपकाप्टर, रेल, जंपिंग आदि लगाए गए हैं।
लोग पशु खरीदने और बेचने के साथ झूला, नाव, ब्रेक डांस आदि का लुत्फ उठा रहे हैं। बच्चों के मनोरंजन का भी ध्यान रखा गया है। इन सब के अलावा मेले में जरूरत के चीजों का भी अस्थाई दुकान लगाई गई है। मेले में खिलौने की दुकान भी सजी हैं। इन दुकानों पर लोगों की भीड़ उमड़ रही है।मेले में रात 9:00 बजे तक लोगों की भीड़ लगी रहती है। सुरक्षा के लिए पुलिस सक्रिय है।
उल्लेखनीय है कि चतरा का पशु मेला पहले मेला टांड़ में लगा करता था। यह क्षेत्र कई एकड़ में था, पर अब इस जमीन पर विकास भवन, बाईस कोर्ट, उपभोक्ता फोरम, कुटुंब न्यायालय, पुलिस अधीक्षक आवास, उपायुक्त एवं प्रधान जिला एवं सत्र न्यायधीश आवास, प्रशिक्षण हाल के अलावा कई आलीशान भवन बना दिए गए हैं। जिसके कारण अब यह मेला चतरा कॉलेज के समीप लगा है।
चतरा मेला का डाक 6.30 लाख में हुआ
पहले चतरा पशु मेला का डाक अंचल कार्यालय चतरा से हुआ करता था। अब इस मेले का डाक नगर परिषद विभाग से होता है। इस साल पशु मेला का डाक छह लाख 30 हजार रुपए में हुई है। इससे नगर विकास विभाग को करीब छह लाख 30 हजार रुपए का राजस्व वसूली हुई है।
पहले हरियाणा, उत्तरप्रदेश आदि प्रांत से आते थे पशु व्यापारी
चतरा पशु मेला इतिहास काफी पुराना है। बताया जाता है कि यहां मेला 100 साल पहले से लगते चला आ रहा है। झारखंड, बिहार, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित अन्य प्रांतों के पशु व्यापारी यहां पहुंचते थे। करीब बीस से पच्चीस हजार पशुओं की खरीद बिक्री मेले में हुआ करती थी। चतरा जिला के अलावा हजारीबाग, कोडरमा, पलामू, लातेहार जिला के अतिरिक्त बिहार के गया, जहानाबाद, औरंगाबाद आदि जिला के किसान इस मेले में पशुओं की खरीद बिक्री के लिए आते थे।लेकिन अब व्यापारी का आना बहुत कम हो गया है।
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