गुरुग्राम, . वर्ष 2014 में एक भैंस के साथ अपने डेयरी प्रोडक्ट्स की शुरुआत करने वाली बोहड़ाकलां गांव निवासी सरोज का व्यवसाय केवल गांव तक सीमित था. उन्हें अपना डेयरी प्रोडक्ट और शुद्ध दूध खराब सड़क और जानकारी के अभाव के चलते कौडिय़ों के भाव बेचना पड़ता था. सरोज वर्ष 2017 में हरियाणा (Haryana) राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के स्वंय सहायता समूह के साथ जुड़ीं और उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
गुरुग्राम (Gurugram)के बोहड़ाकलां के सरोज का अपने गांव शंकर की ढाणी से निकलकर अपने ही शहर जाना एक देश से किसी दूसरे देश में जाने जैसा रहा. इन दिनों यहां सेक्टर-29 में लगे राष्ट्रीय स्तर के सरस आजीविका मेले में सरोज शुद्ध पनीर, खोया, क्रीम सहित विभिन्न प्रकार की मिठाईयां बेच रही है. सरोज ने 2019 में स्वंय सहायता समूह की मदद से रुडसेट संस्थान से ट्रेनिंग लेकर हरियाणा (Haryana) डेयरी डेवलपमेंट कॉपरेटिव फेडरेशन के तहत आने वाले वीटा डेयरी के साथ दूध की सप्लाई करना शुरू किया. सरोज को आज वीटा डेयरी में 100 प्रतिशत फैट वाले दूध की कीमत 82 रूपये प्रति लीटर मिल रही है. 2019 से अपने गांव में एक मिठाई की दुकान से शुरुआत करने वाली सरोज ने पिछली दिवाली में 50 हजार की मिठाईयां बेचीं. अब 8 कारीगरों को आजीविका प्रदान कर रही सरोज की आशा है कि इस दिवाली पर वह एक लाख से अधिक की मिठाईयां बेचने में कामयाब होंगी.
सरोज गुरुग्राम (Gurugram)की खंड पटौदी में 13 स्वयं सहायता समूह की 150 महिलाओं की लीडर है. सरोज ने अपने समूह की कई महिलाओं को स्टार्ट-अप से छोटे-छोटे व्यवसाय की शुरुआत कर आजीविका भी प्रदान किया. इसी के साथ सरोज एमजी-नरेगा में समय समय पर सोशल ऑडिट भी करती हैं.
पति किसान हैं तो बेटे कर रहे हैं नौकरी
सरोज के पति किसान है और उनके दोनों बेटे बीटेक हैं. एक लड़का भारतीय रेलवे (Railway)में लोको पायलट है, जबकि दूसरा प्राइवेट कम्पनी में इंजीनियर है. सरोज का लक्ष्य आने वाले समय में अपनी डेयरी प्रोडक्ट का ब्रांड स्थापित कर अपने व्यवसाय को नईं ऊचाईयों तक पहुंचाना है और अपने ब्रांड की चेन का विस्तार कर बड़े-बडे शहरों तक करना है. अपने व्यवसाय के माध्यम से सरोज ने सैकड़ों महिलाओं को रोजगार और ट्रेनिंग देने के लिए अभी से तत्पर हैं. सरोज की सफलता के पीछे सबसे बड़ा हाथ जिला प्रबंधक ग्रामीण आजीविका मिशन की दीप्ति ढींढसा का रहा, जिन्होंने उनकी छुपी प्रतिभा की पहचान कर आत्मसम्मान और आत्मविश्वास के साथ गांव से शहर की राह दिखाई.
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