आंखों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले लुब्रिकेटिंग प्रोडक्ट्स की सीरीज को ‘Artificial tears’ कहते हैं, जिनका उपयोग अक्सर आंखों में सूखापन और जलन को दूर करने के लिए किया जाता है.
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स्नेहा कुमारी : सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) की योजना है कि अब से मरीजों को बिना डॉक्टर के पर्चे के काउंटर (OTC) पर आंखों के लुब्रिकेंट या artificial tears खरीदने की अनुमति दी जाए. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद इस सुझाव को Drug Technical Advisory Board की बैठक के दौरान एक विशेषज्ञ पैनल के सामने रखा गया.रिपोर्ट में बताया गया है, “बोर्ड ने Carboxymethylcellulose Sodium आई ड्रॉप्स आईपी 0.5 परसेंट वाली Refresh Tears की श्रेणी को प्रिस्क्रिप्शन की जगह गैर-प्रिस्क्रिप्शन वाली दवा की श्रेणी में बदलने पर चर्चा की.
इस ड्रॉप का इस्तेमाल आंखों के सूखेपन, या हवा या धूप के संपर्क में आने के कारण जलन, इरिटेशन और बेचैनी से अस्थायी राहत के लिए किया जाता है. इसे और अधिक जलन के खिलाफ सुरक्षा के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.”
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि “विस्तृत विचार-विमर्श के बाद बोर्ड ने इस दवा के लिए रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर से प्रिस्क्रिप्शन की आवश्यकता को हटाने के लिए अपनी सहमति दे दी है.”
क्या ‘Artificial tears’ का उपयोग करना सुरक्षित है?
आंखों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले लुब्रिकेटिंग प्रोडक्ट्स की सीरीज को ‘Artificial tears’ कहते हैं, जिनका उपयोग अक्सर आंखों में सूखापन और जलन को दूर करने के लिए किया जाता है. रिपोर्टों के अनुसार, ग्लोबल आबादी का एक बड़ा हिस्सा ड्राई आई सिंड्रोम और आंखों की एलर्जी से पीड़ित है. लेकिन हमारी आंखों के लिए ‘आर्टिफिशियल आंसू’ या लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप का इस्तेमाल कितना सुरक्षित है?
नोएडा के ICARE हॉस्पिटल में वरिष्ठ सलाहकार, एमएस, डीएनबी, एफआईएच (कॉर्निया और माइक्रोसर्जरी), डॉ ज्योति बत्रा ने News9 को बताया, “Dry Eye Disease (DED) एक आम स्थिति है और चिकित्सा के पहले उपायों में आर्टिफिशियल आई ड्रॉप और मलहम का उपयोग शामिल है. यदि उनमें कोई प्रेजर्वेटिव्स (Preservatives) न हों, तो वे इस्तेमाल के लिए सुरक्षित होते हैं.
आमतौर पर उपलब्ध Artificial tears में कुछ प्रेजर्वेटि्व्स होते हैं. जिनका बार-बार उपयोग आंखों की सतह को नुकसान पहुंचा सकता है, और कुछ लोगों को इससे एलर्जी भी हो सकती है. इसके अलावा लुब्रिकेटिंग जेल या High-Viscosity आई ड्रॉप्स से आंखों में कुछ देर के लिए धुंधलापन भी हो सकता है. इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि अधिक प्रजर्वेटिव युक्त आई ड्रॉप का उपयोग दिन में चार बार से ज्यादा ना करें.”
Dry Eye Disease (DED) पुरुषों में अधिक आम है
इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार यह पाया गया है कि उत्तर भारत में DED का प्रसार 32 प्रतिशत है, जिसमें 21-40 वर्ष के आयु वर्ग सबसे अधिक प्रभावित होते हैं. Visual display terminal (VDT) का उपयोग, धूम्रपान, और कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग DED होने के कुछ प्रमुख कारण हैं.
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि ड्राई आई डिजीज भौगोलिक, जलवायु और जीवन शैली से जुड़े कई फैक्टर्स से प्रभावित होता है. रिपोर्ट के अनुसार, “DED एंग्जाईटी और डिप्रेशन से अहम रूप से जुड़ा हुआ है. एक जनसंख्या-आधारित अध्ययन में पाया गया कि Dry Eye Disease वाले 13.7 प्रतिशत प्रतिभागी डिप्रेशन से जूझ रहे हैं.”
अध्ययन में यह भी पाया गया कि पुरुषों में (65.3 प्रतिशत पुरुष, 34.7 प्रतिशत महिलाएं) और 21 से 40 वर्ष की आयु (52.1 प्रतिशत) के बीच के रोगियों में DED का प्रभाव अधिक है. गांव में रहने वालों (34.98 प्रतिशत) की तुलना में अधिकांश रोगी शहरी क्षेत्रों (65.02 प्रतिशत) के थे. कंप्यूटर के साथ डेस्क जॉब में शामिल मरीजों में DED विकसित होने की संभावना और अधिक थी.
Artificial tears के लिए चेतावनी और सावधानियां
आंखों के मास्क का बड़े पैमाने पर उपयोग, ऑनलाइन टीचिंग में इजाफा और स्क्रीन के सामने लंबे समय तक काम से वास्तव में COVID-19 के दौरान आंखों से जुड़ी परेशानियों और ड्राई आई के मामलों में काफी वृद्धि हुई है. OTC (ओवर द काउंटर) लुब्रिकेंट्स का उपयोग भी बढ़ गया है. डॉ बत्रा के अनुसार, आंखों की इन समस्याओं की देखभाल के लिए केवल आर्टिफिशियल आई ड्रॉप का उपयोग पर्याप्त नहीं है.
उन्होंने कहा, “यदि रोगी को खुजली, सूजन, या सांस लेने की समस्या हो, तो कृपया जल्द से जल्द एक नेत्र रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें. अगर आपके लक्षण इन ड्रॉप्स के निरंतर उपयोग से कम नहीं होते हैं, तो Artificial tears का इस्तेमाल न करें और आंखों के डॉक्टर से परामर्श लें. Refresh Tears एक प्रेजर्वेटिव वाला आर्टिफिशियल आई ड्रॉप है. हालांकि यह उपयोग करने के लिए सुरक्षित है, इसका उपयोग दिन में चार बार से अधिक नहीं करना ही बेहतर है.”
साथ ही, डॉ बत्रा के अनुसार, यह विभिन्न प्रकार की ड्राई आई समस्याओं के लिए त्वरित समाधान नहीं है. रोगी की विशिष्ट आवश्यकता के अनुसार आर्टिफिशियल आई ड्रॉप का चयन व्यक्तिगत रूप से किया जाना चाहिए.
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