- Hindi News
- Business
- Drone ‘Varun’ Will Soon Join The Navy, It Will Be Able To Fly With A Weight Of 100 Kg
नई दिल्ली36 मिनट पहले
भारतीय नौसेना में इंसानों को लेकर उड़ने वाला ड्रोन शामिल होने जा रहा है। इस ड्रोन को पुणे में स्थित भारतीय स्टार्टअप सागर डिफेंस इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है। ड्रोन का नाम वरुण है। ये 100 किलोग्राम के वजन के साथ उड़ान भर सकता है और 25 से 30 किमी. का सफर 30 मिनट में पूरा कर लेगा।
भारतीय नौसेना ने एक बयान में कहा कि ड्रोन ‘वरुण’ देश का पहला मानव ले जाने वाला ड्रोन है। इसे भारतीय स्टार्टअप सागर डिफेंस इंजीनियरिंग द्वारा विकसित किया गया है। इसे जल्द ही नौसेना में शामिल किया जाएगा।
ये 100 किलोग्राम के वजन के साथ उड़ान भर सकता है और 25 से 30 किमी. का सफर 30 मिनट में पूरा कर लेगा।
तकनीकी खराबी में पैराशूट के जरिए सुरक्षित लैंडिंग
कंपनी के को-फाउंडर बब्बर ने बताया कि ड्रोन हवा में तकनीकी खराबी के बाद भी सुरक्षित लैंडिंग करने में सक्षम है। इसमें एक पैराशूट भी है, जो इमरजेंसी या खराबी के दौरान अपने आप खुल जाएगा और ड्रोन सुरक्षित लैंड हो जाएगा। इसके साथ ही वरुण का इस्तेमाल एयर एंबुलेंस और दूर के इलाकों में सामान के ट्रांसपोर्ट के लिए किया जा सकता है।
वरुण का इस्तेमाल एयर एंबुलेंस और दूर के इलाकों में सामान के ट्रांसपोर्ट के लिए भी किया जा सकता है।
जुलाई में किया गया था ड्रोन का परीक्षण
ड्रोन का प्रदर्शन जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने किया गया था, यहां उनके साथ केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सोशल मीडिया अकाउंट पर इसका वीडियो भी शेयर किया गया था।
निगरानी और सुरक्षा होगी मजबूत
रिपोर्ट के अनुसार, इससे देश की निगरानी और सुरक्षा को मजबूत किया जा सकता है। इसके अलावा इमरजेंसी में इसका उपयोग राहत और मेडिकल आपात स्थिति में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
इससे देश की निगरानी और सुरक्षा को मजबूत किया जा सकेगा।
ड्रोन का उपयोग किन-किन क्षेत्रों में होता है?
देश में ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए बनी गैर लाभकारी संस्था ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया के डायरेक्टर स्मित शाह के अनुसार ड्रोन के मुख्यत: तीन उपयोग होते हैं, सर्वे, निरीक्षण और डिलीवरी। एरियल सर्वेक्षण के अलावा, पाइपलाइन, विंडमिल इत्यादि के निरीक्षण, डिफेंस के लिए और पहुंच विहीन इलाकों में दवाएं और जरूरी सामग्री पहुंचाने में ड्रोन काम आते हैं। इसके अलावा एरियल फोटोग्राफी, सिनेमेटोग्राफी में भी काम आते हैं। यही नहीं एयर टैक्सी के लिए भी ड्रोन का इस्तेमाल संभव है।
2026 तक यह 50,000 करोड़ के टर्नओवर तक पहुंच सकती है ड्रोन इंडस्ट्री
स्मित शाह ने कुछ महीने पहले बताया था कि फिलहाल ड्रोन इंडस्ट्री 5,000 करोड़ की है। सरकार का अनुमान है कि यह 5 सालों में 15 से 20 हजार करोड़ की इंडस्ट्री होगी, लेकिन हमारा अनुमान है कि 2026 तक यह 50,000 करोड़ के टर्नओवर तक पहुंच सकती है।
भारत में ड्रोन उड़ाने के लिए क्या कोई गाइडलाइन है?
हां। भारत सरकार ने ड्रोन के वजन के आधार पर उन्हें 5 अलग-अलग कैटेगरी में बांटा है।
- नैनो ड्रोन के अलावा बाकी सभी ड्रोन को उड़ाने के लिए आपको डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) से एक विशिष्ट पहचान संख्या (Unique Identification Number) लेना होता है।
- किसी भी ड्रोन को मिलिट्री एरिया के आसपास या रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इलाके में उड़ाना प्रतिबंधित है।
- इंटरनेशनल एयरपोर्ट के 5 किलोमीटर और बाकी एयरपोर्ट के 3 किलोमीटर के दायरे में ड्रोन उड़ाना प्रतिबंधित है।
- इंटरनेशनल बॉर्डर के 25 किलोमीटर के दायरे में ड्रोन उड़ाना प्रतिबंधित है।
- इसके अलावा ड्रोन की कैटेगरी के हिसाब से इन्हें कितनी ऊंचाई तक उड़ाया जा सकता है वो भी निर्धारित है।
अमेरिका ने 2016 में तैयार कर लिया था पहला ड्रोन
अमेरिका में 2016 में दुनिया का पहला इंसान को लेकर उड़ने वाला ड्रोन ‘The Ehang184’ तैयार किया था। एक छोटा पर्सनल हेलिकॉप्टर है, जो केवल सिंगल पैसेंजर को ले जाने में सक्षम है। ये 100 किलो तक का वजन लेकर जा सकता है।
‘The Ehang184’ ड्रोन एक – दो घंटे की चार्जिंग से सी-लेवल पर एक पैसेंजर के साथ 23 मिनट तक उड़ सकता है
श्रेय: स्रोत लिंक
इस बारे में चर्चा post