मथुरा39 मिनट पहले
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टेसू को घुमाने के दौरान गाये जाने वाले गीत बहुत ही गुदगुदाने वाले होते हैं
उत्तर भारत में एक प्राचीन परम्परा है टेसू और झांझी की। नवरात्रों के अवसर पर छोटे छोटे बच्चे घर घर जाते थे और टेसू गाते थे। लेकिन आधुनिकता के दौर में यह परंपरा या कहें खेल विलुप्ति के कगार पर पहुंच गया। मथुरा में जहां पहले सैंकड़ों बच्चे इस खेल को खेलते और पूर्णिमा के दिन टेसू झांझी की शादी कराते थे वहीं अब इक्का दुक्का स्थानों पर ही हाथ में टेसू लिए बच्चे दिखाई देते हैं। कौन है टेसू और क्या है खेल जानिए दैनिक भास्कर की इस खास रिपोर्ट में
ब्रज भूमि को दिलाती है अलग पहचान
टेसू झाँझी की परंपरा कब से पड़ी यह तो किसी को भी नहीं पता। लेकिन यह अनौखी,लोक रंजक, मनोरंजन से भरपूर और अद्भुत है। यह परंपरा ब्रज भूमि की लोक परंपरा के नजरिए से अलग पहचान दिलाती है। ब्रज भूमि की यह परंपरा पूरे उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तक फैली लेकिन आधुनिकता का दौर ऐसा छाया कि यह विलुप्त हो गई।
ब्रज भूमि की यह परंपरा पूरे उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तक फैली लेकिन आधुनिकता का दौर ऐसा छाया कि यह विलुप्त हो गई
खाटू श्याम का रूप मानते हैं टेसू को
टेसू जिसे खाटू श्याम जी का रूप माना जाता है। जानकार सुधीर शुक्ला बताते है कि टेसू जो कि खाटू श्याम जी का ही रूप है उनकी कहानी महाभारत से शुरू होती है। बलशाली भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने युद्ध कला अपनी मां से सीखी। इसके साथ ही उन्होंने भगवान शिव की घोर तपस्या करके उन्हें प्रसन्न किया और तीन अभेद्य वाण प्राप्त किए। जिसके बाद उनको टीम वाणधारी भी कहा जाने लगा। वहीं अग्नि देव ने प्रसन्न होकर बर्बरीक को धनुष प्रदान किया को तीनों लोक में विजय बनाने में समर्थ था।
खाटू श्याम
हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा
महाभारत के युद्ध में मां की आज्ञा से बर्बरीक युद्ध में पांडवों का साथ देने जाने लगे। इस पर उनकी मां ने कहा कि तुम उनकी तरफ से लड़ना जो युद्ध में हार रहे हों। यह बात भगवान श्री कृष्ण को पता चल गई। इसके बाद भगवान कृष्ण ब्राह्मण का रूप रखकर बर्बरीक की परीक्षा लेने पहुंच गए। भगवान ने बर्बरीक से कहा कि तुम अगर अर्जुन की तरफ से लड़े तो कौरव हार जायेंगे और कौरवों की तरफ से लड़े तो पांडव हार जाएंगे। यह सुनकर बर्बरीक ने उपाय पूछा जिस पर भगवान ने बर्बरीक से दान में उनका सर मांग लिया। जिसके बाद बर्बरीक ने अपना सर धड़ से अलग किया और भगवान कृष्ण को दे दिया। भगवान कृष्ण ने बलिदान से प्रसन्न होकर वरदान दिया और कहा कि कलयुग में हारे का सहारा बनकर तुम भक्तों का उद्धार करोगे और मां के वचन के अनुसार जो भक्त हार गया हो उसका सहारा बनोगे।
लड़कियां बनाती हैं टेसू
नवरात्रों में टेसू लड़कियां बनाती हैं। छोटी छोटी बेटियां घरों में टेसू बनाने की तैयारी शुरू करती हैं और 3 बांस की छोटी लकड़ियों का स्टेंड नुमा बनाती हैं। इस स्टेंड पर मिट्टी से बर्बरीक का सर बनाया जाता है इसके अलावा 2 और छोटे पुतले जैसे बनाए जाते हैं। जिनको राजा का दास और चौकीदार कहा जाता है।
नवरात्रों में छोटी छोटी बेटियां घरों में टेसू बनती हैं
टेसू बनाने में लगता है एक दिन
टेसू बना रही बालिका राधा ने बताया कि एक टेसू बनाने में पूरा दिन लगता है। सबसे पहले बांस की 3 छोटी लड़कियों का स्टैंड बनाते हैं फिर उस पर मिट्टी से आकृति बनाई जाती है। इसके बाद इसे 4 से 5 घंटे तक सूखने के लिए रख दिया जाता है। सूखने के बाद इस को आकर्षक बनाने के लिए इसमें रंग भरे जाते हैं। पूरी तरह तैयार होने के बाद फिर टेसू को शाम के समय घुमाया जाता है घर घर।
टेसू बना रही बालिका राधा ने बताया कि एक टेसू बनाने में पूरा दिन लगता है
टेसू के साथ गाए जाते हैं मनोरंजन और गुदगुदाने वाले गीत
टेसू को लेकर लड़के घर घर जाते हैं और बहुत ही मनोरंजन और गुदगुदनाए वाले गीत गाते हैं जिसके बाद वह पैसे लेते हैं और बढ़ जाते हैं आगे। पारंम्परिक टेसू की आंख, नाक तथा इसके मुख के स्थान पर कौड़ी चिपकाई जाती है। चार कौड़ियों की आवश्यकता होती है। बाद में ये कौड़ियां संभालकर रख ली जाती हैं क्योंकि इनको शुभ और कल्याणकारी माना जाता है।
टेसू के गीत
टेसू रे टेसू घंटार बजाना, इक नगरी दस गाँव बसाना।
उड़ गए तीतर रह गए मोर, गबरू बैल को ले गए चोर चोरों के घर खेती हुई, खाके चोरनी मोटी हुई,
मोटी होके मायके आई, देख हँसे सब लोग लुगाई,
गुस्सा होके पहुँची दिल्ली, दिल्ली से लाई दो बिल्ली, एक बिल्ली कानी, सब बच्चों की नानी,
नानी नानी टेसू आया, संग में अपने झाँझी लाया,
मेरा टेसू यहीं अड़ा, खाने को माँगे दही बड़ा,
दही बड़ा हो हइया, झट निकाल रुपइया,रुपए के तो ला अखरोट, मुझको दे दे सौ का नोट।
मेरा टेसू यहीं खड़ा मेरा दही बड़ा टेसू यहीं अड़ा, खाने को माँगे दही बड़ा,
दही बड़ा बहुतेरा, खाने को मुँह टेढ़ा।
मथुरा को जाएंगे, चार कौड़ी लाएंगे ,कौड़ी अच्छी हुई तो, टेसू में लगाएंगे ,टेसू अच्छा हुआ तो, गाँव में घुमाएंगे ,गाँव अच्छा हुआ तो, चक्की लगबायेंगे ,चक्की अच्छी हुई तो, आटा पिसवाएंगे ,आटा अच्छा हुआ तो, पूए बनवाएंगे ,पूए अच्छे हुए तो, गप गप खा जाएंगे,खाकर अच्छा लगा तो बाग घूमने जाएंगे,बाग अच्छा हुआ तो, माली को बुलाएंगे ,माली अच्छा हुआ तो, आम तुड़वाएंगे ,आम अच्छे हुए तो, घर भिजवाएंगे ,घर भिजवा कर, अमरस बनवाएंगे ,अमरस अच्छा हुआ तो, मथुरा ले जाएँगे।
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