हालांकि हमारे देश में कृषि आधुनिक तकनीक से हो रही है। बहुत-सी फसलों, फलों और सब्जियों के नए रूप भी तैयार किए गए हैं। किसान भी नई तकनीक अपना रहे हैं। मगर यह भी सच है कि जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव फसलों पर पड़ रहा है, जिस कारण इनकी पैदावार में कमी आ रही है, इसलिए वैज्ञानिकों ने जीएम यानी जेनेटिकली मोडिफाइड सरसों का प्रचलन देश में शुरू करने के बारे में सोचा। इस विधि से देश को खाने वाले तेल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
मगर इस विधि से प्रकृति को कोई नुकसान न हो, इस तेल का प्रयोग करने वालों की सेहत पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े, इसका ध्यान रखना भी जरूरी है। जीएम सरसों से मधुमक्खी पालकों को भी नुकसान की संभावना है, क्योंकि जीएम सरसों से मधुमक्खियों को सरसों का रस शुद्ध नहीं मिलेगा, जिससे मधुमक्खी पालकों का कारोबार प्रभावित होगा, वैज्ञानिकों को इसका भी हल निकालना होगा।
जैविक खाद का प्रयोग बढ़े, इसके लिए सरकारों को किसानों के लिए विशेष योजनाओं की सौगात देनी होगी। किसानों को इस कार्य के लिए तकनीकी और आर्थिक सहायता देनी होगी। पशु पालन के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए भी सरकारों को कुछ नीतियां बनानी चाहिए, ताकि किसान जैविक खाद तैयार कर सकें।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
धोखे का संजाल
ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जिनका मानना है कि भारतीय समाज अभी ‘लिवइन रिलेशनशिप’ के लायक नहीं है। दरअसल, हमारी नई पीढ़ी के लिए आधुनिकता उसी सीमा तक सही है, जिसमें भौतिक सुख निहित है। इसके अन्य पहलुओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है। जिसके कारण प्यार में धोखा भी है, और धोखे से प्यार भी हो जा रहा है। वैसे सामाजिकता के भाव गांव-घर से गायब होते जा रहे हैं।
आज आधुनिक जमाने में देखें तो ज्यादातर प्यार में धोखा या प्यार होना दोनों में सोशल मीडिया की बहुत बड़ी भूमिका है। यह भी सच है कि प्यार का इजहार करना सोशल मीडिया का एक आसान मार्ग बन गया है। यह फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे मंचों पर ज्यादातर देखने को मिल रहा है। दोस्ती कर उसे प्यार में बदल देना वीडियो काल के जरिए अश्लील वीडियो बना लेना और फिर अपने रूप को बदल लेना, ऐसे धोखेबाजों से सावधान रहने की जरूरत है।
सुनैना रंजन, डुमरिया, गया
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