राष्ट्रपति महोदया जी ने जब से मेरी जानकारी बढ़ाई है, मैं अभिभूत हूं। मैं तब से गुजरात का क़र्ज़दार हूं। नमक मैं पहले से ही खा रहा हूं, बचपन से ही, पर पता ही नहीं था कि मैं कहां का नमक खा रहा हूं। मैं तो सोचता था कि मैं टाटा नमक खाता हूं और कोई क़र्ज़ नहीं है क्योंकि मैं यह पैसे से खरीद कर खाता हूं। पर यह अभी, राष्ट्रपति महोदया जी के बताने के बाद ही पता चला है कि सारा देश गुजरात का नमक खा रहा है। मैं ही नहीं, सारा देश गुजरात का क़र्ज़दार है।
हमें पहले से ही पता था कि ‘अमूल दूध पीता है इंडिया’। अमूल वाले अपना विज्ञापन इसी तरह करते हैं। और अमूल गुजरात से ही शुरू हुआ था। अमूल वालों की मानें तो सारा इंडिया अमूल का ही दूध पीता है। लेकिन कोई क़र्ज़ नहीं, कोई अहसान नहीं। न अमूल का, न हमारा। पैसे दिए, दूध खरीदा और पीया। महामहिम ने भी कभी नहीं कहा कि सारा देश गुजरात का दूध पीता है और न ही सरकार जी ने कभी ऐसा कहा।
जिसका, जहां का नमक कोई खाता है, उसको वहां का क़र्ज़दार होना ही पड़ता है। नमक का क़र्ज़ उतारे नहीं उतरता है। गुणी जन नमक के क़र्ज़ को मां बाप के और गुरुजनों के क़र्ज़ के बराबर ही मानते हैं। इनका क़र्ज़ आप जिंदगी भर नहीं उतार सकते हैं। नमक का क़र्ज़ बहुत भारी होता है।
यूं तो हम बहुत सारी चीज़ें खाते हैं। गेहूं और चावल खाते हैं। फल और सब्जियां खाते हैं। दालें खाते हैं। मिर्च मसाले खाते हैं। स्वादानुसार नमक और चीनी भी खाते हैं। पर क़र्ज़ सिर्फ नमक का होता है। कभी किसी से सुना है कि गेहूं का या आटे का क़र्ज़ होता है। या फिर सेब का क़र्ज़ होता है। या फिर किसी भी और खाने की चीज का क़र्ज़ होता है। यहां तक कि गाय के दूध या घी तक का भी क़र्ज़ नहीं होता है। खाने पीने की चीजों में बस नमक का क़र्ज़ होता है या फिर मां के दूध का।
अच्छा है कि सेब का क़र्ज़ नहीं होता है। सेब कितना भी खाओ, कोई क़र्ज़ नहीं चढ़ता है। यूं तो सेब अच्छा फल माना जाता है। कहावत है ‘एन एप्पल अ डे, कीप्स द डॉक्टर अवे’। मतलब एक सेब रोज खाने से बीमारियों से दूर रहोगे। इतना गुणी फल और फिर भी कोई क़र्ज़ नहीं। मैं सोचता हूं, अगर सेब खाने से भी क़र्ज़ चढ़ता तो हम सब तो, पूरा देश तो कश्मीर का भी क़र्ज़दार हो जाता। हिमाचल का भी क़र्ज़दार हो जाता। सारा देश कश्मीर और हिमाचल के ही तो सेब खाता है। पर महामहिम ने इसका जिक्र कभी नहीं किया।
एक बात और। नमक के बिना एक बार काम चल भी जाए पर अन्न के बिना नहीं चल सकता है। अन्न तो स्टेपल फूड है। किसी का स्टेपल फूड गेहूं है तो किसी का चावल। स्टेपल फूड माने वह खाना जो भोजन में सबसे अधिक मात्रा में शामिल हो। जिससे सबसे अधिक ऊर्जा मिले। जिसके बिना खाने का काम ही न चले। पर फिर भी महामहिम ने यह नहीं बताया कि देश कहां का गेहूं और कहां का चावल खाता है। क्योंकि उसका क़र्ज़ नहीं चढ़ता है। उसका क़र्ज़ नहीं चुकाना पड़ता है। क़र्ज़ तो सिर्फ नमक का ही चुकाना पड़ता है।
यह बात सरकार जी को भी पता है कि क़र्ज़ नमक का ही होता है, अन्न का नहीं। पहले से ही पता है। शुरू शुरू में तो सरकार जी मुफ्त में गेहूं, चावल और दाल ही बंटवाते थे। पर जैसे ही उत्तर प्रदेश में चुनाव पास आया, नमक भी बंटवाना शुरू कर दिया। जनता को भी समझ आ गया कि नमक क्यों बंटवाया जा रहा है। कर्ज चढ़ाने के लिए ही ना। तो जनता ने भी नमक का क़र्ज़ उतार दिया। ज्यादा दिनों तक अपने ऊपर नहीं रखा। उत्तर प्रदेश में सरकार जी के दल की सरकार बना कर जल्दी ही उतार दिया।
देश तो, देश की जनता तो गुजरात का क़र्ज़ उतार ही रही है। केन्द्र में दो गुजरातियों को बिठाए हुए है। सारा व्यवसाय दो गुजरातियों को सौंप बैठी है। और तो और, बैंकों का पैसा लेकर विदेश भागे अधिकतर लोग भी गुजराती ही हैं। नीरव मोदी, ललित मोदी, मेहुल चौकसी और और भी। फिर भी नमक के क़र्ज़ में डूबी जनता उफ नहीं कर रही है। और कितना कर्ज चुकाए जनता गुजरात का। हां भई, हां! नमक खाते हैं गुजरात का। तो जान ही ले लोगे क्या?
वैसे डाक्टर भी कहते कि नमक कम खाओ। अधिक नमक खाने से दिल पर बोझ बढ़ता है। ब्लड प्रेशर भी बढ़ने लगता है। गुर्दों पर भी जोर पड़ता है। शरीर में पानी जमा होने लगता है। दिन भर में पांच ग्राम से कम ही नमक खाना चाहिए। इसी में समझदारी है। स्वस्थ भी रहोगे और क़र्ज़ भी कम चढ़ेगा।
श्रेय: स्रोत लिंक
इस बारे में चर्चा post