झाँसी, जागरण टीम : नई दिल्ली से हैदराबाद जाने वाली आन्ध्र प्रदेश एक्सप्रेस के दो भाग में बटने की घटना ने रेलवे की कार्य प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं। ट्रेन को दो बार बड़े स्टेशन पर तकनीकी निरीक्षण करने के बाद उसे रवाना किया गया, लेकिन कुछ किलोमीटर की दूरी तक करते-करते ट्रेन 3 बार हादसे का शिकार हुई।
गनीमत यह रही कि जिन कोच से यह ट्रेन दो भाग में बँटी वह एसी कोच थे, यदि स्लीपर कोच से ट्रेन दो भाग में बँटती तो बड़े हादसे से इन्कार नहीं किया जा सकता है। इससे पहले भी कई ट्रेन दो भाग में बँट चुकी हैं, लेकिन रेलवे ने इससे कोई सबक नहीं लिया।
शाम 4 बजे नई दिल्ली से चली आन्ध्र प्रदेश एक्सप्रेस (12724) खुली तो इससे पहले यार्ड में रेलवे के सीऐण्डडब्ल्यू स्टाफ ने उसका तकनीकी परीक्षण किया था। इस परीक्षण के दौरान ट्रेन के कोच को एक दूसरे से जोडऩे वाली कपलिग की जाँच के साथ ही अन्य पुर्जों का भी निरीक्षण किया गया। इसके बाद ट्रेन को चलाने की अनुमति दी गई। शाम 7 बजे जब आन्ध्र प्रदेश आगरा कैण्ट स्टेशन पहुँची तो यहाँ भी सीऐण्डडब्ल्यू स्टाफ ने ट्रेन के कपलिग की जाँच की थी। यहाँ से भी ट्रेन को संचालित करने के लिए अनुमति दे दी गई।
आगरा से 58 किलोमीटर आगे हेतमपुर के पास आते ही ट्रेन की कपलिग पिन टूटी और ट्रेन 2 भाग में बँट गई। हादसे की जानकारी रनिंग स्टाफ ने कण्ट्रोल रूम को दी तो सीऐण्डडब्ल्यू विभाग के कर्मियों ने यहाँ पहुँच कर ट्रेन के गार्ड, ड्राइवर और टिकिट चेकिंग स्टाफ के साथ मिलकर कपलिग को जोड़ दिया और ट्रेन को आगे बढ़ा दिया। अभी ट्रेन मुरैना तक ही पहुँची थी कि फिर से कपलिग टूट गई और ट्रेन 2 भाग में बँट गई।
यहाँ फिर से सीऐण्डडब्ल्यू स्टाफ ने कपलिग को जोड़ा और अधिकारियों ने ट्रेन को गन्तव्य के लिए रवाना करने की अनुमति दे दी। मुरैना से निकलते ही फिर तीसरी बार ट्रेन 2 भाग में बँट गई। एक ही ट्रेन की तीन बार कपलिग टूटने से रेलवे की कार्य प्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह लग गए हैं।
जानकारों का कहना है कि जब तक तकनीकी स्टाफ पूरी तरह आश्वस्त न हो जाए, ट्रेन को चलाने की अनुमति नहीं देता। लेकिन इस मामले में 3 बार सीऐण्डडब्ल्यू ने कपलिग जोड़ी और तीनों बार ट्रेन को चलाने की अनुमति दी गई जबकि, तीनों बार वही कपलिग टूटी, जिसे जोड़ा गया था।
Edited By: Mohammed Ammar
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