जयपुरएक घंटा पहलेलेखक: भरत सिसोदिया
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मारवाड़ियों को बहुत धर्म-परायण माना जाता है। उनकी जीवन-शैली, खान-पान, पहनावा और दैनिक व्यवहार धर्म-कर्म के अनुसार हाेते हैं।
मारवाड़ियों को बहुत धर्म-परायण माना जाता है। उनकी जीवन-शैली, खान-पान, पहनावा और दैनिक व्यवहार धर्म-कर्म के अनुसार हाेते हैं। ज्यादातर लोग नित्य पूजा करते हैं। इन्हीं परंपराओं को मारवाड़ी सेठों सहित देश के बड़े उद्योगपति परिवार आज भी निभा रहे हैं। इनमें ज्यादातर के दिवाली से लेकर अन्य किसी भी प्रकार की पूजा कराने राजस्थानी पंडित ही जाते हैं। यही नहीं मां लक्ष्मी के साथ मां सरस्वती और महाकाली की तंत्र पूजा भी जरूरी मानते हैं, ताकि व्यापार को किसी की नजर नहीं लगे।
खास यह भी है कि शेखावटी से गए बिड़ला, पीरामल, सिंघानिया, तापड़िया समेत अधिकतर बड़े उद्योगपति दीपावली व अन्य अनुष्ठान के लिए शेखावटी के आचार्य व शास्त्री ही बुलवाते हैं। यहां तक की पूजन सामग्री भी राजस्थान से ही जाती है। व्यापार वृद्धि के लिए सिंह व वृषभ लग्न में की करवाते हैं। पूजा और घरों में प्रदोष काल में पूजा करवाना श्रेष्ठ मानते हैं।
वहीं, अंबानी परिवार के यहां जोधपुर के चंद्रशेखर शर्मा ही हर पूजा-विधान में आचार्य के रूप में शामिल होते हैं। इसके अलावा नाथद्वारा का मुख्य पुजारी परिवार भी उनके यहां जाता है। साथ ही प्रसिद्ध कथा वाचक रमेश भाई ओझा भी उन्हें मार्गदर्शन देते आए हैं। मारवाड़ी पंडितों के परिवार भी अपने यजमानों के साथ ही गुवाहाटी, कोलकाता, मुंबई, बेंगलुरु और पुणे में ही जा बसे। राजस्थान भी तभी आना होता है जब या तो सेठजी के यहां काम हो अथवा खुद के रिश्तेदारों की शादी ब्याह हो। बात दीपावली पूजा की चले तो सुजानगढ़ के वयोवृद्ध मोहनलाल शास्त्री की चर्चा होनी जरूरी है, जिन्होंने दीपावली पूजन व महालक्ष्मी को साधने के लिए किताब लिखी है।
|| श्री लिछमीनारायणजी लाभ घणौ देसी ||
- अंबानी परिवार हर पूजा से पहले करता है श्रीनाथजी का ध्यान
- बिड़ला परिवार का माता लक्ष्मी के साथ नारायण के यज्ञ पर विश्वास
- सिंघानिया परिवार अष्ठ सिद्धि व नवनिधि की करते हैं पूजा
- ताड़िया व पीरामल परिवार नवग्रह व पंचांग पूजा से शुरू करते हैं मां लक्ष्मी की आराधना
ये पंडित निभा रहे उद्योपतियों की राजस्थानी परंपरा
- आचार्य श्रीराम चतुर्वेदी के आचार्यत्व में बिड़ला परिवार ने लक्ष्मी नारायण महायज्ञ करवाया था। बिड़ला परिवार मां लक्ष्मी के साथ भगवान नारायण की पूजा भी करवाता आया है। जयपुर पुरानी बस्ती निवासी आचार्य श्रीराम चतुर्वेदी ने जीडी बिड़ला की मौजूदगी के समय तीन-चार बार तो लक्ष्मी नारायण महायज्ञ करवाया है। चतुर्वेदी ने जीडी बिड़ला की तबीयत नासाज होने पर मृत संजीवनी यज्ञ भी करवाया था। चतुर्वेदी ने बताया कि मां लक्ष्मी भगवान नारायण की मौजूदगी में ही आती है, इसलिए बिड़ला परिवार लक्ष्मीनारायण की पूजा करवाता है।
- बालकनाथ बाबा आश्रम के विशेष आचार्य कमलेश शास्त्री ने बताया कि वे कोलकाता में रहने वाले सिंघानिया परिवार के यहां पूजा करवाने जाते हैं। सात्विक व तांत्रिक पूजा विधान से पूजा करवाई जाती है। यह तांत्रिक नहीं बल्कि राजोपचार पूजा बताई गई है। श्री महाविद्या का उपयोग किया जाता है। इसमें श्रीयंत्र, कुबेर यंत्र व महालक्ष्मी यंत्र की भी पूजा सिंघानिया परिवार द्वारा करवाई जाती है। इसमें अष्ठ सिद्धि व नवनिधि की पूजा विशेष रूप से करवाई जाती है।
- जसवंतगढ़ निवासी गुलाबचंद शास्त्री बताते हैं कि मारवाड़ी व्यापारी अपनी ही पद्धति से पूजा विधान करवाना पसंद करते हैं। गुलाबचंद तथा कैलाश शास्त्री तापड़िया परिवार में पूजा करवाने जाते हैं। गुलाबचंद शास्त्री ने बताया कि वे पीरामल परिवार में पूजा करवाने जाते रहे हैं। शेखावटी के लोगों ने पूजा की पद्धति कभी नहीं बदली है। पीरामल परिवार झुंझुनूं में बगड़ के रहने वाला है।
- जयपुरी निवासी हैरंब स्वरूप शर्मा ने बताया कि मुंबई में रहने वाले अधिकतर मारवाड़ी सेठ भी राजस्थान के आचार्यों व शास्त्रियों से ही पूजा करवाते हैं। वजह यह है कि त्रिगुणात्मक स्वरूप में महालक्ष्मी की पूजन की जाती है। महालक्ष्मी, महासरस्वती व महाकाली की पूजा करवाते हैं।
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