First Published Oct 23, 2022, 8:09 AM IST
अयोध्या। दीपावली से एक दिन पहले भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में हर साल दीपोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहा है। इस साल भी यह भव्य कार्यक्रम आयोजित हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। राम की पैड़ी के 32 घाटों पर दीये जलाकर अयोध्या को रौशन किया जाएगा। पिछले साल भी भव्य तरीके से 12 लाख दीये जलाकर अयोध्या को जगमग किया गया था और वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया गया था। आइए तस्वीरों में देखते हैं पिछले साल अयोध्या का भव्य दीपोत्सव।
अयोध्या में पिछले साल दीपोत्सव कार्यक्रम के तहत राम की पैड़ी पर 32 घाट पर 9 लाख दीये जलाए गए थे। वहीं, 3 लाख दीये अयोध्या नगर में विभिन्न जगह जलाए गए थे।
अयोध्या में त्रिनिदाद और टोबैगो, वियतनाम और केन्या के राजदूत भी पहुंचे थे। इन्होंने समारोह के दौरान भगवान राम, सीता और लक्ष्मण का किरदार निभा रहे कलाकारों का राजतिलक भी किया।
यह आयोजन सफलता पूर्वक संपन्न हुआ था, जिसके बाद यह विश्व रिकॉर्ड बनते हुए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। कार्यक्रम में देश ही नहीं दुनियाभर से लोग शामिल हुए थे।
कुल 12 लाख दीयो में से 9 लाख दीये राम की पैड़ी में जलाए गए, जबकि 51 हजार दीये राम मंदिर परिसर में और बाकी ढाई लाख दीये अध्योध्या नगर के विभिन्न हिस्सों में जलाए गए थे।
माना जा रहा है कि अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर का निर्माण वर्ष 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा। यहां काम तेजी से चल रहा है।
दीये के सफलतापूर्वक आयोजन के दौरान लेजर लाइट का शो भी हुआ, जो बेहद आकर्षक था। इससे मंदिर प्रांगण ही नहीं पूरी अयोध्या जगमग और रंग-बिरंगी दिख रही थी।
दीपोत्सव कार्यक्रम के लिए अयोध्या में 500 ड्रोन कैमरे लगाकर निगरानी की जा रही थी। इसके अलावा, सुरक्षा के लिहाज से कई कड़े प्रबंध किए गए थे।
इस भव्य आयोजन को देखते हुए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम भी अयोध्या पहुंची थी। विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए मिट्टी के एक-एक दीये को कम से कम 5 मिनट तक जलना जरूरी था।
यही नहीं, पिछले साल 12 लाख दीये जलाकर विश्व रिकॉर्ड बनाने के अलावा पहली बार एरियल ड्रोन शो भी आयोजित किया गया था। इससे कार्यक्रम की भव्यवता कई गुना तक बढ़ गई थी।
दरअसल, पिछले साल दीयो में तेल डालने, उन्हें जलाने के लिए अलग-अलग टीम बनाई गई थी। सभी 32 घाट पर करीब दो सौ समन्वयकों और 32 पर्यवेक्षकों की टीम थी। इसके अलावा 32 पर्यवेक्षक भी नियुक्त किए गए थे। प्रत्येक वालंटियर को 75 दीये जलाने का लक्ष्य दिया गया था।
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