किशोर जोशी, नैनीताल : भू आकृति विज्ञान के अंतर्गत धरती की हलचलों पर शोध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वायरल है। इस शोध को ना केवल दुनियाभर के शोधार्थी अपने शोध का हिस्सा बना रहे हैं, बल्कि इसके निष्कर्ष पर मुहर लगा रहे हैं।
रिमाेट सेसिंग जनरल्स ने इस महत्वपूर्ण विषय पर शोध कर चुके दुनिया के टॉप-20 वैज्ञानिकों की सूची जारी की है, इसमें कुमाऊं विवि से सेवानिवृत्त एक प्रसिद्ध भू वैज्ञानिक तथा दूसरे कुमाऊं के ही मूल निवासी हैं। तीसरे भी कुमाऊं विवि के छात्र रहे हैं।
प्रो सीसी पंत
कुमाऊं विवि से सेवानिवृत्त प्रो सीसी पंत ने सेवाकाल में 2007 से कुमाऊं में गोरी-काली गंगा से लेकर टनकपुर-नैनीताल, सेराघाट, अल्मोड़ा, सेराघाट, सोमेश्वर, काठगोदाम, रामनगर समेत अन्य स्थानों पर भूगर्भीय हलचलों पर गहन शोध किया है। जिसमें निष्कर्ष निकला है कि आठ से दस हजार साल या हालिया शताब्दियों में भू गर्भीय हलचलों अथवा भूकंप से भूगोल बदला है।
उन्होंने इस शोध निष्कर्ष के आधार पर विकास का पैमाना तय करने का भी सुझाव दिया है। शोध को वैश्विक स्तर पर महत्ता मिली है और शोधार्थी इस शोध को बड़े पैमाने पर संदर्भ दे रहे हैं। रिमोट सेसिंग जर्नल्स ने टेक्टोनिक जियोमोरफोलाजी रिसर्च आन वेबसाइंस 1981 से 2021 के आधार पर दुनिया के टाप-20 वैज्ञानिकों की सूची जारी की है। जिसमें भारत में कुमाऊं विवि के एक मात्र प्रो सीसी पंत का नाम शामिल हैं। प्रो पंत सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
प्रो जीसी कोठारी
कुमाऊं के गंगोलीहाट मूल निवासी व इंस्टीटयृट आफ सिइमोलॉजीकल रिसर्च के वैज्ञानिक व वर्तमान में पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी में प्रो जीसी कोठारी का नाम भी शामिल है। प्रो कोठारी को साल जुलाई में भूकंप विज्ञान में महत्वपूर्ण शोध के लिए इंडियन सोसाइटी आफ अर्थक्वेक साइंस की ओर से नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया था। इससे पहले भारत सरकार की ओर से जियो साइंस का राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है।
प्रो एलएस चम्याल
इस सूची में तीसरे वैज्ञानिक प्रो एलएस चम्याल भी कुमाऊं विवि के पूर्व छात्र रहे हैं और एमएस यूनिवर्सिटी आफ बड़ौदा से सेवानिवृत्त हो चुके हैं जबकि चौथे वैज्ञानिक प्रो डीए मौर्या एमएस यूनिवर्सिटी आफ बड़ौदा के ही हैं, जो प्रो चम्याल के शोधार्थी हैं। यह सूची शोध ग्रंथ के अनुसंधान क्षेत्रों, देशों- संस्थान, पत्रिकाओं, लेखकों, खोज शब्दों, उद्धरणों के आधार पर तैयार की गई है। इन वैज्ञानिकों ने साइंटोमेट्रिक्स का उपयोग कर व्यापक विश्लेषण किया है। 1981 से 2021 तक के ढाई हजार से अधिक पेपर व एक लाख दस हजार से अधिक संदर्भ एकत्र किए गए हैं।
Edited By: Skand Shukla
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