लागत और महंगाई दर के कारण आईटी क्षेत्र में नियुक्ति से जुड़ी गतिविधियों में 19 प्रतिशत की कमी आई है. हालांकि ऑटो बैंकिंग और इंश्योरेंस सेक्टर में नई नौकरियों की मांग बने रहने का अनुमान है.
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जॉब ऑफर करने वाली कंपनियों के नए कर्मचारियों को रखने को लेकर सतर्क रुख अपनाने के बीच देश में हायरिंग एक्टिविटी अक्टूबर में सालाना आधार पर छह प्रतिशत घट गईं. मॉन्स्टर रोजगार सूचकांक (एमईआई) के अनुसार, स्टार्टअप इकोसिस्टम के बदलते स्वरूप, फंडिंग की समस्याओं और मंदी की आशंका के बीच तिमाही आधार पर नियुक्ति संबंधी गतिविधियों में पांच प्रतिशत की गिरावट आई है. दरअसल नई कंपनियों को जरूरी फंड नहीं मिल पा रहा है और स्टार्टअप भी अब लागत घटाने पर फोकस कर रहे हैं इसलिए नए जॉब्स को लेकर फिलहाल वो सतर्क बने हुए हैं. हालांकि, कंपनियों की वृद्धि को सुविधाजनक बनाने के लिए आंतरिक पहल और सरकारी हस्तक्षेप के साथ आने वाले महीनों के लिए नियुक्ति से जुड़ी गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद भी बनी हुई है.
क्या है रिपोर्ट में खास
मॉन्स्टर रोजगार सूचकांक दरअसल एजेंसी का नियुक्ति गतिविधियों की जानकारी देने वाला मासिक सूचकांक है. यह हर महीने नौकरियों की मांग के आधार पर नियुक्ति गतिविधियों की गणना और विश्लेषण करता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कई महीनों से मजबूत नौकरी की मांग के बावजूद उद्योगों में काम पर रखने में उल्लेखनीय मंदी आई है. वहीं, वाहन, बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं और बीमा (बीएफएसआई) जैसे प्रमुख क्षेत्रों में काम पर रखने के संकेतों में तेजी की उम्मीद है.
इसके अलावा बीपीओ/आईटीईएस में नियुक्ति संबंधी गतिविधियों में 16 प्रतिशत और मीडिया तथा मनोरंजन क्षेत्र में अक्टूबर, 2021 की तुलना में 24 प्रतिशत की गिरावट आई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ते मार्जिन दबाव, लागत और महंगाई दर के कारण आईटी क्षेत्र में नियुक्ति से जुड़ी गतिविधियों में 19 प्रतिशत की कमी आई है.
कंपनियों के द्वारा खर्च घटाने का असर
महंगाई और आगे मंदी की आशंका की वजह से कंपनियां अपनी लागत घटाने पर फोकस कर रही है. फिलहाल अधिकांश कंपनियां आगे की अनिश्चितता को देखते हुए विस्तार योजना भी टाल चुकी हैं. वहीं टेक सेक्टर की कई कंपनियों में छंटनी भी देखने को मिल ही. इससे साफ है कि कंपनियां फिलहाल अपने खर्च सीमित रखने पर जोर दे रही हैं जिसका असर हायरिंग पर भी पड़ा है.
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