एक घंटा पहलेलेखक: नीरज सिंह
साल 2015 की बात है। इराक और सीरिया की हवा में इस्लामिक स्टेट यानी ISIS का जहर घुला था। उसी दौरान लंदन के बेथनल शहर में 15 साल की शमीमा रहती थी। उसकी दोस्ती ISIS के एक आतंकी से होती है। वो बताता है कि हमारा मकसद पूरी दुनिया में इस्लामी सत्ता कायम करना है। तुम ब्रिटेन में रहकर अच्छी मुस्लिम नहीं बन सकती।
इसके बाद शमीमा अपने दो दोस्तों के साथ सीरिया पहुंची। वहां एक आतंकी से शादी करके जिहादी दुल्हन बन गई। 6 साल बाद शमीमा ब्रिटेन वापस लौटना चाहती है और उसने खुद को मासूम बताया है। भास्कर एक्सप्लेनर में हम इसी जिहादी दुल्हन यानी शमीमा बेगम की कहानी बता रहे हैं…
इस्लामी सत्ता की लालच में ब्रिटेन से सीरिया गई
शमीमा बेगम के पेरेंट्स बांग्लादेशी मूल के हैं। 2015 में 15 साल की शमीमा अपनी दो दोस्तों के साथ ब्रिटेन से भागकर सीरिया पहुंच गई थी।
शमीमा बेगम जेनरेशन Z की लड़की है। 25 अगस्त 1999 को ब्रिटेन में पैदा हुई। माता-पिता बांग्लादेशी मूल के थे। ईस्ट लंदन बेथनल ग्रीन इलाके में पली-बढ़ी। 2014 में ISIS यानी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया दुनिया में ‘खिलाफत’ की स्थापना का ऐलान करते हैं। खिलाफत का अर्थ ऐसे इस्लामिक स्टेट से है, जिसका नेतृत्व सबसे बड़ा धार्मिक और राजनीतिक नेता करता है। इस नेता को खलीफा कहा जाता है।
ISIS से जुड़े आतंकी इराक और सीरिया में कत्लेआम कर रहे थे। खिलाफत का विरोध करने वाले लोगों के सिर धड़ से अलग कर दिए जा रहे थे, खुलेआम लोगों को सूली पर चढ़ाया जा रहा था। सोशल मीडिया पर आतंकी संगठन प्रोपेगैंडा फैलाकर मुस्लिम युवाओं और युवतियों को खिलाफत आंदोलन से भी जोड़ रहा था।
शमीमा बेगम तब ईस्ट लंदन के बेथनल ग्रीन एकेडमी में अपनी दो दोस्तों अमीरा अबासे और खादिजा सुल्ताना के साथ पढ़ाई कर रही थी। दिसंबर 2014 में इन सबकी एक दोस्त शर्मीना बेगम ब्रिटेन से सीरिया जाती है और ISIS में शामिल हो जाती है।
फरवरी 2015 में पुलिस शमीमा और उसकी दो दोस्तों से शर्मीना के बारे में पूछताछ की कोशिश करती है और उन्हें एक लेटर देकर आधिकारिक बयान के लिए उनके पेरेंट्स की अनुमति मांगती है। लेकिन ये लेटर उनके पेरेंट्स को कभी मिलते ही नहीं और लगभग दो हफ्ते बाद शमीमा और उसकी दो दोस्त तुर्की के रास्ते सीरिया पहुंच जाती हैं।
शमीमा तुर्की जाने के लिए अपनी 17 वर्षीय बहन अकलीमा के पासपोर्ट का उपयोग करती है। कुछ दिनों बाद शमीमा की बहन रेनू ने कहा कि तीनों लड़कियां अपने दोस्त को शर्मीना को वापस लाने के लिए सीरिया गई हैं। 2015 में ब्रिटेन के एजुकेशन सेक्रेटरी निकी मॉर्गन कहते हैं कि सभी लोगों को तीनों लड़कियों की सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।
बताया जाता है कि शमीमा ग्लासगो की 20 वर्षीय महिला अक्सा महमूद के संपर्क में थी। अक्सा 2013 में ISIS में शामिल होने वाली पहली ब्रिटिश महिलाओं में से एक थी। वह ISIS की अल-खानसा ब्रिगेड की मेंबर थी, जिसका काम युवतियों को आतंकी समूह से जोड़ना था। वह सोशल मीडिया पर युवतियों का ब्रेनवॉश कर उन्हें ISIS से जुड़ने के लिए मजबूर करती थी। शमीमा ने सीरिया जाने से कुछ महीने पहले अक्सा महमूद से ट्विटर पर मैसेज करने के लिए कहा था। यहीं से दोनों के बीच बातचीत होने के संकेत मिले थे।
2021 में ब्रिटिश न्यूज शो गुड मॉर्निंग ब्रिटेन पर अपने पहले लाइव टीवी इंटरव्यू में शमीमा ने कहा था कि सीरिया जाने से पहले काफी धार्मिक हो गई थी। शमीमा ने बताया कि उस दौरान मैं ISIS के लोगों से सोशल मीडिया के जरिए बात कर रही थी। इस दौरान उन लोगों ने कहा कि मुझे सीरिया आने की जरूरत है, क्योंकि मैं ब्रिटेन में एक अच्छी मुस्लिम नहीं हो सकती।
बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में शमीमा ने कहा था कि वह ISIS आतंकियों द्वारा बंधकों के सिर काटे जाने वाले वीडियो से काफी इंस्पायर थी। साथ ही उसे लगता था कि ISIS के साथ उसे लग्जरी लाइफ जीने का मौका मिलेगा। जब यजीदी महिलाओं से दुष्कर्म, स्लेव बनाने और हत्या के बारे में सवाल किया गया तो शमीमा ने कहा कि शिया इराक में भी ऐसा ही करते हैं।
ब्रिटेन के गेटविक एयरपोर्ट पर लगे CCTV कैमरों में यह तस्वीर 23 फरवरी 2015 को कैद हुई थी। इनमें बाएं से खादिजा सुल्ताना, शमीमा बेगम (बीच में) और अमीरा अबासे नजर आ रही हैं। IS में शामिल होने के लिए जाने से पहले ये इन तीनों की आखिरी तस्वीर थी।
सीरिया पहुंचने के 10 दिन बाद ही जिहादी दुल्हन बन गई
सीरिया पहुंचने के 10 दिन बाद ही शमीमा ISIS में शामिल हो गई और डच नागरिक यागो रिएडिजक से शादी कर ली। अक्टूबर 2014 में सीरिया जाने के बाद रिएडिजक ने इस्लाम धर्म अपना लिया था और ISIS का आतंकी बन गया था। इसके बाद से ही शमीमा जिहादी दुल्हन के नाम से मशहूर हो गई। शमीमा के इसके बाद दो बच्चे होते हैं लेकिन कुपोषण और बीमारी के चलते उनकी मौत हो जाती है। वहीं खादिजा के बारे में कहा जाता है कि वो सीरिया में एक बम हमले में मारी गई। वहीं अमीरा का अब तक कोई पता नहीं चला है।
ISIS आतंकियों के लिए आत्मघाती जैकेट बनाती थी
2019 में द टेलीग्राफ ने लिखा था कि शमीमा ISIS की मोरैलिटी पुलिस का हिस्सा थी, जिसे AK-47 मिली हुई थी। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि बाद में वह ISIS की धार्मिक यूनिट अल-हिस्बा में भी काम किया। इस दौरान वह ISIS के लिए लड़कियों को रिक्रूट करती थी।
द इंडिपेंडेट की रिपोर्ट के मुताबिक, शमीमा ISIS के लिए आत्मघाती जैकेट बनाती थी। वह इन जैकेट की सिलाई इस तरह करती थी कि उन्हें उतारा न जा सके। यानी इन आत्मघाती जैकेट का फटना तय होता था। शमीमा ने 2017 में मैनचेस्टर एरेना पर किए गए ISIS के हमले के बारे में कहा था कि ये ISIS पर किए गए हमलों का बदला था। ब्रिटेन में हुए इस आतंकी हमले में 22 लोगों की मौत हुई थी।
ब्रिटिश सरकार के वकील जेम्स ईडी ने लिखित दलीलों में कहा है कि बेगम ने ISIS में शामिल होती हैं और 4 साल तक यानी 2019 तक सीरिया में रहती है। उन्होंने कहा कि ISIS का खात्मा होने के बाद ही शमीमा उसे छोड़ती हैं। सबूत दिखाते हैं कि शमीमा ने सिर्फ अपनी सुरक्षा की वजह से आतंकी समूह का साथ छोड़ा। देश के लिए वो अभी भी खतरा बन सकती है। इसीलिए उसकी नागरिकता खत्म करने का फैसला सही है।
पहली तस्वीर- 2015 की है। तब शमीमा दो सहेलियों के साथ गेटविक एयरपोर्ट पर नजर आई थीं। दूसरी तस्वीर- 2019 की है। तब शमीमा सीरिया के एक रिफ्यूजी कैम्प में नवजात बेटे के साथ मीडिया के सामने आई थीं। तीसरी तस्वीर- 2021 की में इंटरव्यू देने के बाद की है।
2019 में पहली बार सीरिया के रिफ्यूजी कैंप में देखा गया
द टाइम्स के वॉर रिपोर्टर एंथोनी लॉयड ने 2019 में पहली बार शमीमा को सीरिया के रिफ्यूजी कैंप अल हॉल में देखा था। तब शमीमा ने कहा था कि मैं वो नासमझ 15 साल की स्कूली छात्रा नहीं हूं, जो चार साल पहले बेथनल ग्रीन से भाग गई थी। मुझे यहां आने का कोई अफसोस नहीं है। उसने कहा था कि वह ब्रिटेन लौटना चाहती थी, क्योंकि वह गर्भवती है और उसे डर है कि अगर वह सीरिया में रही तो पहले दो बच्चों की तरह उसका तीसरा बच्चा भी मर जाएगा।
शमीमा का इंटरव्यू सामने आने के तुरंत बाद उस वक्त ब्रिटेन के गृह मंत्री साजिद जाविद उसकी नागरिकता रद्द कर देते हैं। वह कहते हैं कि शमीमा देश के लिए खतरा हो सकती है। ब्रिटिश कानून के मुताबिक, ऐसे किसी भी व्यक्ति की नागरिकता रद्द की जा सकती है, जो अन्य देश की भी नागरिकता रखता हो।
शमीमा के मामले में सरकार का मानना था कि बांग्लादेशी पेरेंट्स के चलते वह 21 वर्ष की आयु तक बांग्लादेशी नागरिकता की दावेदार थी यानी दोहरी नागरिकता थी। ऐसे में उसकी ब्रिटिश नागरिकता को खत्म कर दिया गया। बांग्लादेश की सरकार ने भी शमीमा को नागरिकता देने से मना कर दिया था। बांग्लादेश के विदेश मंत्री अब्दुल मोमिन ने कहा था कि यदि वो बांग्लादेश आती है तो उसे मौत की सजा का सामना करना होगा।
2015 में ISIS से जुड़ने के बाद एक मॉडर्न मुस्लिम लड़की से शमीमा एक रूढ़िवादी महिला में तब्दील हो गई थी। वह ISIS में महिलाओं के ड्रेस कोड का सख्ती से पालन करवाने के लिए जानी जाती है।
खुद को ह्यूमन ट्रैफिकिंग का शिकार बता रही है
इसके बाद शमीमा के परिवार और वकील तस्नीम अकुंजी ने ब्रिटिश नागरिकता रद्द करने के फैसले के खिलाफ अपील करते हैं। 2021 में ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे फैसले को चुनौती देने के लिए वापस लौटने की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि उससे देश की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। इसके बेगम को अल-हॉल रिफ्यूजी कैंप से दूसरे कैंप में ले जाया गया। वहां पर शमीमा के तीसरे बच्चे की भी निमोनिया से मौत हो गई।
2022 में पब्लिश हुई पत्रकार रिचर्ड कर्बज की किताब ‘द सीक्रेट हिस्ट्री ऑफ द फाइव आइज’ में दावा किया गया कि शमीमा समेत तीनों लड़कियों को कनाडा के डबल एजेंट मोहम्मद अल रशीद तस्करी के जरिए सीरिया ले गया। किताब में दावा किया गया कि पुलिस और ब्रिटिश सिक्योरिटी सर्विस ने इस सच को छुपाने की कोशिश की। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, रशीद ने उस दौरान 8 महीनों तक सीरिया में कई ब्रिटिश लोगों की तस्करी की थी।
इस खुलासे के बाद शमीमा के वकीलों ने इस मामले को बच्चों की तस्करी से जोड़ना शुरू किया। साथ ही शमीमा को पीड़ित बताया जाने लगा। बेगम के वकीलों ने यह तर्क देना शुरू किया गृह मंत्रालय ने नागरिकता रद्द करने से पहले सही तरीके से जांच नहीं की कि शमीमा तस्करी की शिकार थी या नहीं। वकीलों ने कहा कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि शमीमा का यौन शोषण करने के लिए उसे रिक्रूट किया गया, फिर उसे तस्करी के जरिए ले जाया गया।
शमीमा ने 2021 ‘स्काय न्यूज’ को दिए इंटरव्यू में गुहार लगाई कि उन्हें ब्रिटेन लौटने दिया जाए। एक सवाल के जवाब में शमीमा ने कहा- ब्रिटिश सरकार ने मेरी नागरिकता छीन ली है। मैं अब कहीं नहीं जा सकती। शमीमा ने कहा- 15 साल की उम्र में जब मैंने ब्रिटेन छोड़ा तब कुछ दोस्तों ने मुझे बहका दिया था।
इन सब लोगों से मेरी ऑनलाइन मुलाकात हुई थी। इस बात को अब 6 साल बीत चुके हैं। अब मैं बस ब्रिटेन लौटना चाहती हूं, फिर चाहे पूरी जिंदगी जेल में ही क्यों न बितानी पड़े। मैंने सिर्फ एक गुनाह किया कि मैं सीरिया गई और ISIS के आतंकी से शादी की। इसके अलावा मैंने कोई गलत काम नहीं किया। किसी टेरर एक्टिविटी में शामिल नहीं रही।
स्काय न्यूज को साल 2021 में इंटरव्यू देने के दौरान शमीमा बेगम। शमीमा बेगम ने कहा था कि उसे आतंकी संगठन में शामिल होने का जीवन भर पछतावा रहेगा
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