दुनिया अब भारत के एजुकेशन सिस्टम को लोहा मानने पर मजबूर है। भारत अपनी नई एजुकेशन पॉलिसी से दूसरों देशों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। नई एजुकेशन पॉलिसी के प्रोविजन एजुकेशन के ग्लोबलाइजेशन पर जोर देते हैं, इसका असर अब ये है कि भारत में इंटरनेशनल एजुकेशनल की गतिविधियों में तेजी आ रही है। इसी के अंतर्गत ऑस्ट्रेलियाई यूनिवर्सिटी के शिक्षाविद और वाइस चांसलर इस हफ्ते भारत सरकार और शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। दूसरी ओर शिक्षा मंत्रालय ने मॉरीशस को अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया के नॉलेज और स्किल सेंटर के रूप में स्थापित करने के लिए मॉरीशस के साथ काम करने का निर्णय लिया है।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कई देशों के शिक्षा मंत्री के साथ की बैठक
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को नई दिल्ली में मॉरीशस, तंजानिया, जिम्बाब्वे और घाना के शिक्षा मंत्री के साथ कई बैठकें भी की है। मॉरीशस की उप-प्रधानमंत्री और तृतीयक शिक्षा, साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर महामहिम लीला देवी डुकुन- लचुमुन के साथ बैठक के दौरान, धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत और मॉरीशस का एक विशेष रिलेशन हैं। भारत और मॉरीशिस इतिहास, संस्कृति, भाषा और भारत हिन्द महासागर के माध्यम से एकजुट हैं। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मॉरीशस के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और सुदृढ़ करने की सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। उन्होंने इस बात का भरोसा दिया कि भारत मॉरीशस के साथ मिलकर काम करने और एजुकेशन और स्किल डेवलपमेंट के सभी क्षेत्रों में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रधान आगे ने कहा कि अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया के नॉलेज एवं स्किल सेंटर के रूप में इसे स्थापित करने के लिए मॉरीशस के साथ काम करना भारत के लिए सौभाग्य की बात होगी। दोनों देश ज्ञान के क्षेत्र में अपने संबंधों को और गहरा करने एवं द्विपक्षीय साझेदारी को और अधिक मजबूत बनाने के लिए एकसाथ काम करने पर भी सहमत हुए हैं।
IIT प्रोजेक्ट के साथ तंजानिया की मदद
शिक्षा मंत्री ने अफ्रीकी देश जांजीबार की एजुकेशन एंड वोकेशनल ट्रेनिंग मिनिस्टर, लीला मुहम्मद मूसा के साथ बैठक के दौरान कहा कि भारत IIT प्रोजेक्ट के साथ तंजानिया की मदद करके खुश है। तंजानिया में IIT अफ्रीका में टेक्नोलॉजी एजुकेशन का सेंटर बन सकता है। उन्होंने प्रोजेक्ट के अमल के लिए जरूरी समर्थन को सामने रखा और जांजीबार में 21वीं सदी के स्किल सेंटर की स्थापना के लिए भारत की इच्छा को भी शेयर किया।
उन्होंने कहा कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) भारत में शिक्षा के नए मार्ग बना रही है। प्रधान ने तंजानिया और अफ्रीकी छात्रों को भारत में अध्ययन के लिए भी आमंत्रित किया।
एजुकेशन एंड स्किल डेवलपमेंट में जिम्बाब्वे को मदद
इसके अलावा शिक्षा मंत्री प्रधान ने अपने कार्यालय में जिम्बाब्वे के उच्च और तृतीयक शिक्षा, नवाचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास मंत्रालय में उप मंत्री रेमोर माचिंगुरा के साथ बैठक की। उन्होंने एजुकेशन एंड स्किल डेवलपमेंट में दोनों देशों के बीच भागीदारी को और बढाने पर चर्चा की। भारत और अफ्रीका दोनों की साझा आकांक्षाएं और पारस्परिक प्राथमिकताएं हैं। प्रधान ने एजुकेशन, स्किल डेवलपमेंट और कैपेबिलिटी बनाने पर भारत और जिम्बाब्वे के बीच एक संयुक्त कार्य समूह गठित करने का सुझाव दिया।
घाना के उप शिक्षा मंत्री के साथ हुई बैठक
धर्मेंद्र प्रधान ने घाना के उप शिक्षा मंत्री जॉन एनटिम फोर्डजौर के साथ अपनी बैठक के दौरान, आपसी प्राथमिकताओं के लिए स्कूल से लेकर रिसर्च एजुकेशन तक भारत और घाना के बीच संस्थागत तंत्र और संयुक्त कार्य समूहों की स्थापना का प्रस्ताव रखा। जॉन ने इस विचार के प्रति अपनी हामी भरी और एजुकेशनल रिलेशन को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति भी दी।
गौरतलब है कि मॉरीशस, तंजानिया, जिम्बाब्वे और घाना के मंत्री यहां अभी चल रहे यूनेस्को इंडिया अफ्रीका हैकथॉन में भाग लेने के लिए आए हुए हैं। (AISHE) डेटा (2019-20) के मुताबिक, कुल 11083 अफ्रीकी छात्र भारत में पढ़ाई कर रहे हैं।
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