हृदय रोग अक्सर बिना किसी पूर्व चेतावनी या संकेत के हमला करता है. आनुवंशिक कारणों से भारतीयों में कोरोनरी हार्ट डिजीज विकसित होने का खतरा रहता है.
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डॉ सुधीर कोगंती: युवा वयस्कों में हृदय रोग के बढ़ते खतरों के साथ ही भारत में हृदय रोग (CVD) के काफी मामले सामने आ रहे हैं. हाल के सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, CVD देश में हर साल 25-69 वर्ष के आयु वर्ग में होने वाली कुल मौतों का 24.8 प्रतिशत का कारण बनता है. हाल ही में पार्टी या डांस करते समय जानी-मानी हस्तियों को अचानक दिल का दौरा या कार्डियक अरेस्ट होने की घटनाएं या उनके वायरल वीडियो सामने आए हैं.
इंडस्ट्री की रिपोर्ट के मुताबिक हृदय रोग अक्सर बिना किसी पूर्व चेतावनी या संकेत के हमला करता है. आनुवंशिक कारणों से भारतीयों में कोरोनरी हार्ट डिजीज विकसित होने का खतरा रहता है. पिछले दो दशकों में लोगों की जीवनशैली में एक बड़ा बदलाव आया है जो CVD के बढ़ते मामलों का एक कारण बना है.
युवा भारतीयों में CVD के बढ़ते मामलों के लिए मौजूदा पर्यावरण के साथ विरासत में मिले जीन सहित कई रिस्क फैक्टर जिम्मेदार हैं. हालांकि समय के साथ इन पर्यावरण से जुड़े कारकों ने खतरे को और बढ़ा कर दिया है. माना जाता है कि पारंपरिक रिस्क फैक्टर जैसे कि डिस्लिपिडेमिया, उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन), मोटापा, डायबिटीज मेलिटस और धूम्रपान भारतीयों में कोरोनरी धमनी की बीमारी के बढ़ते मामलों से जुड़े हैं. दूसरे कारण, जैसे लंबे समय तक काम करना, सोने का कम समय और तनाव आज हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन गए हैं. इसके अलावा ज्यादा देर तक बैठकर स्क्रीन पर काम करने और एक्सरसाइज न करने की वजह से भी हृदय रोग होने का खतरा बढ़ जाता है.
CVD के रिस्क फैक्टर
धूम्रपान/तंबाकू का सेवन: तंबाकू का इस्तेमाल हृदय रोग सहित कई पुरानी बीमारियों के लिए एक मुख्य रिस्क फैक्टर है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक भारत में हर साल लगभग 13.5 लाख मौतें होती हैं. भारत विश्व में तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता भी है. धूम्रपान हृदय की धमनियों की आंतरिक परत को नुकसान पहुंचाता है और इस तरह कोलेस्ट्रॉल जमने को बढ़ावा देता है और फिर इस वजह से ब्लॉकेज होते हैं. इससे दिल का दौरा या स्ट्रोक हो सकता है क्योंकि दिल को दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है. हुक्का, ई-सिगरेट, मारिजुआना आदि समेत किसी भी रूप में धूम्रपान करने से हृदय रोग हो सकता है.
खाने की आदतें और एक्सरसाइज की कमी: हर दिन कार्बोहाइड्रेट का असमान सेवन हृदय रोग को बढ़ावा देता है. दूसरी खराब खाने की आदतें जैसे खाना पकाने के लिए एक बार इस्तेमाल हो चुके तेल का दोबारा इस्तेमाल करना और ताजे फल और सब्जियां कम खाना भी दिल की सेहत खराब कर सकता है. वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के मुताबिक ज्यादा वजन वाले लोगों को टाइप -2 डायबिटीज और हाइपरटेंशन का खतरा होता है जिससे उन्हें हृदय रोग होने का खतरा बढ़ जाता है. अन्य कारणों में एक खराब जीवन शैली, पर्याप्त नींद की कमी और अत्यधिक तनाव शामिल हो सकते हैं.
पर्यावरण से जुड़े कारक (फैक्टर):
वायु प्रदूषण में वृद्धि विभिन्न हृदय विकारों (कार्डियोवैस्कुलर डिसऑर्डर) के लिए प्रमुख वजहों में से एक है, जिसमें हृदय गति रुकना (हार्ट फेल होना), एरिथमिया (arrhythmia), दिल का दौरा, स्ट्रोक आदि शामिल हैं. इंडस्ट्री स्टडी के मुताबिक प्रदूषित हवा के संपर्क में आने से दिल का दौरा पड़ने की संभावना दोगुनी हो सकती है. ट्रैफिक (यातायात) से संबंधित वायु प्रदूषण के बढ़ने से हाइपरटेंशन का खतरा भी बढ़ सकता है. यह डायबिटीज और हाइपरटेंशन होने के रिस्क को बढ़ाता है और हृदय गति रुकना (हार्ट फेल होना), दिल का दौरा, आंखों की समस्याएं, स्ट्रोक और किडनी फेल हो जाने जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है.
वंशानुगत जीन (Inherited Genes): आनुवंशिक वजहों से लोग कोरोनरी धमनी की बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं. दिल की बीमारी के पारिवारिक इतिहास वाले बच्चों में दिल की बीमारी होने का खतरा दोगुना होता है. जिन लोगों के परिवार में किसी को यह बीमारी है उन्हें समय-समय पर अपनी जांच करानी चाहिए.
भारत को 30 साल से कम उम्र के वयस्कों, खास तौर से दिल की बीमारी के पारिवारिक इतिहास वाले वयस्कों की जांच करने के लिए तत्काल एक सिस्टम बनाने की जरूरत है. एक साधारण सा ब्लड टेस्टर कोलेस्ट्रॉल के लेवल, खास तौर से ट्राइग्लिसराइड्स और LDL कोलेस्ट्रॉल की जांच और इसे मॉनिटर करने में मदद कर सकता है. देश में युवा आबादी को धूम्रपान करना छोड़ देना चाहिए, अधिक शराब का सेवन करने से बचना चाहिए, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड ग्लूकोज को नियंत्रित रखना चाहिए, मोटे होने पर वजन कम करना चाहिए, नियमित एक्सरसाइज करना चाहिए और खराब फैट के सेवन को सीमित करना चाहिए.
(लेखक हैदराबाद के सिटिजन्स स्पेशलिटी हॉस्पिटल में कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट हैं)
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