नई दिल्ली. देश के सबसे बेहतरीन इंजीनियरिंग संस्थान में शुमार आईआईटी कानपुर ने दो साल के अंदर कृत्रिम हृदय तैयार करने का लक्ष्य रखा. संस्थान ने इसके लिए विभिन्न विशेषज्ञता वाले आठ युवा इंजीनियरों की एक टीम बनाई है, जिन्हें करीब 200 से ज्यादा कैंडिडेट्स में चुना गया है.
वैसे तो कृत्रिम दिल का आविष्कार कई साल पहले ही किया जा चुका है और अब तक कई मरीजों में इसे लगाया भी जा चुका है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर आईआईटी कानपुर की इस पहल पर भारत के हृदय रोग विशेषज्ञ इतना उम्मीद क्यों लगा रहे हैं.
नारायणा हेल्थ के संस्थापक चेयमैन और हृदय रोग विशेषज्ञ देवी शेट्टी अपनी इस उम्मीद के पीछे की बड़ी वजह बताते हैं कि दुनिया में वर्तमान में मौजूद कृत्रिम दिल बेहद महंगे हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया में लिखे अपने लेख में वह बताते हैं कि भारत में एक कृत्रिम हृदय की कीमत लगभग एक करोड़ रुपये बैठती है, वहीं अमेरिका में इस पर दस लाख डॉलर से अधिक का खर्च आता है. ऐसे में यह कृत्रिम हृदय बेहद अमीर मरीज़ों के ही पहुंच तक सीमित रह जाता है.
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काफी सस्ता होगा यह कृत्रिम दिल
डॉ. शेट्टी कहते हैं कि आईआईटी कानपुर द्वारा विकसित किया जा रहा कृत्रिम दिल काफी रहने की उम्मीद हैं. वह इसके पीछे तर्क देते हैं कि आईआईटी कानपुर के पास पहले से ही अभियांत्रिकी के बेतहरीन विशेषज्ञ मौजूद हैं. इसके अलावा इस संस्थान में बेहतरीन लैब भी है. इसलिए इस टीम के लिए कृत्रिम दिल विकसित करने में पेश आने वाली शुरुआती परेशानी पहले ही हल हो चुकी है.
वह बताते हैं कि इस प्रोजेक्ट के लिए प्रारंभिक पूंजी आईआईटी कानपुर के कुछ पूर्व छात्रों ने जुटाई है और आगे की जरूरतों के लिए सरकारी अनुदान तथा निजी फंडिंग एजेंसियों से फंड और चैरिटी के रूप में पैसे मिलने की उम्मीद है.
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देशभर के हृदय विशेषज्ञों से मिलेगी मदद
डॉक्टर शेट्टी कहते हैं कि चूंकि यह गैरलाभकारी प्रोजेक्ट हैं, ऐसे में कई सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे हृदय रोग विशेषज्ञ भी इससे जुड़ने में झिझकेंगे नहीं. वह कहते हैं, ‘इस प्रोजेक्ट में अब तक हुई प्रगति को दिखाने के लिए हाल ही में आईआईटी कानपुर द्वारा दिल्ली में आयोजित बैठक में दिल्ली एम्स के वरिष्ठ हृदय विशेषज्ञों के साथ निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठित हृदय रोग विशेषज्ञ की उपस्थिति देखकर खुशी हुई.’
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वह बताते हैं कि आईआईटी कानपुर ‘दुनिया का सबसे सस्ता कृत्रिम हृदय’ ही नहीं बल्कि ‘दुनिया का सबसे उन्नत कृत्रिम हृदय’ बनाने की योजना बना रहा है, जो कि सस्ती होगी क्योंकि इसके संपूर्ण विकास लागत का भुगतान अनुदान और डोनेशन के माध्यम से किया जाएगा.
आईआईटी कानपुर के इस प्रोजेक्ट में भारत के उत्कृष्ठ अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र यानी इसरो से भी मदद मिलने की उम्मीद है, क्योंकि कृत्रिम दिलों के कुछ महत्वपूर्ण घटक हमारे अंतरिक्ष मिशनों में उपयोग किए जाने वाले उपकरणों जैसे ही हैं.
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Tags: Artificial Heart, Heart Disease
FIRST PUBLISHED : October 29, 2022, 18:43 IST
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