दो मामलों मे पहले से आरोपी है याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण अधिनियम ‘असंवैधानिक’ है। इसलिए इस उक्त मामले को अलग रखा जाना चाहिए। जिस पर कर्नाटक के महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने कहा कि याचिकाकर्ता खुद जबरन धर्म परिवर्तन के दो मामलों का सामना कर रहा है। मार्टिस के वकील ने मामले में तर्क रखते हुए कहा कि आपराधिक मामलों को अदालतों में चुनौती दी जाएगी।
हाई कोर्ट ने टाली सुनवाई
आरोपी के वकील की दलील पर हाई कोर्ट ने कहा कि उन मामलों को चुनौती देना आरोपी पर छोड़ दिया गया था। लेकिन उसी व्यक्ति के जरिए दायर जनहित याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है जो कि अधिनियम से संबंधित मामलों में आरोपी है। अदालत ने उन्हें इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई 28 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
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