महमूद ने मीडिया से बातचीत में यह भी कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध बहुत विविध हैं और यह केवल तीस्ता जल बंटवारे पर निर्भर नहीं हैं.
उन्होंने कहा, ‘किसी देश में राजनीतिक स्थिरता समृद्धि के लिए सबसे आवश्यक पूर्व-शर्तों में से एक है. मेरा दृढ़ विश्वास है कि बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने के लिए क्षेत्रीय स्थिरता भी महत्वपूर्ण है.’
राष्ट्रीय राजधानी स्थित प्रेस क्लब में बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, ‘मैं (भारत) को धन्यवाद देना चाहता हूं. क्षेत्रीय स्थिरता और बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने में भारत ने एक भूमिका निभायी है.’
भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध पिछले कुछ वर्षों में व्यापार और संपर्क सहित कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण रूप से आगे बढ़े हैं. महमूद ने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भारत की भूमिका को भी याद किया.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान उन्होंने कहा कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने के लिए बनाया गया नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) भारत का एक ‘आंतरिक मामला’ है.
महमूद ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘सीएए आपका (भारत) आंतरिक मामला है और इस तथ्य के साथ कि सर्वोच्च न्यायालय में एक अपील प्रस्तुत की गई है, यह एक कानूनी मुद्दा भी बन गया है.’ उन्होंने इस मामले में गहराई से जाने से इनकार कर दिया, क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों के निहितार्थ और भारत में मुसलमानों को निशाना बनाने के बारे में पूछे जाने पर महमूद ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर इस तरह के हमलों के लिए कट्टरपंथी समूहों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि हसीना सरकार ने देश में हिंदुओं की सुरक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित की है.
यह कहते हुए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना के नेतृत्व में दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच संबंध गहरे हुए हैं महमूद ने कहा, ‘बांग्लादेश की प्रगति कभी भी भारत के पूर्ण समर्थन के बिना संभव नहीं होगी. हम बांग्लादेश को समर्थन देने के लिए भारत और उसकी सरकार के आभारी हैं. देश में राजनीतिक स्थिरता समृद्धि के लिए सबसे आवश्यक पूर्व शर्तों में से एक है और यह पिछले 14 वर्षों से बांग्लादेश में जारी है.’
उन्होंने कहा, ‘मैं दृढ़ता से मानता हूं कि बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने के लिए क्षेत्रीय स्थिरता महत्वपूर्ण है और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए और इसी तरह बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता के लिए भारत ने एक भूमिका निभाई है.’
मालूम हो कि बांग्लादेश में अगला आम चुनाव 2023 के अंत तक होने की उम्मीद है. हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग 2009 से देश पर शासन कर रही है, जिसने लगातार तीन चुनाव जीते हैं.
तीस्ता जल-बंटवारा समझौते को लेकर भी उनसे सवाल पूछा गया, जो बांग्लादेश में एक भावनात्मक मुद्दा है. महमूद ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि गतिरोध टूट जाएगा.
उन्होंने आगे कहा, ‘भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध बहुत विविध हैं. यह केवल तीस्ता जल बंटवारे पर निर्भर नहीं करता है. हम बहुत सी बातें साझा कर रहे हैं. बांग्लादेश और भारत इस मुद्दे को सुलझाने के लिए लगे हुए हैं और प्रगति हो रही है. भारत के संविधान के तहत कुछ दायित्व और प्रक्रियाएं हैं, मुझे उम्मीद है कि सभी प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद भविष्य में इसका समाधान हो जाएगा.’
अपने देश में अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर महमूद ने कहा, ‘(बांग्लादेश में) कोई भी अल्पसंख्यक नहीं है. हमारी प्रधानमंत्री कहती हैं कि महसूस मत करो कि तुम अल्पसंख्यक हो, तुम मिट्टी के बेटे हो; यह आपका देश है. बांग्लादेश के संविधान के तहत, सभी को समान अधिकार हैं. बेशक, भारत और बांग्लादेश दोनों में कट्टरपंथी समूह हैं, जो कट्टरता को बढ़ावा देने और धार्मिक समूहों में सद्भाव को अस्थिर करने का प्रयास करते हैं. ऐसा हर जगह होता है.’
उन्होंने दावा किया कि पिछले कुछ वर्षों में बांग्लादेश सरकार ने ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है.
उन्होंने कहा, ‘इस साल दुर्गा पूजा उत्सव के तरीके से मनाई गई. पिछले साल की तुलना में पूजा पंडालों की संख्या में 700 का इजाफा हुआ है.’
उन्होंने हिंदुओं के खिलाफ पिछले साल के हमलों के लिए सोशल मीडिया पर प्रसारित फर्जी समाचार और प्रचार को जिम्मेदार ठहराया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
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