Edited By Ajay kumar, Updated: 20 Nov, 2022 09:17 AM
मिलक थाना क्षेत्र के एक गांव की नाबालिग का आरोपियों ने अपहरण कर जबरन धर्म परिवर्तन करा लिया। मामले में पुलिस द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने पर पीड़िता की मां ने कोर्ट का सहारा लिया था। करीब लगभग साढ़े चार माह बाद न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने दस के…
बरेलीः मिलक थाना क्षेत्र के एक गांव की नाबालिग का आरोपियों ने अपहरण कर जबरन धर्म परिवर्तन करा लिया। मामले में पुलिस द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने पर पीड़िता की मां ने कोर्ट का सहारा लिया था। करीब लगभग साढ़े चार माह बाद न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने दस के खिलाफ नाबालिग के अपहरण जबरन धर्म परिवर्तन समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। पीड़ित ने अधिकारियों के काफी चक्कर काटे थे, लेकिन कार्रवाई नही होने के बाद कोर्ट की शरण ली थी। पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने के बाद मामले की जांच शुरु कर दी है।
मिलक थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी महिला ने कुछ समय पहले कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर आरोप लगाया था कि 26 जून को ग्राम क्योरार के समीप उसकी नाबालिग पुत्री को थाना क्षेत्र के खुटिया गांव निवासी अर्जुन, महेंद्र, शकुंतला, कृष्णा, हरिओम, भगवान देई, आकाश और बगखड़ा निवासी रिंकू, महेंद्र और स्वास्थ्य जबरदस्ती अपहरण कर पंजाब ले गए थे। जहां उसका जबरन धर्म परिवर्तन करा कर रोके हुए थे। जिसकी जानकारी उसकी पुत्री ने फोन कर परिजनों को दी थीं।
UP: धर्मांतरण के खिलाफ 268 मामले दर्ज, 500 लोग गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण कानून के तहत अब तक 268 मामले दर्ज किए गए हैं। एडीजी कानून एवं व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि धर्मांतरण की रोकथाम के लिए बने कानून के तहत अब तक 500 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। 137 मामलों में जबरन धर्मांतरण की गवाही कोर्ट में दी जा चुकी है।
इस तरह के मामलों में फांसी की सजा होनी चाहिए-राजेश्वर सिंह
जबरन धर्मांतरण से जुड़े श्रद्धा हत्याकांड का संज्ञान लेकर सरोजनीनगर के भाजपा विधायक राजेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री से कानून में संशोधन की मांग की है। विधायक ने इसे लव जिहाद का मामला बताया है। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में विधायक ने कहा है कि श्रद्धा हत्याकांड जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कानून में संशोधन जरूरी हो गया है। इस तरह के मामलों में फांसी की सजा होनी चाहिए। जबरन धर्मांतरण को गैर जमानती बनाया जाना चाहिए। ऐसे मामलों की जांच 60 दिनों के भीतर होनी चाहिए।
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