Noamundi (Sandip Kumar Prasad) : स्थानीय टाटा डीएवी पब्लिक स्कूल नोवामुंडी में यूएनडीपी (संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम) के अंतर्गत कार्यरत एनवायरनिक्स ट्रस्ट की एक टीम ने कार्यशाला आयोजित की. इस दौरान विद्यालय के शिक्षक उदयकांत चौधरी व मानस रंजन मिश्रा ने पुष्पगुच्छ देकर अतिथियों का स्वागत किया. यूएनडीपी विकासशील देशों को विशेषज्ञ सलाह प्रशिक्षण और अनुदान सहायता प्रदान करता है, जिसमें सबसे कम विकसित देशों को सहायता पर जोर दिया जाता है. इसका समग्र लक्ष्य सतत मानव विकास में योगदान करना है.
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खनिज पदार्थ हमारे लिए महत्वपूर्ण है : राममूर्ति
एनवायरनिक्स ट्रस्ट के फाउंडर श्रीधर राममूर्ति (जियोलॉजिस्ट) ने विद्यार्थियों से कहा कि खनिज पदार्थ हमारे लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि आधुनिक औद्योगिक उन्नति का आधार खनिज पदार्थ ही हैं. कारखानों में लगी मशीनें, पानी पर तैरते विशाल जहाज, ऊंची इमारतें, विभिन्न प्रकार की धातुओं से बनी वस्तुएं खनिज पदार्थों की देन है. देश की औद्योगिक विकास का आधार खनिज पदार्थ है. लेकिन पर्यावरण संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग से हमने पारिस्थितिक संतुलन को काफी हद तक बिगाड़ दिया है. यह हमारे लिए जरूरी है कि हम इसके साथ प्रयोग करने और इसे अधिक शोषण करने के बजाय पर्यावरण के अनुरूप रहें. निशांत अलग (एनवायर्नमेंटल प्लानर) ने कहा कि खनन क्षेत्र को पर्यावरण पर इसके प्रभाव के बारे में पूरी तरह से जागरूक होना चाहिए. वहीं नुसरत खान (यूएनडीपी सदस्य) ने कहा कि सतत खनन प्रणालियां और संरक्षण वर्तमान समय की आवश्यकताएं हैं.
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अत्यधिक खनन पर्यावरण के लिए चिंता : अश्विन
अश्विन (एनवायरनिक्स ट्रस्ट) ने कहा कि अत्यधिक खनन से भूमि कटाव, धूल और नमक से भूमि के उपजाऊपन में परिवर्तन, जल का खारा होना, समीपस्थ क्षेत्रों और वन्य क्षेत्रों में शोर जैसी समस्याएं पर्यावरण के लिए चिंता का विषय हैं. हमें खनन का सही इस्तेमाल समय रहते करना होगा. एनवायरनिक्स ट्रस्ट की वकील सोनल तिवारी ने कहा कि भारतीय चिंतन परम्परा में पर्यावरण से प्रेम जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा रहा है. लेकिन, तथाकथित आधुनिकता और उपभोक्तावादी संस्कृति ने पर्यावरण को क्षति पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
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अनेक कानून बनाए गए हैं
खनिज विकास और पर्यावरण के बीच समन्वय बनाए रखने के लिए अनेक कानून बनाए गए हैं. जैसे कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986, वन संरक्षण अधिनियम, 1980, एमएमआरडी अधिनियम, वन्य जीवन अधिनियम 1972, जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियन्त्रण) अधिनियम, 1974 और वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियन्त्रण) इत्यादि. कार्यशाला को सफल बनाने में एनसीसी प्रभारी देवेंद्र कुमार देव का सराहनीय योगदान रहा. इसके बाद हेड गर्ल विद्या ने आभार ज्ञापन किया.
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