योगी आदित्यनाथ सरकार का जब 2017 में गठन हुआ तो उसके बाद तमाम वनटांगिया ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित कर वहां मूलभूत सुविधाएं देने की कवायद शुरू की गई थी लेकिन आज भी कुछ ऐसी ग्रामसभा हैं, जहां पर वन्य क्षेत्र होने के कारण विकास संभव नहीं हो सका है। आजादी के 75 वर्ष बाद भी यहां के ग्रामीण लगातार विकास की बाट जोह रहे हैं। लेकिन उन्हें मिल रहा है सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन।
बलरामपुर जिले के सबसे पिछड़े ब्लॉकों में से एक है हर्रैया सतघरवा। ब्लॉक के ग्राम सभा तेंदुआ नगर में आज तक मूलभूत सुविधाओं का टोटा है। गांव की प्रमुख समस्या यहां पर आने जाने के लिए सड़क का न होना है। इसके साथ ही सोहेलवा वन्य जीव प्रभाग की गोद में गांव स्थित होने के कारण जंगली जानवरों का भी खतरा है। गांव के दो मजरों में बिजली की कोई व्यवस्था नहीं है। ग्राम सभा तेंदुआ नगर, इसके राजस्व ग्राम भदवार और मजरा गोहनाहवा में करीब 3 हजार की आबादी रहती है। करीब 1500 वोटरों वाले इस गांव में पिछले विधानसभा और पंचायत के चुनावों में मतदान बहिष्कार करने का काम भी किया था लेकिन अधिकारियों और नेताओं के आश्वासन के बाद गांव के लोगों ने मतदान किया।
गांव के लोग आरोप लगाते हैं कि उन्हें केवल और केवल आश्वासन ही मिलता है। इंडो-नेपाल बॉर्डर पर स्थित होने और जंगल में गांव पड़ने के कारण यहां पर मूलभूत सुविधाओं का टोटा है। सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं आज तक यहां पर नहीं पहुंची हैं। ऊपर से जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता है। गांव में 70 फीसद मकान अभी भी छप्पर के बने हुए हैं जबकि ग्रामीणों को आवास देने के लिए बड़ी-बड़ी योजनाओं को चलाया जा रहा है।
इसके पीछे कारण यह है कि कोई गाड़ी यहां तक पहुंच नहीं सकती, जिससे भवन निर्माण सामग्रियों को लाया जा सके। महिलाएं आरोप लगाती हैं कि यदि किसी की तबीयत खराब हो जाए या किसी महिला के पेट में बच्चा हो और उसे डिलीवरी के लिए अस्पताल जाना हो तो उसे खाट पर या बैलगाड़ी पर लादकर ले जाना पड़ता है। क्योंकि कोई ऐंबुलेंस या गाड़ी वाला उबड़ खाबड़ रास्तों पर आना उचित नहीं समझता।
महिलाएं यहां कहती है कि कई बार पैसे देने के बावजूद भी ऐंबुलेंस और गाड़ी वाले यहां पर नहीं आते हैं। इस कारण से कई महिलाओं और उनके नवजात बच्चों की मौत तक हो चुकी है। ग्रामीण कहते हैं की बनकटवा रेंज से होते हुए गिरगिटही बांध के रास्ते गोहनाहवा, भदवार और तेंदुआनगर तक 4 किलोमीटर राष्ट्रीय की दरकार है। यदि जंगल में पड़ने वाला 4 किलोमीटर का रास्ता बन जाता है तो हमारे जीवन स्तर में भी सुधार आएगा। हम भी तमाम तरह की सुविधाओं से लैस होकर उच्च स्तरीय जीवन शैली जी सकेंगे।
हमने इस बारे में तुलसीपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक कैलाश नाथ शुक्ला से जब बात की तो उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों में जंगलों में स्थित गांवों के विकास के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसी का खामियाजा यह लोग भुगत रहे हैं लेकिन जब से योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है, तब से न केवल वन टांगिया ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित कर उन्हें मूलभूत सुविधाओं से लैस किया जा रहा है बल्कि आगे की कार्रवाई भी बढ़ाई जा रही है।
उन्होंने ग्रामीणों को आश्वासन देते हुए कहा कि तेंदुआ नगर ग्राम सभा के लोगों का ज्ञापन हमें मिला है। इस विषय पर हमने वन्य मंत्री से बातचीत की है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर वन टांगिया ग्रामों के विकास के लिए वन एवं जीव संरक्षण नियमों में शिथिलता लाई जाएगी, जिससे इन ग्राम सभाओं का विकास संभव हो सके।
Byte 05 :- कैलाश नाथ शुक्ल, विधायक, तुलसीपुर
वहीं, जिलाधिकारी डॉ महेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि हम कोशिश करेंगे कि फॉरेस्ट डिपार्टमेंट इन गांवों के विकास के लिए सड़क व अन्य निर्माण परमिशन देने की संभावनाओं पर तेजी से विचार करें। इसके लिए जहां-जहां पत्राचार करना होगा हम करेंगे और ग्रामीणों की समस्या का समाधान करने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि जिन मूल सुविधाओं को फौरी तौर पर उन्हें दिलाया जा सकता है। उसके लिए भी हम प्रयास प्रयास करेंगे। जांच करवाकर ग्रामीणों को सभी उचित व मूलभूत सुविधाएं दिलाने की कोशिश की जाएगी।
श्रेय: स्रोत लिंक
इस बारे में चर्चा post