मुरादाबादएक घंटा पहले
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TMU में सिद्ध भगवान के 256 गुणों का गुणगान
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में सिद्ध भगवान के 256 गुणों का गुणगान किया गया। उन्होंने विभिन्न बंध के बारे में विस्तार से बताया। विधानाचार्य पंडित ऋषभ शास्त्री ने कहा कि, अयशकीर्ति और ‘निर्माण नाम कार्य’ के बंध से बचना हो तो-जो धर्म का काम करे, उसकी मन से प्रशंसा करो।
दानंतराय- दान न दे पाए सोचते रह जाए,उसे इस तरह का कर्म बंध होता है। दो बातों का हमेशा ध्यान रखना- अशुद्ध अवस्था में मुनि राज को आहार मत देना और निर्माल्य कभी मत खाना। सबकुछ है, पर भोग नहीं सकते,खा नहीं सकते हैं, यह भोगन्तराय और लाभांतराय कर्म बंध हैं। अतिथि को प्रसन्न होकर खिलाओ, जो भी आपके पास है भले ही वो रुख सूखा क्यों न हो तो आप लाभांतराय और भोगन्तराय कर्म के बंद से मुक्त रहेंगे।
TMU में सिद्ध भगवान के 256 गुणों का गुणगान
विधानाचार्य ने नारियल को श्रीफल कहने पर प्रकाश डालते हुए कहा कि श्रीफल चढ़ाने से अष्ट द्रव्य चढ़ाने का पुण्य मिलता है। सिद्ध भक्ति रचना को उत्तर की दिशा में मुँहकर और पूर्ण शुद्धता के साथ वाचन करने से कार्य सिद्धि होती है। पांच इन्द्रियों का जीवन चक्र और जीवों में एक खास क्रम विहित है। औदारिक शरीर श्रेष्ठ होता है, क्योंकि वह पुण्य कार्यो में सलंग्न रहता है।
उन्होंने संहनन के भी प्रकार बताए। छह संहननों से रहित सिद्ध भगवान की आराधना की जा रही है, जिसे मोक्ष जाना है उसे संहनन रहित होना पड़ेगा। यही हमें विधान के पद्य इस तरह के बंधों से मुक्त होने और सिद्धत्व की ओर ले जाने की ओर सिद्धों की आराधना करते है। पद्यानुवाद के दौरान यह भी बताया कि सिद्ध भगवान हम आपके गुणों का बखान नहीं कर सकते हैं, हम तो सिर्फ आपके विभिन्न पर्यायों के गुणों की बखान करते है। पंडित ऋषभ शास्त्री ने विधान के अर्घ्यों और श्लोको के अर्थ का वर्णन करते हुए कहा कि, यह उसी तरह है, जैसे बालक जल में विद्यमान चंद्रमा के बिम्ब प्रतिबिम्ब को अपने हाथ में पकड़ने की कोशिश करता है। वैसे ही मैं भी सब भक्तिवश गुणगान कर रहा हूं।
TMU में सिद्ध भगवान के 256 गुणों का गुणगान
ये रहे मौजूद
श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान में मनोज जैन, नीलिमा जैन, नीलम जैन, प्रो. रवि जैन, डॉ. अर्चना जैन,अतुल जैन, नीरज जैन, डॉ. सैफाली जैन, रानी जैन, अहिंसा जैन, स्वाति जैन, आशीष सिंघई, डॉ. विनोद जैन आदि मौजूद रहे। जैन सभा के अध्यक्ष अनिल जैन, महिला जैन मिलन की पूर्व अध्यक्षा निधि जैन, अतुल जैन, राजकुमार जैन, एनके जैन आदि भी उपस्थित रहे। सांध्यकालीन प्रवचन में आरती के पश्चात प्रतिष्ठाचार्य ऋषभ शास्त्री ने सिद्धों के 256 गुणों की जीवन में भूमिका और सिद्धचक्र महामंडल विधान के इन अर्घो के महात्म्य को समझाया। विधान का सम्पूर्ण संचालन और व्यवस्थापन यूनिवर्सिटी के ग्रुप वाइस चेयरमैन की पत्नी ऋचा जैन के निर्देशन में हो रहा है।
…आई प्रभु तेरी याद आई शाम को भक्ति गीतों ने सभी भक्तों को सिद्ध प्रभु की भक्ति में डुबो दिया। शरण जो आते है, वो भव तर जाते है, अंतर में जाने का मार्ग ध्यान है,आई – आई प्रभु तेरी याद आयी,लाएगी – लाएगी भक्ति हमारी रंग लाएगी,तुम देर न करना आने में…आदि भक्ति गीतों पर भक्त झूमते नजर आए।
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