रिंकी कुमारी का कहना है कि अगर वह कोयला चुनने या मजदूरी नहीं करेगी तो पढ़ाई का खर्च नहीं उठा पाएगी, उसके घर का खर्च नहीं चलेगा. कोयला खदानों में काम करना उसकी मजबूरी है.
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केंद्र की मोदी सरकार ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई बार बेटियों से खूब पढ़-लिखकर आगे बढ़ने की बात कह चुके हैं, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर बेटियां पढ़ें तो पढ़ें कैसे, जब उनके सामने एक टाइम खाने का जुगाड़ करने तक की चुनौती है. ऐसे ही कहानी झारखंड की एक बेटी की है, जो आज आर्थिक परेशानियों के कारण कोयला खदानों में मजदूरी करने को विवश है. मजदूरी से मिले पैसों से वह आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहती है. इस बेटी पर बना डॉक्यूमेंट्री वीडियो भी खूब वायरल हो रहा है.
दरअसल, झारखंड का धनबाद कोयला नगर के नाम से मशहूर है. यहां के झरिया के लिलोरी पथरा गांव निवासी महेंद्र पंडित की बेटी रिंकी कुमारी (17) पर बना डॉक्यूमेंट्री वीडियो यूट्यूब पर काफी चर्चा में है. रिंकी तीन बहनों में सबसे छोटी है. रिंकी का सपना पढ़-लिखकर कुछ बनने का है, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण वह कोयला खदानों में मजदूरी करने को विवश है. रिंकी का कहना है कि वह पढ़ना चाहती है, लेकिन परिवार पढ़ा नहीं सकता. इसलिए कोयला खदानों में मजदूरी करके वह अपनी पढ़ाई का खर्च निकालती है.
मजदूरी नहीं करेगी तो पढ़ाई का खर्च कैसे चलेगा?
रिंकी ने अभी इंटर की परीक्षा पास की है. आगे वह स्नातक करना चाहती है. रिंकी की मां पासो देवी भी कोयला खदानों में कोयला चुनने का ही काम करती है. रिंकी कहती है कि अगर वह कोयला चुनने या मजदूरी नहीं करेगी तो पढ़ाई का खर्च नहीं उठा पाएगी, घर नहीं चलेगा. कोयला खदानों में काम करना उसकी मजबूरी है. इसके अलावा उसके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है. रिंकी कहती है कि आगी पढ़ाई जारी रखना चाहती हूं, ताकि नौकरी लग जाए और मुझे मजदूरी करने से छुटकारा मिल सके.
चार सालों से अंग्रेजी सीख रही रिंकी
रिंकी के शिक्षक पिनाकी राय बताते हैं कि रिंकी कंप्यूटर, पेंटिंग, साइकिल राइडिंग में भी दक्ष है. रिकी पिछले चार सालों से अंग्रेजी सीख रही है. एक दिन यह मजदूर बेटी जरूर एक मजबूत अधिकारी बनेगी और एक मिसाल कायम करेगी. रिंकी के जीवन पर अमेरिका के न्यूज चैनल इंसाइडर न्यूज ने एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है, जिसे न्यूयॉर्क से 13 सितंबर को यूट्यूब पर अपलोड किया गया. दुनिया भर के लोग इस बेटी की मेहनत और पढ़ाई के प्रति इसकी निष्ठा और लगन की तारीफ कर रहे हैं.
रिंकी जैसी कई बेटियों की हालत ऐसी ही
बता दें, झारखंड में रिंकी कुमारी जैसी कई बेटियां हैं, जिन्हें आर्थिक परेशानियों के कारण पढ़ाई छोड़कर घरेलू नौकरानी के रूप में दूसरों के घरों में काम करना होता है या किसी फैक्ट्री या खदान में काम करने जाती हैं. हालांकि सरकार की तरफ से किए जा रहे प्रयास कई जगह पर नाकाम से दिखते हैं. मोदी सरकार ने भी ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा दिया, लेकिन यह नारा भी झारखंड में नाकाफी साबित हो रहा है.
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