- शकील अख़्तर
- संवाददाता, बीबीसी उर्दू
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह गुजरात में पाकिस्तान की सीमा के पास ‘डीसा’ में एक सैन्य हवाई अड्डे का शिलान्यास किया जिसे देश की हवाई सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बताया जा रहा है.
नया सैन्य हवाई अड्डा उत्तरी गुजरात के बनासकांठा ज़िले में है और यह अगले साल दिसंबर तक वायु सेना के लिए पूरी तरह तैयार हो जाएगा.
पीएम मोदी ने इस सैन्य हवाई अड्डे का शिलान्यास करते हुए कहा कि यह देश की रक्षा के लिए एक प्रभावी केंद्र के तौर पर उभरेगा.
उन्होंने कहा, “अंतरराष्ट्रीय सीमा (पाकिस्तान) यहां से सिर्फ 130 किलोमीटर दूर है. अगर हमारी सेना, विशेष तौर पर वायु सेना डीसा में मौजूद हो तो हम पश्चिमी सीमा पर किसी भी चुनौती का जवाब अधिक प्रभावी ढंग से दे सकेंगे.”
रक्षा विश्लेषक राहुल बेदी कहते हैं, “यह अड्डा एक तो सुरक्षात्मक पहल के तौर पर बनाया जा रहा है. दूसरे, मोदी भारत की ‘फ़ॉरवर्ड पॉलिसी’ को आगे बढ़ा रहे हैं. वे एक आक्रामक नीति दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि भारत भी काफ़ी हावी है और पीछे रहने वाला नहीं है परंतु इसमें मोदी साहब का ‘ब्रवाडो’ भी शामिल है.”
यह गुजरात का पांचवा सैन्य हवाई अड्डा है. इसके अलावा राज्य में वडोदरा, जामनगर, भुज और नालिया (कच्छ) में भारतीय वायु सेना के बड़े अड्डे हैं. इनमें कच्छ और भुज के अड्डे डीसा की तरफ़ पाकिस्तान की सीमा के पास स्थित हैं.
राहुल बेदी का मानना है कि पाकिस्तान पर इसका कोई विशेष प्रभाव पड़ने की उम्मीद नहीं है. वह अपने पहले के सैन्य हवाई अड्डों को बढ़ा या अपग्रेड कर सकता है.
डीसा का सैन्य हवाई अड्डा आधुनिकतम टेक्नोलॉजी और आर्टिफ़ीशियल इंटेलिजेंस के साज़ व सामान से लैस होगा.
यह अड्डा 4519 एकड़ में बनाया जा रहा है. यह ज़मीन वायु सेना के पास पहले से थी और इस समय वहां 20 निगरानी टावर बने हुए हैं जबकि इस भूखंड के इर्द गिर्द 22 किलोमीटर लंबी दीवार भी बनी हुई है.
वायु सेना से जुड़ी जानकारियां
भारतीय वायु सेना के अनुसार इस समय उसके पास कुल 1645 विमान हैं.
रक्षा विश्लेषक राहुल बेदी ने बीबीसी को बताया, “अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में इस योजना को शुरू करने की कुछ बात हुई थी, लेकिन उस प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने से पहले ही उनकी सरकार चली गई जिसके बाद 20 साल तक कोई काम नहीं हुआ.
मोदी जब दोबारा सत्ता में आए तो एक साल पहले उन्होंने इस सैन्य हवाई अड्डे के लिए 1000 करोड़ रुपये का बजट तय किया.”
वायु सेना के सूत्रों के अनुसार, इस अड्डे को दो चरणों में तैयार किया जाएगा. पहले चरण में युद्धक विमानों के लिए रनवे, समानांतर टैक्सी वे, लूप टैक्सी ट्रैक और फ़ाइटर स्क्वाड्रन डिस्पर्सल एरिया आदि बनाए जाएंगे. दूसरे चरण में आधुनिक तकनीकी कंट्रोल भवन और वायु सेना के स्टाफ़ के लिए आवासीय भवन बनाए जाएंगे.
इस परियोजना के इंजीनियर इन चीफ़ लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह के हवाले से बताया गया है कि पूरी योजना दिसंबर 2023 तक मुकम्मल करने का लक्ष्य है.
विभिन्न स्रोतों की जानकारी के अनुसार, डीसा सैन्य हवाई अड्डा गुजरात के भुज ज़िले में स्थित नालिया और राजस्थान के फलोदी सैन्य हवाई अड्डे के बीच रणनीतिक दृष्टि से जो खाली जगह थी, उसे पूरा करेगा.
विशेषज्ञों के अनुसार, डीसा एक फ़ॉरवर्ड बेस होगा और न सिर्फ़ पाकिस्तान में जैकबाबाद और उत्तरी इलाक़ों में स्थित सैन्य हवाई अड्डे से किसी हमले की स्थिति में पहली रक्षात्मक दीवार का काम करेगा बल्कि किसी टकराव की स्थिति में हैदराबाद (पाकिस्तान), कराची और सक्खर जैसे शहर उसके हमले के दायरे में होंगे.
मीडिया में वायु सेना के विशेषज्ञों के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि भविष्य में गुजरात या उत्तर पश्चिम सेक्टर यानी महाराष्ट्र या उससे भी आगे किसी बड़े आतंकवादी हमले की स्थिति में उसे पाकिस्तान के विरुद्ध जवाबी कार्रवाई के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा.
हाल में शामिल हुए नए विमान
राहुल बेदी का कहना है, “डीसा का सैन्य हवाई अड्डा अटैक बेस नहीं बल्कि रक्षात्मक अड्डा होगा. यहां मिग- 29 और भारत में बनाए गए लाइट एयर कॉम्बैट तेजस विमान मोर्चे पर लगाए जाएंगे. भारत का जो मुख्य आक्रामक विमान है वह राजस्थान के जोधपुर सैन्य हवाई अड्डे पर रखा गया है जिसका यहां इस बेस तक उड़ान का समय पांच से छह मिनट है.”
यह सैन्य हवाई अड्डा गुजरात में अहमदाबाद, भावनगर और वडोदरा जैसे शहरों और आसपास के एक खरब डॉलर से अधिक मूल्य के औद्योगिक क्षेत्रों की सुरक्षा की दृष्टि से भी बनाया जा रहा है.
राहुल बेदी के अनुसार, “डीसा बेस के निर्माण का एक महत्वपूर्ण कारण जामनगर की रिलायंस तेल रिफ़ाइनरी की सुरक्षा है. तेल साफ़ करने वाली यह दुनिया की सबसे बड़ी फ़ैक्ट्री है. अगर यह किसी हमले का शिकार होती है तो भारत बहुत बड़ी मुश्किल में पड़ जाएगा. इसकी सुरक्षा के लिए यह अड्डा महत्वपूर्ण है.”
दो साल पहले लद्दाख़ में चीन से टकराव के बाद भारत बड़े पैमाने पर अपनी वायु सेना को आधुनिक बनाने में लगा हुआ है.
भारतीय वायु सेना के अधिकतर युद्धक विमान रूस से आते थे. उनमें मिग- 21, मिग- 29 और सुखोई जंगी जहाज़ उल्लेखनीय हैं. इनमें सबसे पुराने जंगी जहाज़ मिग- 21 हैं. अब धीरे-धीरे इन जहाज़ों की जगह रफ़ाल, मिराज, जगुआर और दूसरे नए युद्धक विमान ले रहे हैं.
भारतीय वायु सेना के अनुसार, इस समय उसके पास कुल मिलाकर 1645 विमान हैं जिनमें 632 फ़ाइटर जेट, 438 हेलिकॉप्टर, 250 ट्रांसपोर्ट जहाज़ और 304 प्रशिक्षण जहाज़ शामिल हैं.
हाल में भारत ने देश में तैयार किए गए लाइट कॉम्बैट जंगी जहाज़ ‘तेजस’ और ‘प्रचंड’ हेलिकॉप्टर को भारतीय वायुसेना में शामिल किया है. भविष्य में यह बड़ी संख्या में वायुसेना में शामिल किए जाएंगे.
इस समय भारत के पास 31 फ़ाइटर स्क्वाड्रन उपलब्ध हैं. अगले 10 सालों में उनकी संख्या बढ़ाकर 42 स्क्वाड्रन तक पहुंचाने का लक्ष्य है. वायु सेना के आधुनिकीकरण के साथ-साथ आने वाले वर्षों में और सैन्य हवाई अड्डे व सीमा के पास नई हवाई पट्टियां भी बनाने का लक्ष्य है.
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